रायपुर(ईन्यूज़ एमपी)-आयकर विभाग ने क्रांतिकारी बदलाव करते हुए फेसलेस असेसमेंट का निर्णय लिया है। देशभर में पहली बार आयकर अफसर और करदाता एक दूसरे का चेहरा देखे बिना टैक्स जमा कर सकेंगे। ऑनलाइन असेसमेंट कौन कर रहा है, करदाता को इसकी भनक भी नहीं लगेगी। वहीं, आयकर अधिकारी को भी मालूम नहीं रहेगा कि वह किसकी फाइल देख रहे हैं। आयकर अधिनियम लागू होने के 60 साल बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) ने यह बदलाव किया है। विभाग में रिश्वतखोरी संबंधी शिकायतों को पूरी तरह खत्म करने और पारदर्शिता के लिए यह बदलाव किया गया है। विजयादशमी से आयकर विभाग में असेसमेंट का 'फेसलेस सिस्टम' लागू किया जा रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान संसद में इसकी घोषणा की थी। सात अक्टूबर को इसका औपचारिक शुभारंभ किया जा रहा है। फिलहाल यह व्यवस्था पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की जा रही है। बताया जा रहा है कि सभी राज्यों के 60 हजार प्रकरणों का असेसमेंट नई व्यवस्था के तहत शुरू करने की तैयारी की है। एक साल बाद धीरे-धीरे ऑनलाइन असेसमेंट की व्यवस्था पूरी तरह लागू हो जाएगी। फाइल में मौजूद दस्तावेजों, हिसाब-किताब और आयकर रिटर्न को देखने के बाद यदि असेसमेंट अधिकारी को कुछ और पूछताछ करने की जरूरत होगी तो उसे ईमेल पर ही दर्ज करना होगा जो कि सिस्टम के जरिए संबंधित करदाता को पहुंचा दिया जाएगा। यह व्यवस्था लागू होने के बाद आयकर विभाग में रेंज अथवा जूरिडिक्शन का दायरा खत्म हो जाएगा। भोपाल-इंदौर अथवा रायपुर के किसी करदाता का टैक्स असेसमेंट कश्मीर, चेन्न्ई अथवा कन्याकुमारी में बैठे किसी भी अफसर को आवंटित हो जाएगा। अधिकारी को करदाता का नाम भी नहीं बताया जाएगा। सीबीडीटी का मानना है कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद भ्रष्टाचार की आशंका खत्म हो जाएगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जहां इस व्यवस्था के फायदे हैं, वहीं अपील के मामलों में बढ़ोतरी भी होगी।