चित्रकूट ( ईन्यूज एमपी) संयुक्त राष्ट्र के धारणीय विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा 22 से 24 नवंबर 2024 तक चौथे अंतर्राष्ट्रीय सतत् विकास के लक्ष्य (एसडीजी) सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। चतुर्थ त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ शुक्रवार को दीनदयाल परिसर के विवेकानंद सभागार में मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, मध्यप्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री (केबिनेट) सुश्री निर्मला भूरिया, तेलंगाना राज्य के विशेष मुख्य सचिव अरविंद कुमार, सांसद सतना गणेश सिंह, विधायक चित्रकूट सुरेंद्र सिंह गहरवार, डॉ लोकेश शर्मा ओ एस डी मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अटल विहारी बाजपेई सुशासन नीति विश्लेषण, प्रो0 भरत मिश्रा कुलगुरु महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय , डॉ वी के जैन ट्रस्टी एवं निदेशक सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट, श्री अशोक जाटव जिला पंचायत अध्यक्ष चित्रकूट, पंकज अग्रवाल अध्यक्ष कोऑपरेटिव बैंक बाँदा-चित्रकूट, श्रीमती अनुजा ताई परचुरे प्रबन्ध समिति सदस्य डीआरआई, अभय महाजन संगठन सचिव दीनदयाल शोध संस्थान, वसंत पण्डित कोषाध्यक्ष द्वारा भारतरत्न नाना जी देशमुख के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलन से किया गया। बतादें कि इस सेमिनार में एसडीजी 5 - लैंगिक समानता और एसडीजी 7 - नवकरणीय ऊर्जा तथा ग्रामोदय से सर्वोदय के लक्ष्य की प्राप्ति में परिवार एक महत्वपूर्ण आधार है पर विमर्श किया जाएगा। एसडीजी-5 के अन्तर्गत महिला समानता प्राप्त करना तथा सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना तथा एसडीजी -7 के अन्तर्गत स्वच्छ एवं किफायती ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना है। सेमिनार के उद्घाटन अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष एवं सेमिनार के संयोजक वसन्त पंडित ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार वैश्विक संपर्क बनाने और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को गति देने के प्रयास को जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में देश भर से 14 प्रमुख संस्थान सहभागी बने हैं। उद्घाटन सत्र का संचालन करते हुए अभिताभ वशिष्ठ महाप्रबंधक दीनदयाल शोध संस्थान ने कहा कि सामाजिक क्षेत्र के सतत् विकास लक्ष्यों को कवर करने के लिए सम्मेलन के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, इसके तकनीकी सत्रों में सतत् विकास लक्ष्यों SDG-5 (लैंगिक समानता) और SDG-7 (सतत ऊर्जा) के संबंध में प्रगति में तेजी लाने के लिए अनिवार्यताओं पर चर्चा की जाएगी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव द्वारा वीडियो संदेश के माध्यम से कार्यक्रम में पधारे देश विदेश के सभी विद्युत जनों का अभिनन्दन करते हुए सेमिनार की सफलता के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित की। उद्घाटन सत्र में सतना सांसद गणेश सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख ने दीनदयाल शोध संस्थान के माध्यम से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के आधार पर ग्रामीण विकास का जो मॉडल प्रस्तुत किया वह आज अनुकरणीय है जो ग्रामीणजनों को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बना रहा है। डॉ लोकेश शर्मा ने पॉवर पॉइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से एसडीजी 5 के अंतर्गत मध्यप्रदेश शासन द्वारा लैंगिक समानता, एवम एसडीजी -7 स्वच्छ एवं किफायती ऊर्जा तक सभी की पहुँच सुनिश्चित करने हेतु पिछले 2 दशकों में उठाये गए ठोस कदमों एवं उससे प्राप्त हो रहे सकारात्मक परिणामों पर विस्तृत चर्चा की। मध्यप्रदेश की केबिनेट मंत्री श्रीमती निर्मला भूरिया ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख ने व्यक्तिगत जीवन की जगह सामाजिक जीवन को प्राथमिकता दी और अपना सम्पूर्ण जीवन समाज के लिए अर्पित कर दिया। मातृशक्ति का सम्मान एवं उनके सशक्तिकरण हेतु सामूहिक प्रयत्न हमारे जीवन का ध्येय बने। लैंगिक समानता के बिना कोई भी समाज सशक्त एवं समृद्ध नही हो सकता है इसे हम सभी अपने जीवन मे अपनाएं एवं बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान प्रदान करें। ऊर्जा के लिए पवन की शक्ति, सूर्य की ऊर्जा, समुद्र की ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग कैसे कर सकते है इस पर विचार करें। मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश तेजी के साथ विकास पथ पर अग्रसर है। आजादी की 100वीं वर्षगाँठ पर हम विश्व की पहली अर्थव्यवस्था बन जायेंगे और सम्पूर्ण विश्व का नेतृत्व करेंगें। अपनी संस्कृति एवं सभ्यता का संरक्षण एवं सम्वर्द्धन करना अति आवश्यक है तभी विकास हमारे लिए वरदान बनेगा। लैंगिक समानता के बगैर उन्नति का मार्ग नही निकलता जहाँ चाह वहाँ राह, मजबूत इच्छाशक्ति से ही विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। हम सभी का सामूहिक प्रयास देश को विश्व गुरु बनाने में सहभागी होगा। मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्वच्छ एवं किफायती ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित कराने हेतु किये जा रहे कार्यों का विस्तृत रोडमैप की जानकारी प्रदान की गई, 2030 तक ऊर्जा के कुल उपयोग के 50 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में सकारात्मक प्रयत्न किया जा रहा है।