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मनरेगा से मिला पशुओं को आसरा

भोपाल : मनरेगा से प्रदेश के ग्रामीण मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है तथा रोजगार के साथ-साथ कमजोर वर्ग की आजीविका सुदृढ़ करने के भी निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। ''रोजगार से आजीविका तक'' फलसफे को मनरेगा साकार कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका संवर्द्धन की दिशा में मनरेगा की पशुपालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन योजना गरीब, कमजोर वर्ग के लोगों को लाभान्वित कर रही है। हितग्राहियों के यहाँ पशुपालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन के आश्रय बन जाने से पशु पालन को बढ़ावा मिला है और सालाना आमदनी में भी इजाफा हुआ है।

30,132 पशु शेड निर्मित
6476 बकरी शेड निर्मित
386 मुर्गी शेड निर्मित
शेड निर्माण हेतु पात्रता:-
अनुसूचित जाति
अनुसूचित जनजाति
बीपीएल परिवार
लघु सीमांत कृषक
वनाधिकार पट्टाधारी
इंदिरा आवास के हितग्राही
भूमि सुधार के हितग्राही
ग्रामीण इलाकों में पशुधन कई लोगों की आजीविका का जरिया है, पर पशुपालन के माकूल इंतजाम न होने के कारण यह आजीविका का सशक्त साधन नहीं बन पा रहा है।

मध्यप्रदेश में मनरेगा की पशुपालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन आश्रय योजना से 36 हजार 994 शेड बन चुके हैं। वहीं पचास हजार से अधिक शेडों का निर्माण प्रगति पर है। मनरेगा से अभी तक बने आश्रयों में से 30 हजार 132 मवेशी पालन के लिये शेड, 6476 बकरी पालन शेड तथा 386 मुर्गी पालन शेड बन चुके हैं।

मनरेगा से पशु आश्रय के साथ-साथ मवेशियों के लिये चारा रखने का भी इंतजाम इन आश्रयों के माध्यम से होने लगा है। घास-फूस के छान-छप्पर से होने वाली गंदगी के कारण पशुओं की असामाजिक मौत और पनपने वाली बीमारियाँ लगभग बंद हो गयी हैं।

यहां उल्लेखनीय है कि मनरेगा योजना प्रारंभ से 182.30 करोड़ मानव दिवस सृजित हो चुके हैं। इनमें से 33.04 करोड़ मानव दिवस अनुसूचित जाति और 74.79 करोड़ मानव दिवस अनुसूचित जनजाति के हैं। वहीं कुल मानव दिवस में से 78.69 करोड़ मानव दिवस महिलाओं द्वारा सृजित किये जा चुके हैं। प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में योजना के जरिये विभिन्न कार्य प्रगतिरत है तथा जाबकार्डधारियों को काम माँगने पर उपलब्ध करवाया जा रहा है।

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