#ज्वलन्तमसला #ratlam देश का अन्नदाता आजाद भारत की शुरुआत से ही तंगहाल रहा है, #कांग्रेस आज किसानों की दशा से सबसे जायदा दुखी दिखाई दे रही है यदि अपने 50 वर्षो के शासन में उसने इससे आधा भी प्रयास किया होता तो हालात कुछ और ही होते,किसानों के ओर #कांग्रेस के भी। #भाजपा संगठनात्मक दल का दम्भ भरती है,गाँव गाँव मे मजबूत संगठनात्मक संरचना के बाद भी क्या इनको किसानों की दयनीय स्थिति नही दिखाई दे रही थी जाहिर है सत्ता की खुमारी में सब फील गुड महसूस कर रहे होंगे। गोलियां तो ऐसे चल जैसे पानी की बौछार। खैर अब तक मसला शांत हो जाना चाहिये था, मगर रक्तपिपासु प्यास का क्या ? कई महत्वाकांक्षी नोसिखिये ओर छुटभैये नाम औऱ सत्ता की लालसा में आग में घी डाल रहे है,बंद, धरना,आंदोलन आदि आदि।। अपनी राजनैतिक लालसा की पूर्ति के लिए अब तो रहम करो, सीधे साधे किसानों को बरगलाकर अपनी रोटी मत तपाओ। किसी ने सही कहा है। "मैं किसान हुँ , सूखी पीली फसले हैं , बादल रूठे से लगते हैं , बारिश न होने से परेशान हूँ , मैं किसान हुँ !"