भोपाल(ईन्यूज एमपी)- कानून में हुए बदलाव को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पुराने कानून में गुलाबी की बू आती थी. ये तीनों पुराने कानून गुलामी की निशानियों से भरे हुए थे क्योंकि इन्हें ब्रिटेन की संसद ने पारित किया था और हमने सिर्फ इन्हें अपनाया था. इन कानूनों में पार्लियामेंट ऑफ यूनाइटेड किंगडम, प्रोविंशियल एक्ट, नोटिफिकेशन बाय द क्राउन रिप्रेजेंटेटिव, लंदन गैजेट, ज्यूरी और बैरिस्टर, लाहौर गवर्नमेंट, कॉमनवेल्थ के प्रस्ताव, यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड पार्लियामेंट का जिक्र है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश में उपनिवेशवाद के अवशेषों को समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं. इस प्रयास के हिस्से के रूप में, 1 जुलाई से कई कानूनों को नए रूप में लागू किया जाएगा. सजा पर न्याय पर जोर देने और भारतीय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए, तीन विधेयकों को निरस्त कर दिया गया है और उनके स्थान पर नए दंडात्मक विधेयक लाए गए हैं. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह जानकारी आम जनता को उपलब्ध करायी जाये. डॉ. यादव ने यह संदेश प्रदेश के सभी कलेक्टर, कमिश्नर और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया. ब्रिटिश काल के विधेयकों और अधिनियमों में होगा बदलाव मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ब्रिटिश काल से चले आ रहे विधेयकों और अधिनियमों में भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (1898), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 शामिल हैं. भारतीय दंड संहिता 1860 को बदल दिया जाएगा. भारतीय दंड संहिता विधेयक 2023. दंड प्रक्रिया संहिता 1898 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 द्वारा बदल दिया जाएगा. इसी प्रकार, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 द्वारा बदल दिया गया है. पहले भी लगाई जा चुकी हैं प्रदर्शनियां मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इन कानूनों की जानकारी विभिन्न सेमिनार, वेबिनार और अभियानों के माध्यम से आम जनता को भी दी जाए. वीडियो कॉन्फ्रेंस में पुलिस महानिदेशक श्री सुधीर कुमार सक्सेना ने बताया कि नये कानूनों की जानकारी देने के लिए एक जुलाई को प्रदेश के सभी 982 पुलिस स्टेशनों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. इनका विस्तृत विवरण पुलिस कर्मियों को उपलब्ध करा दिया गया है. नए कानूनों से जुड़ी प्रदर्शनियां पहले भी लगाई जा चुकी हैं.