भोपाल(ईन्यूज एमपी)- जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश के 10 निजी विश्वविद्यालयों में बीएड कोर्स में प्रवेश पर रोक लगा दी है। यहां तक कि उच्च शिक्षा विभाग की काउंसिलिंग में भागीदारी नहीं करने पर हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर से 10 हजार रुपए तक जुर्माना भरवा लिया गया है। हाईकोर्ट ने सभी विवि में प्रवेश को लेकर हुए फर्जीवाड़े को लेकर सख्ती दिखाई है। हाईकोर्ट उनके पांच साल के प्रवेशित विद्यार्थियों की डिग्री शून्य तक कर सकता है। प्रदेश के निजी विवि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन के कोर्स बीएड सहित अन्य कोर्स में विभाग की केंद्रीय काउंसिलिंग में भागीदारी नहीं करते हैं। वे पांच साल से अपने स्तर से काउंसिलिंग कर प्रवेश दे रहे हैं। निरस्त हो सकती हैं हजारों डिग्रियां सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई कोर्स के प्रवेश को समय सीमा में बांधने के साथ केंद्रीय काउंसिलिंग से प्रवेश देने के आदेश जारी कर रखे हैं। इसके बाद भी निजी विवि विभागीय काउंसिलिंग को छोड़कर अपने स्तर पर फर्जीवाड़ा कर विद्यार्थियों को प्रवेश दे रहे हैं। हाईकोर्ट ने निजी विश्वविद्यालयों से कहा है कि उनके पांच साल के प्रवेश को निरस्त किया जा सकता है। पांच साल में हजारों की संख्या में विद्यार्थियों ने प्रवेश लिए हैं, जिनकी डिग्री खारिज हो सकती है। हाईकोर्ट ने सभी विवि से जवाब-तलब किया है। हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा मंडल को डीएड के प्रवेश देने पर भी नोटिस भेजा है, क्योंकि डीएड में प्रवेश कराने के लिए माशिमं ने प्रवेश को लेकर किसी भी काउंसिलिंग का आयोजन नहीं किया है। जबकि, विद्यार्थियों से तीन से चार गुना फीस जमा करवा कर आर्थिक शोषण किया जा रहा है। काउंसिलिंग नहीं होने पर डीएड में प्रवेश कराने को लेकर निजी विवि बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा करते हैं।