इन्दौर(ईन्यूज एमपी) __ शहर में पहली बार डामर की सड़क के बजाय व्हाइट टापिंग सड़क बनाई जाएगी। डेंटल कॉलेज चौराह से एबी रोड और राजवाड़ा चौक की एक तरफ की बदहाल डामर सड़क के स्थान पर इसे बनाया जाएगा। इसकी लागत करीब 75 लाख रुपये आएगी।बुधवार को महापौर पुष्यमित्र भार्गव और जनकार्य समिति प्रभारी राजेंद्र राठौर ने इस काम का भूमिपूजन किया। महापौर ने कहा कि व्हाइट टापिंग सीमेंट कांक्रीट नया प्रयास है। इससे सड़क निर्माण की लागत भी कम आएगी। इन सड़कों व्हाइट टापिंग सीमेंट कांक्रीट तकनीक में मिलिंग मशीन की मदद से पुरानी डामर की सड़क की ऊपरी परत स्क्रेप कर कांक्रीट का मोटा लेप किया जाता है। इससे समय और संसाधनों की बचत होती है। व्हाइट टापिंग सीमेंट कांक्रीट तकनीक में एम-40 ग्रेड सीमेंट कांक्रीट में फाइबर बुरादा भी उपयोग किया जाता है।इस तकनीक में एक बाय एक मीटर के ग्रूव (टुकड़े) काटे जाते हैं। जनकार्य समिति प्रभारी राठौर ने बताया कि यह प्रयोग सफल होने पर शहर की अन्य डामर सड़कों को भी इसी तकनीक से बनाया जाएगा। वर्षा की वजह से डामर की सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे हो जाते हैं, लेकिन व्हाइट टापिंग सड़क में ऐसी स्थिति नहीं बनेगी।शहर की बदहाल सड़कों का मुद्दा हाई कोर्ट पहुंच गया है। इसे लेकर एक जनहित याचिका दायर हुई है। इसमें शुक्रवार को सुनवाई होगी। याचिका पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने दायर की है। कहा है कि पूरे शहर में सड़कें बदहाल हैं। गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं। तय करना मुश्किल है कि सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क। सिर्फ इतना ही नहीं, शहर में जलजमाव की भी विकराल समस्या है। आधे से ज्यादा शहर में स्टार्म वाटर लाइन नहीं है। गड्ढों में जलजमाव की वजह से शहर में बीमारियां फैल रही हैं। इंदौर में अब तक डेंगू के 600 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह जलजमाव और गड्ढों की समस्या से आमजन को राहत दिलवाए, लेकिन वे कुछ कर ही नहीं रहे हैं। याचिका में याचिकाकर्ता ने बदहाल सड़कों के फोटोग्राफ भी प्रस्तुत किए हैं।