भोपाल(ईन्यूज़ एमपी)- नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री किसान हितैषी हैं और किसानों को राहत देना चाहते हैं तो किसानों का कर्जा माफ करें स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करें और किसानों की उपज लागत के आधार पर 50 प्रतिशत अधिक समर्थन मूल्य पर खरीदें। उन्होंने कहा कि स्थगन प्रस्ताव के जवाब में मुख्यमंत्री यह घोषणा करके ही मंदसौर में 6 जून को किसानों के आंदोलन पर हुए गोली कांड से सबक सीखा है यह बताएंगे। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मंदसौर जिले के पिपल्या मंडी में किसानों के आंदोलन पर हुए गोलीकांड और उसके बाद किसानों द्वारा लगातार की जा रही आत्महत्या पर कांग्रेस द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आज प्रदेश में किसान अगर आंदोलित है तो उसका मूल कारण है कि सरकार की घोषणाएं होती कुछ हैं और वाहवाही लूटने के बाद उसपर कोई क्रियान्वयन नहीं होता । उन्होंने कहा कि सूदखोरी पर विधेयक लाने की घोषणा की थी केबिनेट से उसकी मंजूरी भी ली थी लेकिन उसके बाद वह ठंडे बस्ते में चला गया। श्री सिंह ने कहा कि अगर रसूखदारों के खिलाफ सूदखोरी विधेयक पारित हो जाता तो आज प्रदेश में सूदखोरों के दबाव में आत्महत्या नहीं करनी पड़ती। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इसी तरह उपवास समाप्त करने के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि जो व्यापारी समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज नहीं खरीदेगा उसपर एफआईआर दर्ज की जाएगी। लेकिन जब आदेश जारी हुआ तो उसमें एफआईआर की बात गायब थी। श्री सिंह ने कहा कि स्थगन प्रस्ताव के चर्चा के दौरान कृषिमंत्री ने कहा कि किसी भी किसान की जमीन कुर्क नहीं होगी पर आज की तारीख तक शासन ने ऐसा कोई भी आदेश नहीं निकाला है। किसानों की जमीन बिजली का बिल नहीं भरने और ऋण नहीं चुकाने पर कुर्क की जा रही है जबकि उसे उसकी फसल का दाम नहीं मिला उसकी फसल खराब हो रही है। श्री सिंह ने कहा कि 2 साल पहले मुख्यमंत्री ने एक हजार करोड़ से किसान कल्याण कोष बनाने की बात कही थी। इस कोष से किसानों को उसकी उपज का उचित मूल्य दिलाने की व्यवस्था की गई थी। घोषणा के बाद हमेशा की तरह मुख्यमंत्री यह बात भूल गए। इसकी याद तब आई जब पिपल्या मंडी में किसानों पर गोली चालन की घटना हुई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री घोषणावीर हैं घोषणाएं करके भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज किसान को प्रामाणिक बीज भी नहीं मिल रहा है असली और नकली कंपनी को अनुमति मिले इस मुद्दे पर सरकार के कृषि मंत्री और उन्हीं की पार्टी के सांसद खुलेआम मंच पर लड़ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसानों के नाम पर वाहवाही लूटने वाली, कृषि कर्मण अवार्ड लेने वाली सरकार ने कभी किसानों की बुनियादी जरूरतों पर कभी गौर नहीं किया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पिछले साल भी किसानों ने अपनी प्याज उचित मूल्य न मिलने पर सड़कों पर फेंकी थी इससे कोई सबक इस सरकार ने नहीं लिया। अगर पिछले एक साल में भंडारण की व्यवस्था हो जाती तो इस साल किसानों को प्याज सड़कों पर नहीं फेंकना पड़ती। और न ही सरकार को करोड़ों रूपए खर्च करना पड़ते। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि प्याज के नाम पर व्यापारियों की कमाई हुई। सतना में किस व्यापारी ने कितने कमाए सरकार इसका पता लगाए। उन्होंने कहा कि बाहर की प्याज इस प्रदेश में बिकी और हमारा किसान फिर ठगा सा रह गया। खेती को लाभ का धंधा बनाते बनाते अचानक मुख्यमंत्री का मोह भंग हो गया और उन्होंने एक समारोह में बच्चों को यह बता दिया कि खेती लाभ का धंधा नहीं रही गई, उद्योग लगाओ।