भोपाल (ईन्यूज़ एमपी): मध्यप्रदेश में कांग्रेस एक बार फिर गहरे संकट में दिख रही है। पार्टी की कार्यकारिणी की दूसरी सूची के जारी होने के बाद, नेताओं में असंतोष की लहर और तेज हो गई है। 24 घंटे में ही पांच बड़े नेताओं ने अपने पद ठुकरा दिए हैं, जिनमें पूर्व विधायक समेत कई वरिष्ठ चेहरे शामिल हैं। नेताओं का आरोप है कि पार्टी में उनके कद के मुताबिक उन्हें पद नहीं दिया गया, जिससे उनके समर्थकों में निराशा फैल गई है। इस कलह का सिलसिला तब शुरू हुआ, जब इंदौर के वरिष्ठ नेता प्रमोद टंडन ने पहली सूची के बाद ही कांग्रेस पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था। दूसरी सूची जारी होने के बाद इस्तीफों का दौर और बढ़ा। भोपाल के पूर्व शहर अध्यक्ष मोनू सक्सेना, इंदौर के अमन बजाज, मुरैना के रामलखन दंडोतिया, रैगांव की पूर्व विधायक कल्पना वर्मा और यासिर हसनत सिद्दीकी ने अपने पद ठुकराने का साहसिक कदम उठाया। सभी ने एक सुर में यही कहा कि उनके कद और काबिलियत को नजरअंदाज किया गया है। "कांग्रेस में बढ़ता असंतोष और पदों पर खींचतान" मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और ऐसे वक्त में पार्टी में असंतोष का बढ़ना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। स्थानीय स्तर पर असंतोष की यह लहर पार्टी के चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है, जिससे प्रदेश नेतृत्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस के कई नेता अब खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, जिससे पार्टी का आंतरिक संकट सार्वजनिक होता नजर आ रहा है। "क्या कांग्रेस में फिर से दिखेगा गुटबाजी का दौर?" इन इस्तीफों के बाद कांग्रेस में फिर से गुटबाजी और आपसी खींचतान का दौर शुरू हो सकता है। पार्टी के लिए चुनौती यह है कि इन वरिष्ठ नेताओं के असंतोष को कैसे संभाला जाए। कांग्रेस हाईकमान के लिए यह एक बड़ा संकेत है कि अगर वक्त रहते इन असंतुष्ट नेताओं को शांत नहीं किया गया, तो चुनावी अभियान में इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।