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Home मध्य प्रदेश सीएम हेल्पलाइन के प्रकरण समय-सीमा में निराकरण न करने पर अधिकारियों के खिलाफ होगी कड़ी कार्यवाही-कमिश्नर

सीएम हेल्पलाइन के प्रकरण समय-सीमा में निराकरण न करने पर अधिकारियों के खिलाफ होगी कड़ी कार्यवाही-कमिश्नर

इंदौर(ईन्यूज़ एमपी)-कमिश्नर संजय दुबे की अध्यक्षता में आज कमिश्नर कार्यालय सभाकक्ष में सीएम हेल्पलाइन और लोक सेवा गारंटी के संबंध में समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। बैठक में कमिश्नर दुबे ने इंदौर संभाग के सभी कलेक्टर्स और प्रभारी अधिकारी सीएम हेल्पलाइन (डिप्टी कलेक्टर) को निर्देशित किया कि वे सीएम हेल्पलाइन, लोक सेवा गारंटी, समाधान ऑनलाइन और जनसुनवाई के प्रकरण समय-सीमा में निराकृत करें, अन्यथा संबंधित अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने उन तहसीलदरों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिये, जिन्होंने समय-सीमा में सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों का निराकरण नहीं किया। उन्होंने खण्डवा और धार के एक-एक तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिये।

कमिश्नर श्री दुबे ने कहा कि राज्य शासन द्वारा सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। संभाग में एक हजार 84 प्रकरण अभी भी लंबित हैं। इसमें राजस्व विभाग के सर्वाधिक प्रकरण हैं। इन प्रकरणों में विलंब करने या हीलाहवाली करने पर संबंधित तहसीलदार और एसडीएम के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने सभी संबंधित कलेक्टर्स को निर्देश दिये सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों में स्वयं रुचि लेकर लंबित प्रकरण एक सप्ताह के भीतर निराकरण कर सूचित करें। उन्होंने कहा कि सीएम हेल्पलाइन में लंबित प्रकरणों के लिये कलेक्टर्स ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि कई प्रकरण दोबारा आ जाते हैं या कलेक्टर के क्षेत्राधिकार के बाहर के होते हैं, ऐसे प्रकरणों का निराकरण आसानी से एकतरफा किया जा सकता है। संभाग के सभी कलेक्टर स्वयं हेल्पलाइन प्रकरणों का प्रतिदिन अनुश्रवण करें। उन्होंने कहा कि राजस्व अधिकारीगण नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन के प्रकरण समय-सीमा में निराकृत करें, अन्यथा उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जायेगी और नियमानुसार दण्डित किया जायेगा। सीएम हेल्पलाइन के संबंध में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी।

मुख्यमंत्री घोषणा के लंबित प्रकरणों की समीक्षा करते हुये उन्होंने बताया कि इंदौर संभाग में मुख्यमंत्री घोषणा के 756 प्रकरण थे, जिनमें से 515 प्रकरणों का निराकरण कर दिया गया है, शेष 241 प्रकरण शीघ्रातिशीघ्र निराकृत किये जायें। लंबित प्रकरणों में अधिकांश राज्य शासन से संबंधित हैं। राज्य शासन स्तर पर उनका निराकरण होना है। उन्होंने कहा कि जिन प्रकरणों का निराकरण कर दिया है उसकी सूचना मुख्यमंत्री सचिवालय को लिखित रूप से दी जाये।

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