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MP विधानसभा में बड़ा बजट दांव: वाहन खरीदी पर रोक, नए फंड प्रस्तावों पर नजर...

भोपाल(ईन्यूज़ एमपी): मध्य प्रदेश सरकार ने आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है। दिसंबर में आयोजित होने वाले इस सत्र के दौरान, सरकार विभिन्न विभागों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था करेगी। इस बार के अनुपूरक बजट में खासतौर से नए वाहन खरीदी के प्रस्तावों पर रोक लगाई गई है, जबकि फंड मर्जिंग यानी विभागीय निधियों को मर्ज करने वाले प्रस्तावों को मंजूरी दी जाएगी।

10 नवंबर तक विभागों से मांगे गए प्रस्ताव

वित्त विभाग ने सभी विभागों से 10 नवंबर तक अनुपूरक बजट के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। विभागों को यह बताना होगा कि अब तक उनके बजट प्रावधान के अनुसार कितनी राशि खर्च की गई है और किन योजनाओं या परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त राशि की आवश्यकता है। इसके साथ ही, विभागों से यह अपेक्षा की गई है कि वे अपने प्रस्तावों में प्राथमिकता के आधार पर सबसे जरूरी खर्चों को सूचीबद्ध करें।

वाहन खरीदी पर लगेगा ब्रेक

सरकार इस बार अनुपूरक बजट में नए वाहनों की खरीदी से संबंधित किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं करेगी। पिछले सत्रों में वाहन खरीदी के लिए मिले अनुमोदनों के चलते सरकार ने यह फैसला लिया है कि फिलहाल नए वाहन खरीदने के प्रस्तावों को हरी झंडी नहीं दी जाएगी। इसका उद्देश्य मौजूदा संसाधनों का बेहतर उपयोग और अनावश्यक खर्चों को कम करना है।

फंड मर्जिंग के प्रस्ताव होंगे मंजूर

अनुपूरक बजट में फंड मर्जिंग से जुड़े प्रस्तावों को प्राथमिकता मिलेगी। इसका मतलब है कि विभागों के बीच अप्रयुक्त या कम उपयोग किए गए फंड को मर्ज किया जाएगा ताकि अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं और परियोजनाओं के लिए धन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। इस कदम से राज्य की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी और बजट के अधिकतम उपयोग की दिशा में सुधार होगा।

शीतकालीन सत्र में होंगे अन्य महत्वपूर्ण फैसले

मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिसंबर में आयोजित किया जाएगा, जिसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। राज्य की वित्तीय स्थिति के अलावा, सत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जुड़े मसलों पर भी चर्चा की जाएगी।

वित्त विभाग की इस योजना का उद्देश्य राज्य की वित्तीय जरूरतों को पूरा करते हुए विकास परियोजनाओं को गति देना और सरकार के खर्चों में अनुशासन लाना है।

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