सीधी (ईन्यूज एमपी)- भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार पूरे वर्ष इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण के पूर्व राज्य स्तरीय या जिलास्तरीय एमसीएमसी से प्रमाणन आवश्यक होगा। वर्ष भर टीवी, केबल नेटवर्क, केबल चेनल, सिनेमा हाल में, रेडियो मय प्रायवेट एफएम चेनल, ऑडियो विजुअल डिस्प्ले (लोक स्थान पर), बल्क एमएमएस, रेकार्डेड वाइस मैसेज, मोबाईल नेटवर्क, ई न्यूज पेपर, सोशल मीडिया एवं इण्टरनेट वेबसाईट पर पूर्व प्रमाणन आवश्यक होगा। समस्त प्रकार के प्रिंट मीडिया में मतदान दिवस से एक दिन पूर्व तथा मतदान दिवस को पूर्व प्रमाणीकरण करवाना होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार किसी भी केबल आपरेटर को ऐसे किसी भी विज्ञापन को प्रसारित या पुनः प्रसारित करने से प्रतिबंधित किया गया है जो निर्धारित कार्यक्रम कोड और विज्ञापन कोड के अनुरूप नहीं है। धर्म, नस्ल, भाषा, जाति या समुदाय या किसी भी अन्य आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देने की संभावना है। धर्म, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रिय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच वैमनस्य या शत्रुता, घृणा या द्वेष की भावना या जिससे सार्वजनिक शान्ति भंग होने की सम्भावना है। केबल सेवा में किया जाने वाला कोई भी विज्ञापन देश के कानूनों के अनुरूप डिजाइन किया जाना चाहिए और ग्राहकों की नैतिकता, शालीनता और धार्मिक संवेदनशीलता को ठेस नहीं पहुँचना चाहिए। किसी भी ऐसे विज्ञापन की अनुमति नहीं दी जायेगी जो किसी भी जाति, रंग, पंथ और राष्ट्रीयता का उपहास करता हो, भारत के संविधान के किसी भी प्रावधान के खिलाफ हो और लोगों को अपराध के लिए उकसाता हो, अव्यवस्था या हिंसा का कारण बनता हो या कानून का उल्लंघन करता हो या हिंसा या अश्लीेलता का महिमा मण्डन करता हो। इसके अतिरिक्त आरपीएक्ट 1951 की धारा 126 के प्रावधानों के अधीन निम्न की अनुमति नहीं दी जा सकती- अन्य देशों की आलोचना, धर्मों या समुदायों पर हमला, कोई भी अश्लील या अपमान जनक सामग्री, हिंसा के लिए उकसाना, न्यायालय की अवमानना संबंधी कुछ भी, राष्ट्रपति और न्यायपालिका की सत्यनिष्ठता पर आक्षेप, राष्ट्र की एकता, सम्प्रभुता और अखण्डता को प्रभावित करने वाली कोई बात, किसी भी व्यक्ति के नाम से कोई आलोचना। चुनाव लड़ने वाले उम्मीेदवार या राजनीतिक दल से भिन्न तीसरे पक्ष द्वारा विज्ञापन सर्वोच्च न्यायालय का आदेश राजनीतिक दल या उम्मीदवार से भिन्न व्यक्तियों के विज्ञापन पर रोक नहीं लगाता है। यद्यपि आदेश में यह कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति किसी भी राजनीतिक दल या अभ्यर्थी के लाभ के लिए विज्ञापन नहीं दे सकते। इसका तात्पर्य यह भी है कि किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के विरूद्ध विज्ञापन की भी अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि इससे अन्य दलों या उम्मीदवारों को लाभ होगा। पूर्व प्रमाणिकरण में ध्यान देने योग्य मुख्य बातें समस्त इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापन पूर्व प्रमाणिकरण की सीमा में आएंगे, इसमें वेब साइट एवं सोशल मीडिया वेबसाईट शामिल होंगे, तथापि फ्लेक्स, होर्डिंग, वॉलपेपर, पेम्पलेट आदि इस परिधि में नहीं आते हैं परन्तु इन पर एमसीसी, आरपीएक्ट 1951 की धारा 127-ए तथा व्यय संबंधी प्रावधान लागू होंगे। राजनीतिक दल तथा अभ्यर्थी स्वयं के ब्लॉग, अकाउण्ट पर पोस्टेड अपलोड किए जाने वाले वीडियो, फोटो संदेश, कमेण्ट पर प्रि-सर्टिफिकेशन की शर्त लागू नहीं होगी अर्थात इस हेतु पूर्व प्रमाणिकरण आवश्यक नहीं होगा। राजनीतिक विज्ञापन प्रमाणिकरण हेतु आवेदन आवेदन निर्धारित फार्मेट में एमसीएमसी को प्रस्तुत किया जायेगा, विज्ञापन की इलेक्ट्रॉनिक मोड में दो प्रतियॉ तथा विज्ञापन की सत्यापित विषयवस्तु टाइपराईट वर्सन (ट्रॉसक्रिप्ट) में आवेदन के साथ संलग्न करना होगा। आवेदन में विज्ञापन निर्माण की लागत, प्रसारण की लागत, संख्या एवं अन्तराल, इस बात की घोषणा की क्या विज्ञापन किसी अभ्यार्थी या दल की सम्भावना को अग्रसर करने के उद्देश्य से है। यदि अन्य व्यक्ति द्वारा प्रमाणीकरण चाहा गया है तो शपथ पर इस बात की घोषणा की विज्ञापन किसी अभ्यर्थी या दल के लाभ के लिए नहीं है तथा इनके द्वारा न तो प्रयोजित है ना ही इनके द्वारा कोई भुगतान किया गया है। मान्यता प्राप्त दल एवं अभ्यर्थी को प्रस्तावित प्रसारण से तीन दिन पूर्व आवेदन करना होगा। गैर मान्यता दल, अभ्यर्थी या अन्य द्वारा प्रस्तावित प्रसारण से सात दिन पूर्व आवेदन करना होगा। प्रिंट मीडिया में विज्ञापन के संबंध में निर्देश प्रिन्ट मीडिया में केवल मतदान दिवस से एक दिन पूर्व तथा मतदान दिवस को प्रकाशित विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणीकरण करना आदेशात्मक है। ऐसे प्रकाशन के प्रमाणिकरण हेतु प्रकाशन तिथि से दो दिन पूर्व समिति को आवेदन करना होगा। ऐसे विज्ञापन जो किसी के पक्ष या विरोध में प्रकाशित किया जा रहा है, उस पर प्रिन्टर एवं पब्लिशर का नाम होना चाहिए (आरपी एक्ट 1951 की धारा 127-ए)। प्रिंट मीडिया में प्रकाशित सभी विज्ञापनों का खर्च अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय में जोड़ा जायेगा। बिना अभ्यर्थी की सहमति के उसके निर्वाचन की सम्भावना को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से जारी विज्ञापन आईपीसी की धारा 171-एच के तहत अपराध है।