सीधी (ईन्यूज एमपी)- भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के आकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है। ज़िला चिकित्सालय सीधी का मुख्य द्वार “सुरक्षित मातृत्व का आश्वासन” देता है का दावा करने वाले आश्वासन की तुलना मध्य प्रदेश और भारत सरकार के स्वास्थ्य आंकड़ों से करने पर बेहद चौंकाने वाले तथ्य कि “ सीधी की तबीयत खराब है”, सामने आये हैं। ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन के प्रवक्ता सचिन पाण्डेय ने बताया कि स्वास्थ्य आंकड़ों की तुलना से यह तथ्य सामने आया कि जिले में 23% महिलाओं की शादी 18 वर्ष से पहले हो गई थी। केवल 39.4% माताओं को कम से कम चार प्रसवपूर्व चिकित्सकीय दौरे मिल सके। सीधी 72.5% बच्चे (6-59 महीने) और 55.8% गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। केवल 34.9% माताएं गर्भावस्था के दौरान 100 दिनों या उससे अधिक समय तक आयरन फोलिक एसिड का सेवन करती हैं। पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 49.2 है। 22.9% महिलाओं का बीएमआई सामान्य से कम है। पांच साल से कम उम्र के 39.1% बच्चे बौने हैं और 16.6% कमज़ोर हैं। पांच साल से कम उम्र के 32.2% बच्चे कम वजन वाले हैं। ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन ने कहा है कि भारत सरकार के ये आँकड़े जिला चिकित्सालय के सुरक्षित मातृत्व के आश्वासन पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। इस रिपोर्ट से साफ़ ज़ाहिर है सीधी में महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति बहुत गम्भीर है, ख़ासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इसका दीर्घकालिक समाधान जब होगा तब होगा, परंतु तत्काल रूप से कुछ उपाय ज़रूरी हैं। एक उपाय ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित महिला स्वास्थ्य शिविर लगाया जा सकता है। श्री सचिन पाण्डेय ने कहा है यदि ज़िले का चिकित्सालय प्रशासन सहमत हो तो ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन इस विषय में पूर्ण सहयोग को तैय्यार है। विजय सिंह सीधी