श्योपुर(ईन्यूज एमपी)- कुपोषण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में महिला बाल विकास विभाग की टीम को राजस्थान से सटे मूंझरी गांव में ग्रामीणों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। लामबंद होकर आए ग्रामीणों ने लाठियों के बल पर टीम से 3 कुपोषित बच्चों को भी छुड़ा लिया। बाद में पुलिस की मदद से उक्त बच्चों को रात 11 .30 बजे एनआरसी लाया गया। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी ओपी पांडेय को जानकारी मिली थी, कि कराहल परियोजना के राजस्थान से सटे मूंझरी गांव में 3 कुपोषित बच्चे मरणासन्न हालत में पहुंच गए हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाइजरों के समझाइश के बाद भी अभिभावक बच्चों को एनआरसी नहीं भेज रहे हैं। डीपीओ ने कराहल परियोजना के सीडीपीओ नितिन मित्तल क्षेत्र में भ्रमण पर होने के चलते शहरी परियोजना के सीडीपीओ गौरव दुबे के साथ डीपीए स्निप विष्णु शर्मा, मकड़ावदा सेक्टर की सुपवाइजर रेखा सुमन, दीप्ति सिंह को टीम बनाकर मूंझरी गांव भेज दिया। गोरस, सूसवाड़ा, जाखदा-जागीर होते हुए मूंझरी गांव पहुंची टीम को वहां कुपोषण की भयावाह स्थिति नजर आई। 4 बच्चे गंभीर कुपोषित होकर मरणासन्न स्थिति में पहुंच गए थे। 3 घंटे समझाइश के बाद 3 अभिभावक बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराने को राजी हुए। सभी 3 बच्चों को 108 वाहन से एनआरसी लाया जा रहा था कि गांव के बाहर ही लाठियां लेकर आए ग्रामीणों ने टीम पर हमला बोल दिया और सभी बच्चों को छुड़ाकर ले गए। गांव में गए दल ने भी हार नहीं मानी। सीडीपीओ गौरव दुबे ने मौके से ही डायल-100 को फोन कर पुलिस बुला ली और छुड़ाकर ले जाए गए बच्चों को दोबारा लाकर रात 11ः30 बजे जिला अस्पताल की एनआरसी में भर्ती कराया। पिटते-पिटते बचे अधिकारी मंगलवार को सुबह 9 बजे जिला मुख्यालय से रवाना हुआ दल दोपहर 02 बजे मूंझरी गांव पहुंच गया। यहां पर डोर-टू-डोर वजन किया गया। जिसमें 4 कुपोषित बच्चे मिले। 3 घंटे समझाइश के बाद 3 परिवार बच्चों को एनआरसी भेजने को राजी हो गए। एक बच्चे का पिता धान रोपाई करने गए था, इसलिए उसे नहीं ला सके। शाम 5 बजे तीन बच्चों को उनकी माताओं सहित 108 में बैठाकर एनआरसी लाया जा रहा था, तभी गांव के बाहर मजदूरों से भरी ट्रॉली गांव की ओर जाती दिखी। वाहन में बैठे कुपोषित बच्चों की माताओं ने बताया कि जिस कुपोषित बच्चे अजीत को छोड़ आए हैं उसका पिता इस ट्रॉली में वापस लौट आया हैं। टीम 108 को वहीं छोड़कर कुपोषित बच्चे और उसकी मां मौसमी को लेने गांव पहुंच गई। यहीं पर ग्रामीणों से इतना विवाद हुआ कि, अधिकारी पिटते-पिटते बचे। गुस्साएं ग्रामीण लाठियां लेकर 108 तक पहुंच गए और सभी बच्चों व माताओं को छुड़ाकर वापस गांव ले आए।