दिल्ली (ईन्यूज एमपी)-दक्षिण भारत के तीन गैर बीजेपी शासित राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने 15वें वित्त आयोग द्वारा राज्यों को फंड आवंटन की सिफारिश पर गंभीर आपत्ति जताई है. इन राज्यों ने केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए इसे संघवाद की धारणा के खिलाफ बताया है. दूसरी तरफ, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे पूरी तरह से खारिज करते हुए निराधार विवाद खड़ी करने की कोशिश बताया है. तिरुवनंतपुरम केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पुडुच्चेरी के वित्त मंत्रियों के एक सम्मेलन में यह आरोप लगाया गया. इससे एक नए तरह का विवाद शुरू होने के आसार हैं. मिडिया की खबर के अनुसार, इन राज्यों का आरोप है कि वित्त आयोग की नई सिफारिश से ज्यादा जनसंख्या वाले राज्यों को कर राजस्व का ज्यादा हिस्सा मिलेगा और जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में सफलता हासिल की है, उन्हें नुकसान होगा. इन आरोपों पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बयान में कहा कि ऐसा कोई भेदभाव नहीं है और उन्होंने कहा कि वित्त आयोग ने जनसंख्या और आय स्तर जैसे गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों तरह के मानक तय किए हैं. राज्यों की ऐसी ही एक और बैठक अगले महीने विशाखापत्तनम में होगी जिसमें दिल्ली, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पंजाब शामिल हो सकते हैं. केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि यह कोई उत्तर या दक्षिण का विवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग के संदर्भ की जो शर्तें (TOR) हैं, वह संघीय व्यवस्था के लिए खतरा है. उन्होंने कहा कि यह जानबूझ कर राज्यों को टैक्स हस्तांतरण में कटौती का प्रयास है और राज्यों पर जबरन कई शर्तें थोपी जा रही हैं. गौरतलब है कि वित्त आयोग एक ऐसा संवैधानिक ढांचा है जो केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधन का बंटवारा तय करता है. इसाक ने कहा कि वित्त आयोग की सिफारिश को किसी राज्य को सौगात देने का माध्यम नहीं बनाना चाहिए.