लखनऊ(ईन्यूज एमपी)-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार अफसरों से मीटिंग में तैयारी के साथ आने, मीटिंग के पहले जरूरी सूचनाएं उपलब्ध कराने और बैठक में लिए गए निर्णय पर कार्यवाही की तय समय पर सूचना देने का निर्देश देते रहे हैं। पर, अफसर हैं कि मानते ही नहीं। मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की इस कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है और नए सिरे से दिशानिर्देश जारी कर अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है। शासन के एक आला अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री की बैठक सर्वोच्च स्तर पर निर्णय के लिए होती है। ऐसे में वहां विभाग का नेतृत्व करने वाले विभाग और शासन के अफसरों को ही आना चाहिए। मगर, अभी भी कई बार कनिष्ठ अधिकारियों को बैठक में भेज दिया जाता है जो स्पष्ट राय भी नहीं दे पाते हैं। समय-समय पर यह बात भी सामने आती है कि जिस विषय पर मुख्यमंत्री बैठक ले रहे हैं, उसके विभागीय मंत्री को सूचना तक नहीं है। मुख्यमंत्री ने इस पर अप्रसन्नता व्यक्त की है। इसी तरह मुख्यमंत्री के सामने प्रजेंटेशन से जुड़े प्रकरण से जानकारी एक दिन पहले मुख्यमंत्री कार्यालय को उपलब्ध कराने तथा बैठक में लिए गए निर्णय से जुड़े कार्यवृत्त को मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए अधिकतम तीन दिन में भेजने के निर्देश हैं। इन निर्देशों का भी पालन नहीं हो पा रहा है। मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में समस्त अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों व सचिवों को इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने को कहा है। अफसरों को इस तरह करना होगा काम - मुख्यमंत्री की बैठक में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव स्तर के अधिकारी व विभागाध्यक्ष स्तर के अधिकारी ही विषय की संपूर्ण जानकारी के साथ उपस्थित हों। कनिष्ठ अधिकारी अपरिहार्य स्थिति में ही मुख्यमंत्री की बैठक में सम्मिलित हो सकेंगे। - बैठक का एजेंडा, शामिल होने वाले अधिकारियों की सूची व प्रजेंटेशन एक दिन पहले सीएम कार्यालय भेजा जाए। - बैठक के कार्यवृत्त अधिकतम तीन दिन में मुख्यमंत्री कार्यालय को अनुमोदन करना होगा। - मुख्यमंत्री के स्तर पर लिए जाने वाले निर्णयों के मुद्दे स्पष्ट रूप से इंगित किए जाएं। - अंतर-विभागीय समन्वय के लिए मुख्यमंत्री के स्तर से प्राप्त किए जाने वाले निर्देशों को स्पष्ट रूप से इंगित किया जाए।