रीवा (ईन्यूज़ एमपी): एक बेहद अजीब और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में, रीवा के क्षेत्रीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य कार्यालय के सामने पूर्व जिला स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) बी.एल. मिश्रा, जो 31 जनवरी 2024 को अपने पद से रिटायर हुए थे, अनशन करने पर मजबूर हो गए हैं। रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले जीपीएफ, बीमा और लाखों के अन्य क्लेम पिछले 9 महीनों से पेंडिंग हैं, और अब श्री मिश्रा के लिए यह स्थिति असहनीय हो गई है। आपको बतादें कि डॉ. बी.एल. मिश्रा ने अनशन पर बैठने का निर्णय लिया है, वह भी उसी कार्यालय के गेट के सामने, जहां कभी वह खुद पदासीन थे। उनका कहना है कि उन्होंने रिटायरमेंट के बाद अपने जीपीएफ, बीमा और अन्य क्लेम के लिए कई बार अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन मिला। जब 9 महीने बीत गए और कोई हल नहीं निकला, तो उन्होंने अनशन का सहारा लिया। श्री मिश्रा का कहना है, “स्वास्थ्य विभाग में मेरे जैसे हजारों कर्मचारी हैं, जो इस समस्या से जूझ रहे हैं। किसी को बेटी की शादी के लिए पैसे चाहिए, तो किसी को इलाज के लिए। लेकिन हम सब अपने क्लेम के इंतजार में भटक रहे हैं।" वहीं इस मामले में डॉ. बीएल मिश्रा का दावा है कि उनके लाखों रुपये के क्लेम अभी तक पेंडिंग पड़े हैं, और जब भी अधिकारियों से इस पर बात की जाती है, वे जल्द ही क्लेम देने का आश्वासन दे देते हैं। आखिरकार थक-हार कर उन्होंने ने अनशन का रास्ता अपनाया। उन्होंने यह भी बताया कि अनशन से पहले उन्होंने तीन दिन पहले ही संयुक्त संचालक स्वास्थ्य के.एल. नामदेव को अनशन की जानकारी दे दी थी, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, वर्तमान सीएमएचओ डॉ. संजीव शुक्ला ने पूर्व सीएमएचओ डॉक्टर बी एल मिश्रा के क्लेम पर सफाई देते हुए कहा कि उनके सभी क्लेम सीएमएचओ कार्यालय से ट्रेज़री को भेज दिए गए हैं। हालांकि, कुछ क्लेम हैं जो क्षेत्रीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य कार्यालय से पास होने बाकी हैं। डॉ. शुक्ला ने कहा, “हमने अपना काम पूरा कर दिया है, और अब जो क्लेम बचे हैं, उन्हें क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा ही निपटाया जाएगा।” स्वास्थ्य कर्मचारियों की व्यापक समस्या यह समस्या सिर्फ बी.एल. मिश्रा की नहीं है। उनके अनुसार, स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हजारों कर्मचारी भी इसी प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी शिकायत है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा क्लेम के भुगतान में देरी से उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। विशेषकर वे कर्मचारी जिनके परिवारों में शादियाँ, बीमारी या अन्य आपात स्थितियाँ हैं, वे सबसे अधिक प्रभावित हैं। बतादें कि यह मामला स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। कर्मचारियों को अपने रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले हक के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ता है, जिससे उनमें असंतोष फैल रहा है। बी.एल. मिश्रा जैसे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अनशन पर बैठने की नौबत आने से यह समस्या और गंभीर हो गई है, और अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है। क्या होगा अगला कदम? अब सवाल यह है कि क्या बी.एल. मिश्रा का अनशन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जगाने के लिए काफी होगा? या फिर यह मामला और भी ज्यादा लंबा खिंच जाएगा? मिश्रा की इस कार्रवाई ने न सिर्फ कर्मचारियों में जागरूकता पैदा की है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की ओर भी सबका ध्यान खींचा है।