अशोकनगर (ई न्यूज़ एमपी ) कलेक्टर बी. एस. जामोद द्वारा आज जिला पंचायत सभाकक्ष में अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर आयोजित कार्यशाला के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। कार्यशाला का शुभांरभ मॉ सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। कलेक्टर श्री जामोद ने कहा कि महिलाओं को उनके अधिकारो के प्रति जागरूक होना चाहिए। साथ ही स्वतंत्रता के अंतर्गत सामाजिक प्रगति एवं जीवन के बेहतर स्तर को ऊंचा रखने के प्रयास किए जाने चाहिए। मानव अधिकारों में महिलाओं को समान अधिकारों में बुनियादी आजादी के प्रति सार्वभौम सम्मान दिया गया है। उन्होनें कहा कि महिलाओं की स्वतंत्रता एवं समानता से जीवन यापन करना तथा सही ढंग से अधिकारों का पालन करना ही मानव अधिकार आयोग का मुख्य उद्देश्य है।उन्होने कहा कि 10 दिसम्बर 1948 को यूनाइटेड नेशन्स की जनरल असेम्बली ने मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को स्वीकृत एवं घोषित किया गया था। इसका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति और समाज अध्यापन और शिक्षा के द्वारा यह प्रयत्न करें कि इन अधिकारो और आजादी के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हो। विशिष्ट अतिथि के रूप में पुलिस अधीक्षक डी.एस. भदौरिया ने कहा कि संविधान में कानून के द्वारा महिलाओं को अधिकार दिए गये हैं। महिला अपराध होने पर महिलाएं सबसे पहले पुलिस के पास आती है। महिलाओं को विश्वास रहता है कि पुलिस सबसे पहले उनकी मदद करेगी। उन्होनें बताया कि महिलाओं से संबंधित पारिवारिक समस्याओं के निदान के लिए जिला स्तर पर परिवार परामर्श केन्द्र स्थापित है, जिसमें पारिवारिक समस्याओं का निराकरण कराया जाता है। उन्होनें बताया कि जघन्य अपराध हेतु 1090 एवं 1098 पर सूचना दी जा सकती है। साथ ही डायल 100 पर भी सूचना दी जा सकती है। उन्होनें कहा कि सूचना प्राप्त होते ही तत्परता के साथ पुलिस द्वारा कार्यवाही की जाती है। महिलाओं एवं बच्चियों को जागरूक करने एवं सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए स्कूल एवं कालेज स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अवसर पर बाल संरक्षण की आयोग पूर्व सदस्य विजया शुक्ला ने कहा कि महिलाएं मॉ दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती स्वरूप होती है। महिलाएं दो परिवारों को संभालती हैं। उन्होने कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगें बढ रही है। उन्होनें प्रदेश शासन द्वारा संचालित लाडली लक्ष्मी, लाडो अभियान, जननी सुरक्षा, उज्जवला योजना, गांव की बेटी योजना के बारे मे जानकारी दी। जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि सत्येन्द्र कलावत ने कहा कि महिलाओं के सम्मान के प्रति हमारे विचारों में स्वतंत्रता का व्यक्तित्व होना चहिए। सभी वर्ग, भेद, लिंग, जाति के प्रति उनके अधिकारों को जाग्रत करना, समाज विशेष में किसी प्रकार की भेदभाव का विचार न हो यही मानव अधिकार आयोग की मंशा है। इस अवसर पर जिला विधिक सहायता अधिकारी विजय चिढार ने संविधान मे निहित महिलाओं से संबंधित कानून एवं अधिकारों के बारे मे विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें घरेलू हिंसा संरक्षण कानून के बारे में बताया। इस दौरान मानव अधिकार आयोग के जिला संयोजक प्रोफेसर पराशर ने बताया कि वर्ष 1993 में भारत में मानव अधिकार आयोग अस्तित्व में आया। किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता, गरिमा तथा जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं की मांग अधिकार के रूप में करना ही मानव अधिकार आयोग का उद्देश्य है। उन्होनें बताया की मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाए गये हैं। कानून की रक्षा एवं मानव अधिकारों के लिए उल्लंघन करने पर न्यायलय तथा मानव अधिकार आयोग में न्याय हेतु जा सकते है। उन्होनें कहा कि महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव जाग्रत करना हम सभी की जिम्मेदारी होना चहिए। कार्यशाला में अपर कलेक्टर ए. के.चांदिल, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास सजन मिश्रा, प्राचार्य शासकीय नेहरू स्नात्कोतर महाविधालय श्री डी. राहुल, समस्त सुपरवाईजर महिला एवं बाल विकास, आंगनवाडी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं उपस्थित थीं। कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार प्रदर्शन परियोजना अधिकारी विजय यादव ने किया।