भोपाल (ईन्यूज एमपी)-प्रदेश में अब सरकारी नौकरी में परिवीक्षा अवधि तीन साल रहेगी। इस दौरान न्यूनतम वेतनमान का 70 से लेकर 90 प्रतिशत मानदेय (स्टॉयपेंड) दिया जाएगा। राज्य लोकसेवा आयोग से चयनित प्रत्याशी की नियुक्ति होने पर परिवीक्षाकाल में वेतनमान का न्यूनतम ही मिलेगा। हालांकि, इस दौरान अन्य भत्ते शासकीय सेवक की तरह मिलेंगे। वित्त विभाग ने मध्य प्रदेश मूलभूत नियम में संशोधन लागू कर दिया है। इसके तहत ऐसी सेवाएं, जिनके लिए राज्य लोक सेवा आयोग चयन की अनुशंसा नहीं करता है, उनमें परिवीक्षा अवधि तीन साल की होगी। इस दौरान पहले साल संबंधित पद के वेतनमान का न्यूनतम 70 प्रतिशत, दूसरे साल 80 और तीसरे साल 90 प्रतिशत स्टायपेंड दिया जाएगा। इसमें द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूरी करने पर चौथे साल से पद के लिए तय वेतनमान मिलने लगेगा। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने परिवीक्षा अवधि के दौरान पूरा वेतन दिए जाने पर आपत्ति उठाई थी। उनका कहना था कि परिवीक्षा के दौरान व्यक्ति सीखता है और पूर्ण वेतनमान तभी मिलना चाहिए, जब वो इस दौर को पार कर ले। कैबिनेट ने 27 नवंबर 2019 को इस संबंध में निर्णय लिया था। सामान्य प्रशासन विभाग ने 12 दिसंबर 2019 को मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1961 में संशोधन करके राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से होने वाली भर्ती को छोड़कर बाकी पदों के लिए परिवीक्षा अवधि दो से बढ़ाकर तीन साल कर दी थी। साथ ही भर्ती नियमों में संशोधन करने के लिए सभी विभागों को अधिकृत कर दिया था।