इन्दौर : उज्जैन में अगले वर्ष 22 अप्रैल से प्रारम्भ हो रहे सिंहस्थ से पहले मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की पहल पर मानव कल्याण के लिये धर्म विषय पर इन्दौर में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वैचारिक महाकुंभ आज आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर जी महाराज की विशेष उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में विश्व के प्रायः सभी प्रमुख धर्मों के आचार्यगण, विद्वतजनों ने विश्व कल्याण के विविध आयामों पर गंभीर चिन्तन-मनन किया। श्री श्री रविशंकर श्री श्री रविशंकर जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि तनाव आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है। विश्वास की कमी से व्यक्ति टूटने लगता है। समाज में अनाचार, दुराचार, भ्रष्टाचार और इन सबके दुष्परिणाम स्वरूप आत्महत्या जैसे कृत्य के लिये व्यक्ति प्रेरित होता है। उन्होंने कहा कि समाज में धर्माचरण से ही अपराधों में कमी आयेगी। समाज में धर्म का प्रचार, प्रसार, विस्तार और पोषण जरूरी है। जगत में सुख शांति के लिये विभिन्न मतों-धर्मों के विद्वान एक साथ बैठकर विचार करें। उन्होंने कहा कि धर्म निरपेक्षता का अर्थ माना जाने लगा है कि धर्म से दूर रहा जाये। वास्तविकता यह है कि बुद्धिमान व्यक्ति ही धार्मिक होते हैं। धार्मिकता से ही बुद्धिमता आती है। धार्मिक व्यक्ति कभी हिंसक नहीं हो सकते। धार्मिक व्यक्ति में सभ्यता दिखाई देती है। उन्होंने धर्म को परिभाषित करते हुये कहा कि औरों के काम आ जाएं, हर एक के दिल में उतर जाएं, यही धर्म है। उन्होंने धृति, क्षमा, दमा (इन्द्रियों का दमन), शुद्धता, बुद्धि, विद्या आदि धर्म के दस लक्षणों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जनता की सुख शांति के लिये इस तरह के विचार महाकुंभ का आयोजन होना चाहिये। मध्यप्रदेश शासन ने मूल्यों पर आधारित राजनीति और समाज के पुनर्निर्माण के लिये इस धर्म सम्मेलन के माध्यम से एक नया अध्याय शुरू किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने इंदौर में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि वैचारिक सम्मेलनों में हुये विचार मंथनों से निकले निष्कर्श पर आधारित मानव कल्याण का घोषणा पत्र सिंहस्थ-2016 के दौरान मई माह में आयोजित इसी तरह के अन्तर्राष्ट्रीय वैचारिक महाकुंभ में जारी किया जायेगा। दोनों वैचारिक महाकुंभों के निष्कर्ष की एक बुकलेट प्रकाशित की जायेगी। वैचारिक मंथन में निकले अमृत को जन-जन तक पहुंचाया जायेगा। यह अमृत देश सहित पूरी दुनिया को सही दिशा दिखाने का कार्य करेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि धर्म सापेक्ष होना चाहिये। धर्म के सार की शिक्षा देने के लिये मध्यप्रदेश में व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने घोषणा करते हुये कहा कि इसके लिये सांची विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड हीलिंग तथा सेंटर फॉर ऑल्टरनेटिव लर्निंग की स्थापना की जायेगी। उन्होंने साँची विश्वविद्यालय में अलग-अलग देशों के स्टडी सेंटर खोले जाने के लिये जमीन उपलब्ध कराने की भी घोषणा की। श्री चौहान ने आगे कहा कि हम सब में एक ही चेतना है। सृष्टि के कण-कण में भगवान है। सभी आत्माओं में परमात्मा का अंश है। हमारी संस्कृति पूरी दुनिया को एक परिवार मानती है। हमारे यहां विचारों की स्वतंत्रता है। सभी व्यक्ति भगवान को अलग-अलग रूपों में पूजते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति का दोहन किया जाये, न कि उसका शोषण। उन्होंने कहा कि दुनिया को सही दिशा दिखाना भी राजधर्म है। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने मई माह में आयोजित होने वाले सम्मेलन में शामिल होने के लिए श्री श्री रविशंकरजी महाराज को आमंत्रित किया। श्री लोबसांग सांगे तिब्बत के प्रशासनिक प्रमुख श्री लोबसांग सांगे ने विश्वधर्म सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि धर्म का उद्देश्य करूणामय संसार की रचना करना है। ईश्वर प्रेम, दया, करुणा की वर्षा करता है। मनुष्य सुख की प्राप्ति और दुख से निवृत्ति चाहता है। हिन्दू धर्म वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास करता है। जबकि इसाई धर्म सम्पूर्ण मानव जाति को ईश्वर की संतान मानता है। बौद्ध धर्म भी सर्वे भवन्तु सुखिनः में विश्वास करता है। सिख धर्मगुरु श्री गोविन्द सिंह ने कहा है कि सभी व्यक्तियों में ईश्वर का अंश है। कविकुल गुरु श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मन, वचन और कर्म की पवित्रता को धर्म माना है। महात्मा गांधी ने धर्म को फूलों से इकट्ठा किया मधुरस माना है। धर्म से मनुष्य की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। जब किसी धर्म को जबरदस्ती किसी अन्य धर्म के व्यक्ति पर थोपा जाता है, तब तनाव और संघर्ष उत्पन्न होता है। धर्म हमें साहस, ज्ञान, विवेक, शुद्धता, दयालुता और कर्तव्य की शिक्षा देता है। कार्यक्रम के अन्त में प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रोफेसर गजनेश्वर शास्त्री ने इस तीन दिवसीय सम्मेलन का सारांश प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग, साँची बौद्ध विश्वविद्यालय तथा सेंट्रल फॉर स्टडी ऑफ रिलिजन एण्ड सोसायटी के तत्वाधान में मानव कल्याण के लिये आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में हजारों लोगों की मौजूदगी रही। सम्मेलन के लिए करीब 300 शोध पत्र भेजे गये थे जिसमें से करीब 150 शोध पत्रों को अलग-अलग सत्रों में प्रस्तुत किया गया। करीब 25 शोध पत्र विदेशी विद्वानों द्वारा पेश किए गये। सम्मेलन में अमेरिका, जापान, चीन, स्पेन, ब्रिटेन, सिंगापुर, थाइलैंड, म्यामार, कंबोडिया, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश एवं इजराइल का प्रतिनिधित्व विद्वानों और धर्मगुरूओं ने किया। श्रीलंका इजराइल और भूटान के राष्ट्र प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में शिरकत की। सम्मेलन में सभी श्रेणियों में कुल करीब 1221 रजिस्ट्रेशन हुए। सम्मेलन में करीब 550 ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किए गए। राज्य के सभी जिलों से करीब 120 धर्म विद्वान और धर्मगुरू मौजूद रहे। इस अवसर पर विभिन्न धर्मों एवं आध्यात्मिक संस्थाओं तथा प्रकाशकों ने स्टॉल लगाये गये। सम्मेलन में मुख्य आकर्षण सिंहस्थ पर आधारित प्रदर्शनी रही। इसमें सिंहस्थ के विभिन्न आयामों को आकर्षक रूप से प्रदर्शित किया गया था। सम्मेलन के दौरान लोक कलाकारों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी गई।