मध्यप्रदेश (ईन्यूज एमपी)- एमबीए फर्स्ट सेमेस्टर के पेपर लीक मामले में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसमें पेपर आउट करने के पीछे कालेजों की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दोनों निजी कालेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पास करवाने के लिए यह करनामा किया गया है। प्रबंधन की डिग्री हासिल करने वाले ये कालेज छात्र-छात्राएं पहले ही मोटी फीस जमा करवाई जा रही है। बल्कि पेपर के बदले 10-10 हजार रुपये भी वसूले जा रहे हैं। ये सभी बातें कुछ विद्यार्थियों ने गोपनीय रूप से देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बता रखी है। यहीं नहीं पेपर शुरू होने से दस घंटे पहले ही प्रश्न पत्र की कापियां इंटरनेट मीडिया पर रात में वायरल हो जाती है। एक शिक्षक ने कुछ मीडिया ग्रुप में भी अकाउंट का प्रश्न पत्र शेयर किया था। वह भी पेपर लीक करने वालों पर कार्रवाई की मंशा रखता था। लाखों रुपये ले रहे फीस दोनों कालेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थी लाखों रुपये फीस जमा करते हैं। करीब प्रत्येक सेमेस्टर की एक लाख रुपये फीस है। प्लेसमेंट अच्छा नहीं होने के बावजूद विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। कारण यह है कि अधिकांश धनाड्य परिवारों बच्चे रहते हैं। छात्र नेताओं ने बताया कि पेपर लीक में एक प्राध्यापक सिर्फ एक ही विद्यार्थी से संपर्क करता है। वहां बाकी छात्रों से रुपये लेकर प्राध्यापक को देता है। खासबात यह है कि इसमें कालेज की कर्ताधर्ता भी पीछे नहीं है। प्राध्यापक की शर्त रहती है कि यह पेपर सिर्फ अपने कालेजों के विद्यार्थियों को भेजें। मगर विद्यार्थी भी रुपये के लालच में बाकी मित्रों को भी वाट्सएप पर भेज देते हैं। एमबीए फर्स्ट सेमेस्टर के दो पेपर लीक होने के बाद विश्वविद्यालय ने इन्हें निरस्त कर दिया है। 25 मई क्वांटेटिव टेक्नीक और 28 मई को अकाउंट का पेपर आउट हो चुका था। पेपर रात दस बजे वाट्सएप पर विद्यार्थियों को मिल रहा है। राऊ और कनाडिया स्थित कालेजों की तरफ से पेपर आउट होना सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक सील बंद लिफाफे में दो दिन पहले ही पेपर कालेज पहुंच जाते हैं। यहां तक कि संबंधित थाने में इन्हें रखा जाता है। नियमानुसार सीसीटीवी के सामने केंद्राध्यक्ष और दो प्राध्यापक की मौजूदगी में लिफाफे से पेपर बाहर निकाले जाते हैं। जब थाने में पेपर रखे जाते हैं तो इन्हें परीक्षा शुरू होने से पहले आउट कैसे किया जा रहा है। पूरी गड़बड़ी में थाने और कालेज की सांठगांठ नजर आ रही है। हालांकि इन घटनाओं के चलते अब विश्वविद्यालय ने अपनी प्रक्रिया बदल दी है। उसने अब आनलाइन पेपर भेजने का विचार किया है।