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सीधी में अंतर्राष्ट्रीय साइन लैंग्वेज दिवस पर विशेष आयोजन: सांकेतिक भाषा की सशक्त आवाज बनी समाज...

सीधी (ईन्यूज़ एमपी): अंतर्राष्ट्रीय साइन लैंग्वेज दिवस के अवसर पर सीधी के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य सांकेतिक भाषा के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना और इसे सुलभ बनाना था। इस कार्यक्रम का आयोजन कलेक्टर श्री स्वरोचिष सोमवंशी और अपर कलेक्टर एवं उपसंचालक सामाजिक न्याय विभाग श्री राजेश शाही के निर्देशन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

समाजिक कार्यकर्ता डॉ. अजय मिश्रा और सिविल सर्जन डॉ. दीपारानी इसरानी ने मूक-बधिर व्यक्तियों की रैली को सम्राट चौराहा से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रैली अटल ऑडिटोरियम तक गई, जिसमें दिव्यांगजन और अन्य लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, समाज में समावेश और जागरूकता का संदेश फैलाते हुए।

कार्यक्रम में विंध्य बधिर संगठन के अध्यक्ष आशुतोष शुक्ला और सचिव प्रीतेश पांडेय का विशेष योगदान रहा। साथ ही, सोनांचल विंध्य बधिर संगठन के सचिव विपिन मिश्रा और उनके सहयोगी धीरेंद्र जायसवाल ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सामाजिक कार्यकर्ता आशीष मिश्रा ने कहा कि दिव्यांगजनों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सांकेतिक भाषा की समझ और इसे व्यापक रूप से अपनाना आवश्यक है। उन्होंने दिव्यांगजन को समाज का एक अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि उन्हें बराबरी का अवसर मिलना चाहिए।

कार्यक्रम में साइन लैंग्वेज के इंटरप्रेटर कृष्ण कुमार शर्मा ने मूक-बधिर व्यक्तियों की भाषा को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने प्रतिभागियों की आवाज बनकर उनके विचारों और भावनाओं को सटीक रूप से मंच पर प्रस्तुत किया।

सामाजिक न्याय विभाग के मुख्य लिपिक चंद्र प्रताप तिवारी, राजेश मिश्रा, और प्रभात शुक्ला और जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट दीपक त्रिपाठी, पुनर्वास विशेषज्ञ और विशेष शिक्षक शिवांसु शुक्ला के सहयोग से कार्यक्रम की सभी गतिविधियाँ सफलतापूर्वक संपन्न हुईं।

कार्यक्रम में उपस्थित सभी अधिकारियों और अतिथियों ने इस बात पर जोर दिया कि सांकेतिक भाषा को व्यापक रूप से अपनाने और इसका प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है। उन्होंने इसे दिव्यांगजनों के लिए एक सशक्त उपकरण बताया, जो उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने में सहायक है।

सीधी जिले में इस आयोजन के माध्यम से सांकेतिक भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसे सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया, जिससे दिव्यांगजन को उनके अधिकारों और समान अवसरों की दिशा में प्रोत्साहन मिला।

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