(ईन्यूज़ एमपी):-कमिश्नर शहडोल संभाग श्री बी.एम.शर्मा द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों और आदेशों की अवहेलना करने एवं अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मनमाने ढंग से निर्माण कार्यों का मूल्यांकन किये जाने के कारण मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम 1909 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुये सहायक यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग शहडोल श्री सुरेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में सहायक यंत्री श्री सुरेंद्र सिंह का मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय जिला-शहडोल नियत किया गया है। निलंबन अवधि में नियमानुसार उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा। जारी आदेश में कमिश्नर ने कहा है कि कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग शहडोल द्वारा प्रस्तुत नोटशीट प्रतिवेदन 15 जून 2017 के अनुसार श्री सुरेंद्र सिंह सहायक यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (अनुविभागीय अधिकारी बुढ़ार) को अधीक्षण यंत्री, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, मण्डल शहडोल के आदेश क्रमांक 870 14 सितम्बर 2016 द्वारा सहायक यंत्री मनरेगा के पद से मुक्त करते हुये खनिज प्रतिष्ठान योजनान्तर्गत स्वीकृत निर्माण कार्यों के सत्यापन हेतु आदेश क्रं.डी.एम.एफ./2016-17/67, 17 अक्टूबर 2016 द्वारा कार्यालय यंत्री, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग शहडोल को अधिकृत किया गया था। श्री सिंह, विकास खण्ड बुढ़ार में सहायक यंत्री के पद पर पदस्थ न होने के बावजूद भी अनाधिकृत रूप से उक्त कार्यों के निरीक्षण/पर्यवेक्षण तथा क्रियान्वयन एजेंसी को आवश्यक सुधार हेतु निर्देश दिये बगैर माप पुस्तिका में 25 मार्च 2017 को अनुचित कटौती करना दर्शाया गया, जबकि उक्त अवधि में श्री सुरेंद्र सिंह, सहायक यंत्री, कार्यमुक्त हो जाने के कारण मूल्यांकन करने हेतु अधिकृत नहीं थे। कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, संभाग शहडोल के पत्र क्रमांक 704, 03 जून 2017 द्वारा कार्यों को अनाधिकृत रूप से मूल्यांकन एवं कटौती करने के संबंध में स्पष्टीकरण जारी कर उत्तर चाहा गया किंतु श्री सिंह द्वारा उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया। स्पष्ट है कि श्री सिंह द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों/आदेशों की अवहेलना करते हुये अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मनमाने ढंग से मूल्यांकन किये गये हैं। अतएव श्री सिंह को उक्त कृत्य उनके पदीय दायित्वों के विपरीत है, जो म.प्र.सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम के विपरीत होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है।