रायसेन(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश में आगामी नगरीय निकाय चुनाव में निर्वाचित होने वाले जनप्रतिनिधियों को सरकार सुशासन का पाठ पढ़ाती नजर आ सकती है। अटल बिहारी बाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान में इसके लिए मसौदा तैयार हो गया है। बस सरकार की 'हां' का इंतजार हो रहा है। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश में पहली बार नगरीय निकायों के निर्वाचित जनप्रतिनिधि गुड गवर्नेंस (सुशासन) के गुर सीखेंगे। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच अपनी अपनी सीमाएं जानने, कार्यों के लिए अनैतिक दबाव न देने के साथ बेहतर तालमेल बनाकर कार्य करने और बीते दिनों इंदौर व सतना के रामपुर में हुई घटनाओं को रोकने के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर यह प्रयोग में लाने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक इसके मॉड्यूल को इतनी सरल भाषा में तैयार किया जा रहा है कि कम शैक्षणिक स्तर के जनप्रतिनिधियों को भी यह आसानी से समझ में आ जाए। शुरुआत में महापौर, नगरपालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ एक सबसे वरिष्ठ और एक कनिष्ठ पार्षद को इसके लिए आवासीय ट्रेनिंग में विभागीय आदेश से बुलाकर फील्ड विजिट, एक्सपोजर के साथ इसे रोचक व महत्वपूर्ण बनाने पर जोर दिया जाएगा। इससे फायदा ये होगा कि पहले बैच के बाद आगे आने वाले जनप्रतिनिधि जब इसके बारे में जानकारी लें तो वे इसमें शामिल होने उत्साहित हों। अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान में बीते दिनों प्रदेश के नए मुख्य नगरपालिका अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। इसमें सामने आए विचारों को पाठ में शामिल करने सेंटर फॉर अर्बन गवर्नेंस काम कर रहा है। - अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों के प्रयास एक दिशा में होने पर नीतियों में व्यापक परिवर्तन। - सुशासन में संजीदगी को बेहतर तरीके से शामिल करने। - राजनीति से जुड़े लोग जनप्रतिनिधि बनने पर नीति निर्माण पर जोर दें।