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मंदसौर में विराजित हैं अष्टमुखी पशुपतिनाथ, 14 जोड़ी बैलों से जुती गाड़ी लाए थे मूर्ति

मंदसौर(ईन्यूज एमपी ). _ भगवान शिव की विश्व की पशुपतिनाथ की एकमात्र अष्टमुखी मूर्ति मंदसौर में विराजित हैं। यह अनंत श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। सावन माह में हर सोमवार को हजारों कांवड़ यात्री आते हैं। सावन के अंतिम सोमवार को शाही सवारी निकलती है।मालूम हो कि भगवान शिव की मूर्ति शिवना नदी से विक्रम संवत 1997 (सन 1940) में निकाली गई थी। ग्रीष्मकाल में नदी का जलस्तर कम होने पर सर्वप्रथम उदाजी को मूर्ति का कुछ अंश दिखा तो समाजसेवक बाबू शिवदर्शनलाल अग्रवाल को सूचना दी।सभी के सहयोग से रेत में दबी मूर्ति बाहर निकाली गई। बाबू शिवदर्शनलाल अग्रवाल ने 14 जोड़ी बैल से जुती हुई गाड़ी से मूर्ति महादेव घाट के ऊपर लाकर एक पेड़ की छाया में रख दी थी। फिर इसका संरक्षण करते रहे।1961 में चातुर्मास में विराजमान स्वामी श्री प्रत्यक्षानंद महाराज का ध्यान मूर्ति पर गया और मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी सोमवार 27 नवंबर 1961 को शुभ मुहूर्त में अष्टमुखी भगवान शिव की दिव्य मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई। उसी समय स्वामी श्री प्रत्यक्षानंदजी ने ‘श्री पशुपतिनाथ महादेव’ नाम उदघोषित किया गया।

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