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विजयपुर उपचुनाव में खल रही सिंधिया की कमी, रामनिवास से 4 साल पुरानी नाराजगी

भोपाल(ईन्यूज एमपी)-- मध्य प्रदेश में बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में प्रचार 11 नवंबर को थम जाएगा। बुधनी में तो जीत को लेकर भाजपा आश्वस्त है लेकिन विजयपुर में कांग्रेस कड़ी टक्कर दे रही है। ऐसे में भाजपा कार्यकर्ताओं को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमी खल रही है।कार्यकर्ता चाहते हैं कि ज्योतिरादित्य विजयपुर में प्रचार के लिए आएं।वैसे भी इस सीट से भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत के सिंधिया परिवार से गहरे और बहुत पुराने रिश्ते रहे हैं। रामनिवास स्व. माधवराव सिंधिया के भी बेहद करीबी रहे। उन्हीं के कोटे से वह दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी उनके रिश्ते वैसे ही थे लेकिन जब वर्ष 2020 में ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस छोड़ी तो रामनिवास उनके साथ नहीं आए। इसकी वजह यह थी कि रामनिवास खुद को कांग्रेस का वफादार मानते थे।इस वर्ष जब कांग्रेस ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए योग्य नहीं माना तो उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। रामनिवास रावत कांग्रेस में रहते हुए काफी ताकतवर नेता रहे हैं। जब वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस में थे तो मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं।वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में रावत कांग्रेस से छठी बार विधायक भी बने, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में वह भाजपा में शामिल हो गए। अब वह बिना विधायक निर्वाचित हुए भाजपा की मोहन सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री हैं। सिंधिया परिवार के करीबी रहने के बावजूद जब रामनिवास रावत ने कांग्रेस नहीं छोड़ी थी, तबसे ज्योतिरादित्य नाराज चल रहे हैं।रामनिवास रावत के भाजपा में आने में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की प्रमुख भूमिका रही। रामनिवास का साथ पाकर फिर नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर-चंबल की राजनीति में भाजपा के बड़े नेता बनने में सफल हुए हैं।

ज्योतिरादित्य के विजयपुर न आने के इन संभावित कारणों को अलावा यह भी कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य को महाराष्ट्र चुनाव प्रचार में लगाया गया है इसलिए वह विजयपुर

नहीं आ पा रहे हैं। वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर- चंबल की हर सीट पर चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं लेकिन इस बार उनके द्वारा दूरी बनाने की वजह लोगों के गले नहीं उतर रही है

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