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पानी की बूंदो ने किसानों को पहुंचा दिया बुलंदियो पर .......

बड़वानी (ई न्यूज़ एमपी ).ग्राम अंजराड़ा के किसान टपकती हुई पानी की बूंदो ने देश के सबसे पिछड़े क्षेत्र होने के कारण वन बंधु योजना में सम्मिलित प्रदेश के एक मात्र विकासखण्ड पाटी के 307 किसानो की तकदीर बदल दी है। आज यह किसान अल्प समय में ही इतनी बुलंदियो पर विराज हो गये है। जहां से पीछे देखने पर वे स्व-प्रेरणा से स्वीकार करने लगे है कि उन्होंने सपनो में भी कभी नही सोचा था कि उनकी इस जमीन पर इतना उत्पादन होगा, वह भी सिर्फ टपक सिंचाई प्रणाली के कारण ग्राम अंजराड़ा के रहवासी किसान नवलसिंह ठाकुर ने वन बंधु योजना के तहत मिली टपक सिंचाई प्रणाली को अपने 1 एकड़ क्षेत्र अर्थात् 0.400 हैक्टर में यह, योजना प्रथम वर्ष उन्होने 0.400 हेक्टर क्षेत्र में प्याज तथा अनार के 266 पौधे लगाये थे। अंतरवर्गीय तकनीक से लगाये गये प्याज से उन्हे जहां 54 हजार रुपये मूल्य का 90 क्विंटल प्याज का उत्पादन प्राप्त हुआ प्याज के बाद इसी खेत इसी खेत में बाद मे गेहूं से 13 हजार रुपये मूल्य का 9 क्विंटल गेहूं उसके बाद लगाये गये बैंगन से से 15 हजार रूपये प्राप्त हुआ था। वर्तमान में वह इसी खेत में डालर चना लगाने जा रहे है। और उम्मीद है कि वे इससे लगभग 15 हजार रूपये और कमा लेंगे, अभी तक टपक प्रणाली से उन्होने इस खेत के टुकड़े से 82 हजार 5 सौ रुपये कमाये है। जबकि उनकी मुख्य फसल के रूप में लगाये गये अनार अगले वर्ष से उत्पादन प्रारंभ कर देगे। जिससे उन्हें पहले वर्ष एक पौधे से लगभ 10-12 किलो अनार प्राप्त होने लगेंगे, जो अगले तीन वर्षो में बढ़कर प्रति पौधा 25-30 किलो तक पहुंच जायेगा। और तीसरे वर्ष से प्रारंभ यह उत्पादन अगले 20 वर्ष तक सतत् प्रारंभ रहेगा। यदि अनार का बाजर मूल्य 50 रुपये किलो भी मान ले तो किसान को अच्छा खासा लाभ होगा। और यह लाभ वे अपनी परम्परागत फसल लगाकर प्राप्त नही कर सकते थे।
उप सचालक उद्यानिकी श्री अजय चौहान बताते है कि वन बंधु योजना के तहत सन् 2015 में विकासखण्ड पाटी के 18 ग्रामो में 307 कृषको को उनके 235 एकड़ में टपक सिंचाई प्रणाली के साथ-साथ भगवा अनार के 62510 पौधे मंगाकर निःशुल्क दिये गये थे। इस योजना से लाभान्वित किसानो ने अनार के पौधे के बीच में अपनी इच्छानुसार प्याज सहित अन्य फसल लगाकर जहां अच्छा उत्पादन प्राप्त किया है। वही अब तीसरे वर्ष से उन्हे एक पेड़ से 10-12 किलो अनार मिलना प्रारंभ हो जायेगा। यह उत्पादन अगले 20 वर्ष तक सतत् बढ़ते-बढ़ते प्रति पौधा 25-30 किलो तक पहुंच जायेगा। इससे इन किसानो को 50 रुपये प्रति किलो के मान से लाखो रूपये की राशि प्रति वर्ष अनार के विक्रय से प्राप्त होने लगेगी हैं।

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