ग्वालियर(ईन्यूज एमपी)- शहर में पिछले चार दशक से प्रस्तावित रोप-वे प्रोजेक्ट एक साल की कागजी कार्रवाई के बाद फिर से फाइलों में कैद होकर रह गया है। इस प्रोजेक्ट के लिए गत अक्टूबर 2022 से केंद्र सरकार स्तर से कवायद शुरू हुई थी। प्रदेश सरकार को न तो पैसा खर्च करना था और न ही कोई प्रस्ताव तैयार करना था। सिर्फ राज्य स्तर से मिलने वाली एनओसी समय से उपलब्ध करानी थी।एनएचएलएम ने 127 करोड़ रुपए की दी थी सहमति केंद्र सरकार की नेशनल हाइवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट कंपनी (एनएचएलएम) ने अपनी तरफ से 127 करोड़ रुपये खर्च कर रोप-वे का निर्माण कराने की सहमति दी थी। टेंडर प्रक्रिया भी कर दी गई। लोअर टर्मिनल यानी फूलबाग पर जगह भी चिह्नित हो गई, लेकिन किले स्थित अपर टर्मिनल पर जगह के विवाद के कारण काम शुरू ही नहीं हो सका। कुछ माह पूर्व जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से कमेटी बनाकर दूसरी जगह चिह्नित करने की प्रक्रिया की थी, लेकिन अब इसे भी रोकपहले सिंधिया स्कूल के पास अपर टर्मिनल का निर्माण होना था, जिसे बदलकर मानसिंह पैलेस से थोड़ी दूर कर दिया गया। दिया गया है। ऐसे में ये प्रोजेक्ट एक बार फिर से शहर से छिनने की कगार पर पहुंच गया है। दरअसल, किले के अपर टर्मिनल की जगह पर बार-बार सिंधिया एजुकेशन सोसायटी की आपत्ति के कारण काम आगे ही नहीं बढ़ पा रहा है।पूर्व में इस रोप-वे के निर्माण की जिम्मेदारी नगर निगम द्वारा दामोदर रोप-वे कंपनी को सौंपी थी। कंपनी ने ठेका लेने के बाद लोअर टर्मिनल पर काम शुरू कराया था। जब अपर टर्मिनल पर काम की शुरू हुआ तो सिंधिया स्कूल की आपत्ति आ गई और काम बंद करना पड़ा, इसके बाद जब एनएचएलएम ने प्रक्रिया शुरू की, तो ननि ने कंपनी का ठेका कैंसिल कर दिया। कंपनी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी, इसमें एनएचएलएम को भी पार्टी बनाया गया, इसके चलते एनएचएलएम के अधिकारियों ने हाथ वापिस खींच लिए। अब जब तक इस याचिका पर निराकरण नहीं होगा, तब तक टेंडर प्रक्रियानहीं होगी।