रीवा(ईन्यूज एमपी)विगत कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी सिद्ध श्री चिरहुला नाथ मंदिर प्रांगण में श्रीमद् भागवत महापुराण का शुभारंभ 25 दिसंबर बुधवार से हो गया है बुधवार को सर्व प्रथम देव आवाहन पूजन के उपरांत कथा व्यास पंडित बाला वेंकटेश शास्त्री ने हाई कोर्ट दरबार श्री राम सागर हनुमान मंदिर पहुंचकर हनुमान जी की पूजा अर्चना के उपरांत गाजे बाजे के साथ कलश यात्रा प्रारंभ हुई जो सिद्ध श्री चिरहुला नाथ मंदिर पहुंचकर श्रीमद् भागवत महापुराण के पूजन के साथ कथा प्रारंभ हुई कथा के प्रारंभ में आचार्य जी श्रीमद् भागवत महापुराण के माहात्म्य का वर्णन करते हुए बताए कि भागवत कथा में प्रवेश करने से पहले मंगला चरण किया गया है मंगला चरण से तात्पर्य है कि जब तक हमारा आचरण मंगल नहीं होगा तब तक भगवान की लीलाओं में प्रवेश पाना संभव नहीं है क्योंकि भगवान के पास तक पहुंचने में हमारे जीवन का आचरण बहुत महत्वपूर्ण होता है जब तक हमारे अन्दर ईर्ष्या द्वेष विद्यमान है तब तक भगवान की प्राप्ति संभव नहीं है हनुमान जी को भगवान मिले उनका आचरण मंगल था शबरी को भगवान मिले आचरण मंगल था विभीषण भगवान के पास पहुंचे क्योंकि उनका आचरण मंगल इसीलिए हमें भी भगवान की प्राप्ति तभी संभव है जब हम अपना आचरण मंगल बना लेंगे तब आगे शास्त्री जी ने बताया कि सत चित और आनन्द जिस समय इंसान अपने आचरण को मंगल कर लेगा उसी समय सत्य स्वरूप परमात्मा के मार्ग में प्रवेश हो जाएगा तभी उसके जीवन में दिव्य प्रकाश का उदगम हो जाएगा और इंसान का जीवन सच्चिदानंद स्वरूप हो जाएगा आगे शास्त्री जी ने भागवत जी के माहात्म्य में भक्ति नारद संवाद नारद सनकादिक धुंधकारी गोकर्ण सप्ताह श्रवण विधि श्रोता वक्ता के लक्षण एवं शुकदेव जी के प्राकट्य का बड़े ही विस्तार से वर्णन किए इस अवसर पर श्री चिरहुला नाथ जी के प्रमुख सेवक स्वामी गोकर्णाचार्य जी टोनी महराज शत्रुघ्न शुक्ला ब्रिजेन्द्र शुक्ल शिवकांत द्विवेदी अलख मुनि तिवारी शैलेन्द्र शर्मा हरीश शास्त्री ए पी त्रिपाठी अशोक सिंह पीतांबुज शास्त्री जी सहित भारी संख्या में उपस्थित भक्त गण भाव विभोर होकर कथा श्रवण किए आयोजन समिति ने बताया कि कथा की अमृत मई धारा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक निरन्तर रूप से प्रवाहित होगी एवं कथा का समापन 1 जनवरी को भंडारे के साथ किया जाएगा।