बिलासपुर( ईन्यूजएमपी) __ तहसील कार्यालय जिले की सबसे महत्वपूर्ण जगहों में से एक है। सुबह 10 बजे जैसे ही कार्यालय खुलता है, लोग अपनी समस्याएं लेकर यहां पहुंच जाते हैं। लेकिन यहां के अधिकारियों के आने का कोई टाइम टेबल ही नहीं है।तहसील कार्यालय पहुंची। धीरे-धीरे अधिकारियों व कर्मचारियों का आने का सिलसिला शुरू हो गया। अपनी समस्याएं लेकर हितग्राही भी पहुंचने लगे थे। टीम सबसे पहले तहसीलदार मुकेश देवांगन के कक्ष में पहुंची। यहां कर्मचारी तो बैठे हुए थे, लेकिन तहसीलदार की कुर्सी खाली थी। कर्मचारी से बात की, तो पता चला कि तहसीलदार जल्द ही आने वाले हैं। लेकिन 12 से 12.30 बजने के बाद भी तहसीलदार कार्यालय नहीं पहुंचे।कर्मचारियों का कहना था कि कई बार ड्यूटी होने की वजह से साहब देर से आते हैं। इसी दौरान टीम की मुलाकात एक 75 वर्षीय बुजुर्ग से हुई। बुजुर्ग ने बताया, मैं सुबह 10.30 बजे से तहसीलदार मुकेश देवांगन का इंतजार कर रहा हूं। पटवारी की गलती से मेरी सात डिसमिल जमीन विवादित हो गई है। चार डिसमिल जमीन पर किसी और का नाम दर्ज कर दिया गया है और बाकी की तीन डिसमिल जमीन अधिकारियों के रिकार्ड से गायब हो गई है। मैं पिछले चार साल से यहां आ रहा हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। राधेश्याम साहू पिता शिवदत्त (75), निवासी मोपका, ने बताया कि वर्ष 1982 तक उनकी जमीन सही-सलामत थी। उनके घर के पास स्थित कोठार की सात डिसमिल जमीन में से चार डिसमिल जमीन पटवारी ने किसी और के नाम पर दर्ज कर दी और बची हुई 3 डिसमिल जमीन के बारे में अधिकारियों का कहना है कि उसका कोई रिकार्ड उनके पास नहीं है। अपनी जमीन के दस्तावेज लेकर वह पटवारी द्वारा की गई गलती को सुधरवाने के लिए राधेश्याम पिछले 4 साल से तहसीलदार कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।राधेश्याम का कहना है कि उनकी जमीन किसी ने चोरीकर ली है जिसे अधिकारी नहीं खोज रहे है।65 वर्षीय युधिष्ठिर कुमार, निवासी तारबाहर ने बताया कि वह पिछले पांच-छह साल से अपनी जमीन का सीमांकन कराने के लिए भटक रहे हैं। आरआइ और पटवारी का नाम तक उन्हें याद नहीं है। अपने वकील के कहने पर आज फिर से तहसील कार्यालय पहुंचे हैं और अब वकील के आने का इंतजार कर रहे हैं।मस्तूरी निवासी सुशीला केंवट ने बताया कि उनके पिता के पांच बच्चे हैं, जिनके बीच जमीन का बंटवारा होना है। बंटवारे और कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वह पिछले तीन साल से तहसील कार्यालय के चक्कर काट रही हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हो पाया है।