सीधी : पंडित दीनदयाल उपाध्याय बहुआयामी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। वे कुशल अर्थचितंक,संगठनशास्त्री ,शिक्षाविद, राजीनीतिज्ञ एवं वक्ता थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष मे कलेक्टेट सभाकक्ष मंें आयोजित संगोष्ठी में संबोधित करते हुये नगरपालिका के अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह ने कहा कि उनकी सोच थी कि जब समाज के अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति की सेवा करेगे तो उसी में संतोष मिलेगा। उन्होने कहा कि समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति का विकास कर समाज की मुख्य धारा मंे लाना ही अन्त्योदय का मुख्य उद्वेश्य है। इस अवसर पर डा. राजेश मिश्रा, वरिष्ठ समाजसेवी के.के.तिवारी, राजमणि साहू, मनोज भारतीय, एस.पी.शुक्ला, जिला पचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मोहित बुदंस,अपर कलेक्टर डा. एम.पी.पटेल,सामाजिक न्याय के सतोष शुक्ला सहित जनप्रतिनिधि एवं जिला अधिकारी उपस्थित थे। के.के.तिवारी ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की एकात्म मानववाद एवं अत्योदय की अवधारणा इस समाज एवं राष्ट्र को आगे ले जाने का काम कर रही है। उनके लोकतंत्र के बारे मंे स्पष्ट विचार थे। समाज की कुरीतियों एवं बुराईयो को अपशमन कर समाज को विकास के पथ पर अग्रसर किया जा सकेगा। अत्योदय की अवधारणा में सबसे पहले उस व्यक्ति का उत्थान करना है जो निरीह है एवं अतिम छोर में है। उन्होने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि यदि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे तीन व्यक्ति मिल जाये तो वे देश की दशा और दिशा बदल सकते है। उन्होेने काफी चिन्तन और मनन के बाद देश को दिशा दी। उनके विचार के आधार पर सारा राष्ट्रखड़ा होगा और वैभवशाली होगा। डा. राजेश मिश्रा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन परिचय और व्यक्तित्व की जानकारी देते हुये बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम के सामने अजातशत्रु लगाया जाता है। उनका जन्म वर्ष 1916 में उनके नाना के यहां हुआ था। उनका जीवन बहुत सघर्षमय एवं कष्टप्रद था बचपन में ही उनके पिता और माता का देहांत हो गया था। वे मथुरा के रहने वाले थे। वे अंकगणित में काफी तेज थे। उन्होने 1947 में राष्ट्रधर्म के नाम पर एक संस्था बनायी। उनकी विचारधारा शुद्ध राष्टीय थी। उन्होने समाचार और पत्रिकाओं का प्रकाशन किया । वे 1937 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में रहे तथा 1937 से 1941 तक राष्टीय स्वयं सेवक सघ में काम करते रहे। पंडित जी ने मानववाद का दर्शन दिया। शरीर की तुलना राष्ट्र से की तथा बताया कि जिस तरह से शरीर के लिये सभी अंगअवयव काम करते है। उसी प्रकार राष्ट्रकाम करता है। हमारा देश एकात्म मानवदर्शन पर आधारित हैंै। राष्ट्र की आत्मा चिती है। राष्ट्र में जब सूखा, आपदा, बाढ या विपदाये आती है तो उससे सभी दुखी होते हैं। यह राष्ट्र की चिती है। उन्होने बताया कि अत्योदय का अर्थ समाज के दूरस्थ छोर में बैठा हुआ व्यक्ति का उदय होना है। समाज गरीबी रेखा से ऊपर उठे। हमारी कुछ प्रकृति है भूख लगना प्रकृति है। मिलबाटकर खाना संस्कृति है छीन कर खाना विकृत है। उन्होने कहा कि हमे ऐसी शक्ति दे जिससे विश्व हमे जीत न सके। इस मौके पर इन्द्रशरण सिंह और एस.पी.तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी में जिला पचंायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मोहित बुदस ने संबोधित किया और अपर कलेक्टर डा. एम.पी.पटेल ने आभार व्यक्त किया।