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स्वच्छता का काम बेहतर, लोग श्रमदान के लिए आगे आएं'

इंदौर(ई न्यूज एमपी)- शहर में स्वच्छता के साथ ही जो विकास कार्य किए जा रहे हैं, वह प्रशंसनीय है। इससे इंदौर का विकास हो रहा है। खासतौर से खान नदी की सफाई बहुत अच्छा प्रयास है। मैं भी चाहती हूं कि खान नदी पहले की तरह की तरह बहने लगे। इसकी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है। निगम ध्यान रखे कि नदियों के आसपास की सीमा में अतिक्रमण और नदी गंदी न हो।

यह बात लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बुधवार को महापौर मालिनी गौड़ के साथ संवाद नगर से चिड़ियाघर के पास से खान नदी के सफाई कार्य का अवलोकन करते हुए कही। उन्होंने शहरवासियों के सहयोग की भी तारीफ की। वहां निगम ने सफाई कर नदी को नहर का रूप दिया है। महापौर ने उन्हें बताया कि निगम ने बुलडोजर-पोकलेन मशीन लगाकर नदी से सैकड़ों डंपर गाद निकाल दी है। यह काम लगातार हो रहा है। महाजन ने नौलखा स्थित हनुमान मंदिर का भी अवलोकन किया।

महापौर ने बताया कि सफाई कार्य के दौरान पुराने घाट के साथ तीन पुराने कुएं निकले हैं जहां निगम ने फव्वारे लगाए हैं। घाट और कुओं की सफाई के दौरान ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए सारा काम सावधानी से किया जा रहा है। स्पीकर ने कहा महापौर और उनकी टीम नदी सफाई का अच्छा काम कर रही है। यह भी ध्यान रखा जाए कि नदी के आसपास बस्तियों से किसी तरह की गंदगी नदी में न आए। घर और मंदिरों से निकलने वाली पूजन सामग्री नदी में नहीं डालने दी जाए।

निगमायुक्त मनीष सिंह और महापौर ने बताया खजराना गणेश मंदिर और रणजीत हनुमान मंदिर से निकलने वाले वेस्ट से खाद बनाने के संयंत्र मंदिर परिसर में स्थापित किए गए हैं। नदी किनारे या नदी में कचरा नहीं डालने के बोर्ड भी लगाए गए हैं। निरीक्षण के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने महाजन से कहा कि नदी के पुराने हिस्से में सफाई के लिए राज्य सरकार से सात करोड़ रुपए चाहिए। जनप्रतिनिधियों को ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिससे नदी सफाई के दौरान लोग श्रमदान के लिए आगे आएं।

ट्रेंचिंग ग्राउंड में देखा कचरे से खाद बनाने का काम

नदी सफाई देखने के बाद महाजन बायपास स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंचीं और वहां कचरे से खाद बनाने का काम देखा। महापौर ने बताया इंदौर ऐसा पहला शहर है जहां गीला-सूखा कचरा अलग-अलग कर खाद बनाई जा रही है। निगम ने ट्रेंचिंग ग्राउंड पर आने वाले 90 प्रतिशत कचरे के निपटान का प्रबंध किया है। कचरे से बनने वाली खाद किसानों और नर्सरी को बेची जा रही है। निगमायुक्त ने बताया ग्राउंड पर लगे कचरे के ढेर दो साल में खत्म कर देंगे।

ई-वेस्ट का क्या करते हो

महाजन ने कहा ट्रेंचिंग ग्राउंड की समस्या पूरे देश में है, लेकिन इंदौर में कचरे से खाद बनाई जा रही है जो प्रशंसनीय है। उन्होंने पूछा कि शहर से निकलने वाले ई-वेस्ट का निपटान कैसे करते हो? यह पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है। इस पर महापौर और आयुक्त ने बताया ई वेस्ट निपटान के लिए पीथमपुर की फैक्टरी में दिया जाता है। निगम के कंसल्टेंट असद वारसी ने बताया संबंधित फैक्टरी को मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने प्रमाण पत्र भी दिया है। निरीक्षण के दौरान एमआईसी सदस्य दिलीप शर्मा, बलराम वर्मा, शोभा गर्ग, पार्षद गोपाल मालू, सांसद प्रतिनिधि महेश जोशी, अशोक डागा, रामस्वरूप मूंदड़ा, किशोर कोडवानी और निगम अफसर मौजूद थे।

महापौर की पीठ थपथपाई

लोकसभा स्पीकर ने दौरे और प्रेस से चर्चा के दौरान महापौर के नेतृत्व में लगातार हो रहे विकास कार्यों के लिए महापौर की पीठ थपथपाई। वे अपनी गाड़ी छोड़कर महापौर की गाड़ी में सवार हुईं और काम देखे। कुछ महीने से महाजन और महापौर खेमे में खींचतान की खबरों के बीच ऐसा करना दोनों पक्षों के समर्थकों में भी चर्चा का विषय रहा। इंदौर का नाम इंदूर करने के सवाल को महाजन ने यह कहते हुए टाल दिया कि यह नगर निगम का विषय है।

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