रायपुर(ई न्यूज एमपी)- पंडित सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी द्वारा अवॉर्ड की जाने वाली 226 पीएचडी पर राज्यपाल बलरामदासजी टंडन ने रोक लगा दी है। सभी पीएचडी में अवॉर्ड की तैयारी कर ली गई थी। प्रारंभिक जांच में रजिस्ट्रेशन से लेकर रिसर्च तक में बड़ी खामियां पाई गई हैं। अवॉर्ड करने की प्रक्रिया में भी खामी पाई गई है। देश में पीएचडी में गोलमाल का संभवत: यह सबसे बड़ा मामला है, जिसमें सभी पीएचडी अवॉर्ड रोककर कुलाधिपति ने जांच बिठा दी है। - कुलाधिपति कार्यालय ने उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस ) सुनील कुजूर से पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने कहा है। विवि की सभी 226 पीएचडी की संबंधित विषयों के विशेषज्ञ अलग-अलग जांच करेंगे। सूत्रों के अनुसार रोकी गई सभी 226 पीएचडी वर्ष 2009 से 2014 के बीच की हैं। उस वक्त डॉ. एके. चंद्राकर और टीबी शर्मा इस विश्वविद्यालय के कुलपति थे। अवॉर्ड करने पर रोक लगाने की बात सही - यह सही है कि राजभवन ने हमारी यूनिवर्सिटी की 226 पीएचडी पर शक जाहिर करते हुए पीएचडी अवॉर्ड करने से रोक दिया है। ये सभी पीएचडी वर्ष 2009 से 2014 के बीच की हैं। कुलाधिपति कार्यालय ने सभी पीएचडी की जांच भी बैठा दी है। -प्रो वंशगोपाल सिंह, कुलपति शर्मा मुक्त विवि रेग्यूलेशन में संशोधन की अनदेखी विश्वविद्यालय अनुदान आयाेग (यूजीसी) रेग्यूलेशन में किए गए ताजे संशोधन के मुताबिक 2009 के बाद से यूनिवर्सिटी को रजिस्ट्रेशन रोक देना था। लेकिन यूनिवर्सिटी धड़ाधड़ पीएचडी की अनुमति देती रही और शोध करवाती रही। यूनिवर्सिटी में पिछले छह साल में पीएचडी के लिए बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन हुए। ऐसे हुआ खुलासा - युनिवर्सिटी द्वारा पीएचडी अवॉर्ड करने में की जा रही धांधली की शिकायतें कुलाधिपति को लगातार मिल रही थीं। यूनिवर्सिटी द्वारा वर्ष 2016 में दीक्षांत समारोह आयोजित कर एक साथ पीएचडी अवॉर्ड करने की तैयारी की गई, लेकिन कुलाधिपति द्वारा आपत्ति के बाद समारोह नहीं हुआ। - वर्ष 2016 से 2017 मामले में छानबीन चली, संदेह गहराने पर राजभवन ने इस साल सितंबर-अक्टूबर में यूजीसी तथा विशेषज्ञों से जांच करवाई, इसमें अनियमितता मिली। इसके बाद राजभवन ने 15 नवंबर 2017 को सभी पीएचडी को संदेह के दायरे में लाकर जांच बिठा दी।