इंदौर(ईन्यूज़ एमपी)--- इंदौर-मनमाड रेल परियोजना सिर्फ रेल पथ नहीं बल्कि मालवा-निमाड़ के आदिवासियों का विकास पथ है। इस रेल लाइन से मालवा एवं निमाड़ अंचल के आदिवासी क्षेत्रों का विकास होगा। रोजगार के साधन बढ़ेंगे। इस रेल लाइन के पूरा होने पर आर्थिक कॉरिडोर के साथ-साथ धार्मिक कॉरिडोर भी विकसित होगा।व्यापारिक, औद्योगिक, कृषि क्षेत्र का विकास होगा। महाकालेश्वर से त्र्यंबकेश्वर तक सीधी कनेक्टिविटी मिल जाएगी। चार ज्योतिर्लिंगों तक पहुंच आसान हो जाएगी। बड़वानी, खरगोन जैसे क्षेत्र पहली बार भारतीय रेलवे के नक्शे में जगह पा सकेंगे |यह बात मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार को इंदौर में प्रेसवार्ता में कही। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस वार्ता से जुड़े और परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस रेलवे परियोजना को वर्ष 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 160 किमी की रफ्तार से दौड़ सकेगी रेल परियोजना में बनाए जाने वाले ट्रैक पर 160 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से रेल दौड़ सकेगी। इंदौर-मनमाड के बीच 34 रेलवे स्टेशन होंगे। इनमें से चार पुराने हैं और 30 नए बनाए जाएंगे। इन 34 स्टेशनों में से 18 मप्र में रहेंगे। रेलवे परियोजना में 7 टनल भी बनाई जाएंगी। इनकी कुल लंबाई करीब 17.7 किमी रहेगी। सबसे बड़ी टनल 6.02 किमी लंबी होगी। इंदौर-मनमाड रेलवे परियोजना से हर वर्ष 138 करोड़ किलोग्राम कार्बनडाइआक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी। यह करीब साढ़े पांच करोड़ पेड़ द्वारा अवशोषित की जाने वाली कार्बनडाइआक्साइड के बराबर है। प्रेसवार्ता में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी, सांसद और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने इस रेलवे परियोजना के लिए प्रधानमंत्री और रेल मंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि यह रेल लाइन परियोजना मालवा-निमाड़ क्षेत्र के विकास के लिए प्रधानमंत्री की बड़ी सौगात है।