भोपाल(ई न्यूज एमपी)-नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के नेतृत्व में आज कांग्रेस विधायकों ने विधायक माखनलाल जाटव हत्याकांड के आरोपी राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य को बर्खास्त करने के लिए राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली के नाम पर एक ज्ञापन उनकी अनुपस्थिति में राज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ. एम. मोहन राव को सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि हाल ही में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के द्वारा दिए गए निर्णय परिप्रेक्ष्य में यह स्पष्ट हो गया है कि श्री आर्य जाटव हत्याकांड में शामिल होने के आरोप से बरी नहीं हैं और उनकी जमानत की याचिका भी खारिज कर दी गई है, इसलिए उनका पद पर बने रहना संविधान और कानून का खुला उल्लंघन है। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और अनूप मिश्रा की तरह आर्य को भी बर्खास्त करे। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि राज्यपाल को इसके पहले भी जब श्री आर्य को जिला अदालत भिंड ने माखनलाल जाटव हत्याकांड में आरोपी बनाया था, तब भी ज्ञापन सौंपा था, मुख्यमंत्री के निवास के सामने धरना दिया था। उन्होंने कहा कि दुःखद है कि प्रदेश में कानून का पालन शिवराज सरकार नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार में उन्हीं पर कानून लागू होता है जो इस प्रदेश के नागरिक हैं या जो उनके राजनीतिक विरोधी हैं। श्री सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को याद दिलाया कि उन्हीं ने जुलाई 2010 में ग्वालियर में हुए बेलाकांड में तत्कालीन लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री श्री अनूप मिश्रा से इसलिए इस्तीफा मांग लिया था, जबकि वे घटना दिनांक को उज्जैन में थे। इसी तरह वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती को इसलिए हटा दिया गया था कि उनके खिलाफ हुबली न्यायालय में अदालत में पेश होने का सम्मन जारी किया था। दुःखद है कि वही मुख्यमंत्री और वही भारतीय जनता पार्टी लाल सिंह आर्य के मामले में दोहरा रवैया अपना रहे हैं। यहीं भारतीय जनता पार्टी का असली चेहरा और चरित्र है। राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में उन्हें याद दिलाया कि 27 मई 2017 को भिंड जिला अदालत के माननीय विशेष न्यायाधीश द्वारा लाल सिंह आर्य को माखनलाल जाटव हत्याकांड का आरोपी बनाया था और उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था, के संबंध में ज्ञापन सौंपा था, जिस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। ज्ञापन में कहा गया कि श्री आर्य द्वारा इस संबंध में विशेष अदालत और बाद में माननीय हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में जमानत की जो अर्जी लगाई थी, वह भी खारिज कर दी गई। माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की यह टिप्पणी "माखनलाल जाटव हत्याकांड के मामले के साक्ष्य में प्रथम दृष्टया मंत्री का हस्तक्षेप प्रतीत होने के आधार पर उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज किया जाता है।" माननीय उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि "तीन गवाहों के बयानों में सामने आया है कि लाल सिंह आर्य के उकसाने पर आरोपियों ने विधायक माखन लाल जाटव पर गोली चलाई थी, जो सिर में जाकर लगी, इससे उनकी मौत हुई, हत्याकांड में शामिल होना साफ दिख रहा है। ऐसी स्थिति में उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना उचित नहीं है।" सौंपे गए ज्ञापन में कहा कि वर्तमान में विधानसभा का सत्र चल रहा है, श्री आर्य सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले रहे हैं। एक फरार और हत्या के आरोपी का लोकतंत्र के मंदिर में भाग लेना शर्मनाक है और असंवैधानिक भी है। श्री आर्य के खिलाफ माननीय न्यायालयों के उक्त आदेश के बाद उन्हें अब एक मिनट भी पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। चूंकि वे एक मंत्री हैं और शासन-प्रशासन में प्रतिदिन की कार्यवाही से जुड़े हैं। अगर वे स्वयं हत्या के आरोपी हैं तो अनेक मामलों में जो उनके अधिकार क्षेत्र में है उस पर वे किसी दोषी या निर्दोष को कैसे न्याय दे सकते हैं। अतः उनके मंत्री पद पर रहने से आम जनता का विश्वास भी शासन प्रशासन से उठ जाएगा। प्रदेश में संवैधानिक प्रमुख होने के नाते इस मामले को संज्ञान में लें और हत्या के आरोपी मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें। ऐसा करके आप शासन-प्रशासन पर आए विश्वास के संकट को दूर कर सकेंगे। ज्ञापन सौंपने गए कांग्रेस विधायकों में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, उपनेता बाला बच्चन, गोविंद सिंह, यादवेन्द्र सिंह, जयवर्द्धन सिंह, सुरेन्द्र सिंह हनी, हरदीप सिंह डंग, नातीराजा, सौरभ सिंह, सुखेन्द्र सिंह बना, नीलांशु चतुर्वेदी, सचिन यादव, गिरीश भंडारी, झूमा सौलंकी, सुरेन्द्र सिंह बघेल सहित अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता उपस्थित थे।