सीधी (सचीन्द्र मिश्र): सीधी जिले के मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित विंध्य क्षेत्र के आस्था का केंद्र माने जाने वाले बढ़ौरानाथ शिव मंदिर मार्ग इन दिनों अव्यवस्थाओं के दलदल में डूबा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग-39 से जुड़ी यह सड़क जो मंदिर तक पहुँचती है, लगभग 1 किलोमीटर से भी कम लंबी है, लेकिन बीते पांच वर्षों से जर्जर हालत में पड़ी है — जैसे पीडब्ल्यूडी ने इसे विकास की सूची से ही हटा दिया हो। श्रावण मास में जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं, तो NH-39 से उतरते ही उन्हें कीचड़ नुमा एक "स्विमिंग पूल" दिखाई देता है। श्रद्धालु भी सोचते होंगे — "भगवान की कैसी लीला है," और लोग आजकल "लीला की लीला" में ही व्यस्त हैं। क्योंकि आजकल “लीला” शब्द जिले में बड़ा चर्चित है (जो लोग समझ गए, वो मुस्कुराएं!)। खैर, विषय बदल रहा है... हम उस पर बात नहीं करेंगे। श्रद्धालु NH-39 से उतरते ही जैसे ही मंदिर की ओर बढ़ते हैं, उन्हें घुटनों तक कीचड़ में डुबकी लगाने का सौभाग्य प्राप्त होता है, फिर जाकर कहीं भोलेनाथ के दर्शन होते हैं। कुछ आगे चलकर एक संकरी पीसीसी सड़क जरूर मिलती है, लेकिन उसकी हालत भी गड्ढों और उखड़ी परतों से कराहती है। श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है — खासकर श्रावण के सोमवार, बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर, लेकिन सड़क की जर्जर हालत श्रद्धा के रास्ते में रोड़ा बन गई है। अब सवाल उठता है कि: आखिरकार इन पांच वर्षों में यह सड़क क्यों नहीं बन पाई..? या बनी तो पीडब्ल्यूडी के कागजों तक सीमित रह गई ...? क्यों इसका चौड़ीकरण नहीं हुआ? क्या इसका उत्तर सिर्फ भगवान ही दे सकते हैं? क्योंकि उन्हीं के दरबार में जिले के तमाम VVIP जनप्रतिनिधि और आला अधिकारी सिर नवाते हैं, मनोकामना मांगते हैं, लेकिन क्या मजाल कि उनकी नजर स्विमिंग पुल में तब्दील इस गड्ढे पर पड़ जाए। और पड़े भी क्यों? चारपहिया गाड़ी से आना-जाना होता है, फिर कीचड़ लगे कैसे ? जरा एक बार पैदल चलकर भोलेनाथ के दर्शन कर लें, तो शायद उन्हें भी सड़क निर्माण की अनुभूति हो जाए। हमें तो लगता है कि अगर जनप्रतिनिधि और अधिकारी अपनी इच्छा शक्ति दिखाएं, तो यह सड़क कुछ ही दिनों में बन सकती है। सड़क की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत(पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग) और पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन है, लेकिन विभाग मौन साधे बैठा है। न जाने कितने सावन गुजर गए, लेकिन विभाग भोलेनाथ के भक्तों की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। अब वक्त है कि सोए हुए विभागों के हनुमान को जगाया जाए, ताकि श्रद्धालुओं को सकुशल दर्शन हो सकें।