भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्यप्रदेश तेजी से "सौर ऊर्जा प्रदेश" बनने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य की सौर ऊर्जा क्षमता पर जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी बन चुका है। इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है विश्व की सबसे बड़ी रीवा सौर परियोजना, जिसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने शिक्षण पाठ्यक्रम में केस स्टडी के रूप में शामिल किया है। रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट न केवल अपनी विशाल क्षमता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह दुनिया में सबसे सस्ती दर पर व्यावसायिक ऊर्जा प्रदान करने वाला प्लांट भी है। यहाँ से बिजली 3.30 रुपये प्रति यूनिट की दर से अगले 25 सालों तक उपलब्ध कराई जाएगी। इस परियोजना ने भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जानकारी दी कि प्रदेश में ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर 600 मेगावाट क्षमता की दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर परियोजना का निर्माण जारी है। इसके अलावा राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी कई छोटी-बड़ी सौर परियोजनाएँ चल रही हैं। हाल ही में गांधी नगर में आयोजित नवकरणीय ऊर्जा राष्ट्रीय समिट में कई उद्योगपतियों ने मध्यप्रदेश में सोलर प्लांट लगाने की इच्छा व्यक्त की है। राजधानी भोपाल में सरकारी भवनों और आम नागरिकों को अपनी छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए भी एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। रीवा सोलर परियोजना: एक वैश्विक मॉडल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में मध्यप्रदेश की रीवा सौर परियोजना को एक आदर्श उदाहरण के रूप में पढ़ाया जा रहा है। यह परियोजना न केवल अपनी उत्कृष्ट प्रबंधन और संचालन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया गया है। यह परियोजना विश्व बैंक के क्लीन टेक्नोलॉजी फंड से वित्त पोषित भारत की पहली सौर परियोजना है। आज भारत की शीर्ष 10 सौर परियोजनाओं में से आधी विश्व की सबसे बड़ी परियोजनाओं में गिनी जाती हैं, और रीवा सोलर पावर प्लांट उनमें से एक है। कैसे हुई रीवा सोलर परियोजना की शुरुआत? भारत सरकार ने 2014 में सोलर पार्क योजना की शुरुआत की थी, जिसके अंतर्गत 500 मेगावाट से अधिक की क्षमता वाली परियोजनाओं को अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क का दर्जा दिया गया। मध्यप्रदेश में 1579 हेक्टेयर भूमि में से 1255 हेक्टेयर सरकारी और 384 हेक्टेयर निजी बंजर जमीन का उपयोग इस परियोजना के लिए किया गया। 2014 में बड़वार गाँव से शुरू होकर, 2020 में इस परियोजना ने पूरी तरह से व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया, और दिल्ली मेट्रो को भी बिजली आपूर्ति दी जाने लगी। अगला कदम: मध्यप्रदेश बनेगा सौर ऊर्जा प्रदेश मध्यप्रदेश में हर साल 300 से अधिक दिनों तक सूर्य का प्रकाश रहता है, जो इसे सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए आदर्श बनाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई और महत्वाकांक्षी परियोजनाएँ तैयार की जा रही हैं। इन प्रयासों से मध्यप्रदेश जल्द ही सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित होगा।