भोपाल(ईन्यूज एमपी)- व्यापमं घोटाले में प्री-पीजी परीक्षा 2012 के मामले में सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस तीन अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है। इन लोगों के खिलाफ अदालती कार्रवाई शुरू करने के लिए सीबीआई को केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। व्यापमं की तत्कालीन अध्यक्ष और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रंजना चौधरी, सेवानिवृत्त आईएएस अफसर कैलाशचंद्र जैन और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे की मुश्किलें उनके बेटे-बेटी के कारण बढ़ने के आसार हैं। वहीं, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ सोनाली मिश्रा के भाई भरत मिश्रा के खिलाफ भी सीबीआई को कई सबूत मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक, व्यापमं घोटाले की प्री-पीजी परीक्षा 2012 में करोड़ों रुपए का लेन-देन हुआ था। एमबीबीएस पास विद्यार्थियों और सरकारी डॉक्टरों ने यह परीक्षा दी थी। इनके पेपर भरत मिश्रा की मंडीदीप स्थित फैक्टरी में खोलकर चुनिंदा परीक्षार्थियों को दिखाए गए। परीक्षा के एक दिन पहले मिश्रा की फैक्टरी में परीक्षार्थियों को बुलाकर इसकी तैयारी कराई गई। पेपर की गोपनीय चाबी (पासवर्ड) लीक होने को लेकर व्यापमं की तत्कालीन अध्यक्ष रंजना चौधरी की भूमिका पर सीबीआई ने सवाल उठाए हैं। उसमें उनकी भी मिलीभगत सामने आई। सूत्र बताते हैं कि प्री-पीजी परीक्षा 2012 में दूसरे सेवानिवृत्त आईएएस कैलाशचंद्र जैन की भूमिका उनके बेटे के परीक्षा में बैठने पर सामने आई। जैन ने अपने बेटे के लिए मोटी रकम के सहारे प्री-पीजी परीक्षा में व्यवस्था की। इसी तरह सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे ने अपनी बेटी को प्री-पीजी परीक्षा में पास कराने के लिए लाखों रुपए का इंतजाम किया। तब शिवहरे ने बेटी की शादी के लिए एमबीबीएस लड़का देखकर उसे भी प्री-पीजी कराने के लिए रैकेट में शामिल लोगों से चर्चा की थी। सूत्र बताते हैं कि सीबीआई ने मामले की जांच में पाया कि भरत मिश्रा की फैक्टरी में प्री-पीजी के परीक्षार्थियों को पेपर लीक कराने में व्यापमं के तत्कालीन अधिकारी पंकज त्रिवेदी व नितिन मोहिंद्रा की भूमिका अहम थी। सीबीआई ने रंजना चौधरी, कैलाशचंद्र जैन, आरके शिवहरे और भरत मिश्रा के खिलाफ सबूत जुटाकर प्रकरण दिल्ली भेज दिया है। इस मामले में अगले महीने तक अदालती कार्रवाई होने की संभावना है।