सीधी (ईन्यूज एमपी):- जिले के संजय टाइगर रिजर्व अंतर्गत वन परिक्षेत्र बस्तुआ कोर के इको विकास केन्द्र में गत शुक्रवार को क्षेत्र संचालक अमित दुबे एवं उप संचालक हरिओम के निर्देशन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस समारोह आयोजित किया गया। जिसमें परिक्षेत्र अधिकारी बस्तुआ महावीर पाण्डेय द्वारा हाई स्कूल बस्तुआ के तकरीबन एक सैकड़ा छात्र छात्राओं को सम्मिलित किया गया। कार्यक्रम में परिक्षेत्र अधिकारी श्री पाण्डेय द्वारा उपस्थित छात्रों एवं ग्रामीणों को बाघ दिवस क्यों मनाया जाता है। इस पर प्रकाश डालते हुए विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि 29 जुलाई वर्ष 2010 में यह संकल्प लिया गया था कि विलुप्त होती बाघ की प्रजाति को दो गुना करना है,और तभी से अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जा रहा है। इसके साथ ही बाघों के सरंक्षण पर काम शुरू किया जाने लगा और इसका नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2018 में ही विश्व में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई थी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस हर वर्ष इसी दिन को मनाया जाता है। समारोह में उपस्थित सेवा निवृत्त सहायक संचालक पशु डा. कैलाश तिवारी ने बाघ की दैनिक प्रतिक्रियाओं को समझाते हुए बताया कि बाघ एक ऐसा प्राणी है जो स्वयं द्वारा शिकार किए गए मांस का ही भोजन करता है, और यह जानवर मांस के अलावा कुछ नहीं खाता है। भूख लगने पर यह शिकार के लिए निकल पड़ता है और स्वयं शिकार कर अपना पेट भरता है। इसलिए इसे जंगल का राजा कहा जाता है। इस दौरान उपस्थित छात्रों को स्वल्पाहार की व्यवस्था उपरांत चित्रकला और निबंध लेखन की किट उपलब्ध कराते हुए प्रतियोगिता आयोजित की गई तथा छात्रों से वस्तुनिष्ठ प्रश्न भी पूंछे गए। प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को प्रस्सति पत्र एवं पुरस्कार प्रदान कर तथा सभी छात्रों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया। तत्पश्चात इको विकास केन्द्र से हाई स्कूल तक जागरुकता रैली आयोजित कर बाघों के सरंक्षण एवं संवर्धन का संदेश दिया गया। इस दौरान सहायक परिक्षेत्र अधिकारी आनन्द सिंह, शिक्षक शतीस तिवारी, अनुराग श्रीवास्तव, गंगा सागर त्रिपाठी, अजीत मिश्रा ,उप सरपंच उर्मिला सिंह,जीआरएस संतोष पाठक, रामदयाल साहू, बीट गार्ड श्रवण कुमार सिंह, किसोर सिंह, नारेन्द्र रावत, फूलचंद्र बैगा श्रमिक हीरामणि तिवारी रामकुमार यादव, बब्लू यादव, रामलाल यादव, तुलसीदास यादव, रमेश यादव, सहित ग्रामीण जन उपस्थित रहे।