सीधी(सचीन्द्र मिश्र): अगर आपको लगता है कि चोर सिर्फ जेब या घर की चोरी करते हैं, तो आप गलत हैं! मध्य प्रदेश के सीधी जिले में चोरों ने चोरी के खेल को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। चोरों ने जंगल के बीचों-बीच बने हजारों साल पुराने मां जगदंबा के मंदिर को जेसीबी से उखाड़कर गायब कर दिया। हां, आपने सही पढ़ा—चोरों ने मूर्ति ही नहीं, पूरा मंदिर उठाकर ले गए और वन विभाग? वो आराम से खर्राटे मार रहा था! चोर या आर्किटेक्ट? यह कोई साधारण चोरी नहीं थी। चोरों ने जेसीबी लाकर मंदिर को इतनी सफाई से उखाड़ा, मानो वो किसी इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हों। चोरों का हुनर देखकर तो ऐसा लगता है कि उन्हें चोरी के लिए नहीं, बल्कि किसी बड़ी निर्माण कंपनी में काम करना चाहिए था। आखिर, मंदिर को बिना किसी हंगामे के उठा ले जाना कोई छोटी बात नहीं है! वन विभाग के अधिकारी भी कमाल हैं! जंगल में आस्था का ऐसा बड़ा केंद्र गायब हो गया और उन्हें भनक तक नहीं लगी। लगता है, वन विभाग के कर्मचारी सोच रहे थे कि मां जगदंबा खुद ही कहीं 'प्राकृतिक भ्रमण' पर निकल गई होंगी। वन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठाना तो बनता है। क्या उनके पास कोई ऐसा सिस्टम नहीं था जिससे पता चलता कि जंगल से मंदिर "टहलने" नहीं, बल्कि "उखाड़कर" ले जाया गया है? फिलहाल पुलिस भी मामले की जांच में जुटी हुई है, लेकिन चोरी की यह घटना इतनी अनोखी है कि पुलिस के पास भी कोई 'ब्लूप्रिंट' नहीं है। हो सकता है, चोर अब किसी नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हों—शायद किसी दूसरे मंदिर या कोई और धरोहर? इस पूरे मामले में सबसे मजेदार बात ये है कि वन विभाग के अधिकारियों को इस चोरी की कोई भनक ही नहीं थी। शायद वे सोच रहे थे कि जंगल में सिर्फ पेड़-पौधे ही चोरी होते हैं, मंदिर जैसी भारी चीजों की चोरी कौन करेगा! अब देखना होगा कि वन विभाग अपनी नींद से कब जागता है, या फिर अगली बार कोई और धरोहर गायब होने का इंतजार करता है। चोरों का ये कारनामा और वन विभाग की गहरी नींद दोनों ही इस घटना के असली हीरो हैं। अब जनता इंतजार कर रही है कि पुलिस इस चोरी के 'सिविल इंजीनियरों' को कब पकड़ पाएगी और मां जगदंबा की मूर्ति वापस कब आएगी।