भोपाल(ई न्यूज़ एमपी)पर्यावरण संरक्षण के लिए नर्मदा सेवा यात्रा और पौधरोपण का रिकॉर्ड बनाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आव्हान पर किसानों ने अपने खेतों में फलदार पौधे लगाए पर अब वे ठगे से महसूस कर रहे है। इसकी वजह यह है कि फलदार पौधे लगाने के एवज में सरकार की ओर किसानों को जो प्रोत्साहन राशि दिया जाना था, उसका भुगतान छह माह बाद भी नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र नसरुल्लागंज के छीपानेर गांव के किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री की बातों में आकर हमने अपने खेतों में बड़े पैमाने पर फलदार पौधे लगाए हैं। पौधों को लगाने और संरक्षित करने में अभी तक अपनी जेब से पैसे खर्च किए हैं। छह महीने से राशि नहीं मिली है। पहले अधिकारी हमारे चक्कर लगाते थे और अब हम उनके चक्कर काट रहे है। नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आव्हान पर उद्यानिकी, वन और पंचायत एवं ग्रामीण विभाग ने किसानों को अपने खेतों में और मेढ़ों में फलदार पौधे लगाए लिए है। तब किसानों से अधिकारियों ने वायदा किया था कि इसके एवज में उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। चूंकि योजना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की थी, इसलिए किसानों ने भरोसा कर योजनान्तर्गत अपने खेतों में आम, अमरुद, संतरा, मौसंबी, सीताफल बेर, नींबू, चीकू इत्यादि के पौधे रोपे। किसानों ने फलदार पौधे और प्रोत्साहन राशि मिलने के लालच में खेत में दूसरे फसल भी नहीं बोए। किसान जेब से पैसा खर्च कर अब तक फलदार पौधे को संरक्षित किए हुए किन्तु अब उनके सब्र का बांध टूट रहा है। इसकी वजह यह है कि सरकार की ओर से अब तक फूटी कौड़ी भी मिली। जबकि नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि किसानों को प्रति पौधे के हिसाब से पैसे दिए जाएंगे। मनरेगा का भुगतान भी अटका पौधरोपण के दौरान मनरेगा के तहत गड्ढे खोदने, फेंसिंग, ड्रिप सहित अन्य सामग्री हेतु भुगतान किया जाना था। उद्यानिकी विभाग और जिला पंचायत के अधिकारियों में तालमेल के आभाव में मनरेगा कि तहत किए गए कार्यों का भुगतान भी नहीं हो पाया है। उद्यानिकी विभाग के पास ब्लॉक स्तर पर मात्र तीन लोगों का स्टाफ है। उद्यानिकी विभाग और जनपद पंचायत के अधिकारी भुगतान को लेकर एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं। मामला 16 जिलों का है निजी भूमि में फलोद्यान लगाने वाले सभी हितग्राहियों को फल पौधरोपण होने से 3 वर्षों तक ली जाने वाली परम्परागत फसलों के एवज में वित्तीय सहायता प्रतिवर्ष 20 हजार रुपए प्रति हेक्टर दी जायेगी । इस योजना को प्रदेश के कुल 16 जिलों में क्रियान्वित किया जारगा। योजना में चयनित हितग्राही से निर्धारित प्रारूप में एक वचन पत्र भी लिया जायेगा