*सचीन्द्र मिश्र* अभी दो दिन पुरानी ही बात है, सीधी के अखबारों में, यूट्यूब चैनलों पर, व्हाट्सएप ग्रुपों में एक खबर आग की तरह फेल रही थी, और हेडलाइन बनी थी, "रिश्वत लेते हुए लाइनमैन रंगे हाथो ट्रैप" आए दिन कही न कही लोकसेवकों के ट्रैप की घटनाएं अखबारों के किसी न किसी कोने या व्हाट्सप्प ग्रुपों के माध्यम से पढ़ने को मिलती ही रहती है, खबर पढ़कर आमजन उस शासकीय सेवक को और सिस्टम को जी भर कर कोसते हैं, और मन ही मन प्रसन्न हो जाते हैं, चलो एक भ्रष्टाचारी धरा गया,, और नैतिकता का प्रवचन देते हुए अखबारों के पन्ने पलट कर किसी दूसरे ग्रुप में ताकझांक शुरू कर देते हैं,, मानवीय स्वभाव की प्रकृति होती है, वह अनैतिकता केवल स्वयं के लिए ही बर्दास्त कर पाता है, दूसरो के अनैतिक आचरण से उसे घृणा होती है,, उन पाठकों और आम लोगो के लिए बात यही खत्म हो जाती है, पर मेरे मन की विचारशीलता मुझे मजबूर करती है इस घटना की जड़ में जाने के लिए,, मैं देख पाता हूं, हमारे समाज को, जहा लोग जवानी में ये बाते करते पाये जाते हैं, हे ईश्वर बुढ़ापा बढ़िया से कट जाए, किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े, ये बुढ़ापा ही आधे भ्रष्टाचार की जड़ है, हमारे यहां 90 प्रतिशत लोगो की कोई फिक्स इनकम नही होती, रिटायर होने के बाद रोजी रोटी कैसे कटेगी, इस बात की कोई व्यवस्था नहीं है, कोई गंभीर बीमारी हो गई तो इलाज कैसे होगा, ऐसे में हर व्यक्ति बुढ़ापे को सुगम बनाने के लिए अपने बच्चो पर निर्भर होना चाहता है, और उन्हें पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाना चाहता है, बुढ़ापे के अलावा सोशल स्टेटस के लिए भी हर कोई अपने बच्चे को खूब पढ़ाना लिखाना चाहता है, देश के सर्वोच्च संस्थानों में शिक्षा दीक्षा दिलाना चाहता है,, पर ये यह प्रश्न है, की मौजूदा व्यवस्था एक आम व्यक्ति को या एक शासकीय सेवक को इस प्रकार के अवसर उपलब्ध कराता है?? उत्तर होगा, नही!! अब आते हैं, अमेरिकन सोशल सिक्योरिटी सिस्टम में, जंहा देश के लगभग 98 प्रतिशत लोग चाहे वो शासकीय सेवा में रहे हो या न रहे हो, रिटायरमेंट के बाद उनके दिए टैक्स और उनकी इनकम के आधार पर उसका 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में प्राप्त होता रहता है, अगर आपके पास एक पैसे की भी सेविंग नही है, तो भी बुढ़ापे की कोई टेंशन नहीं है, अमेरिका आपकी चिंता करेगा, आप अपने लिए कमाइए, देश आपकी पेंशन की व्यवस्था करेगा ही, आपकी मृत्यु पश्चात आपकी पत्नी को भी उतनी पेंशन मिलती रहेगी, और यह पेंशन नाम मात्र की नही होती, बल्कि इतनी पर्याप्त होती है, की आप एक अच्छी लाइफ स्टाइल जी सकते हैं, बस आपको ये दुआ करना है आपका देश खूब तरक्की करता रहे,, और आपकी पेंशन बढ़ती रहे, पेंशन के साथ ही मुफ्त का हेल्थ इंश्योरेंस रहता है, मतलब आपके स्वास्थ्य की चिंता भी आपका देश करेगा, आप मस्त घूमिए, खाइए पीजिए, आपकी चिंता आपका देश करेगा,, ये तो हुई अमेरिका की कहानी, अब अपने देश में आइए, आप जितना कमा ले, वही आपके काम आने वाला है, अगर बच्चे नालायक निकल गए तो बुढ़ापे में भी बेटे बहु का खर्चा आपकी सेविंग से ही निकलेगा, बीमार हो गए तो दवा दारू का इंतजाम खुद कर लिए, और दिल्ली बंबई जाने की कुब्बत है तो ठीक नही तो बैकुंठ की तैयारी तो कर ही लीजिए,, एक शासकीय सेवक जो 20 से 50 हजार तक की सैलरी पा रहे हैं, जिनसे अपेक्षा होती है, उसी पैसे से वो 50 किलोमीटर दूर किसी गांव जाकर एक शिकायत कर्ता की समस्या का निराकरण भी कर ले, बिना बजट के राजनेताओं के कार्यक्रम भी करा ले, छोटे मोटे चंदे भी लगे रहते हैं, साहब लोग की खातिरदारी भी करनी होती है, और ट्रांसफर पोस्टिंग की कहानी किसी से छिपी भी नही है,, और रिटायर होने के बाद न तो जीपीएफ है ना सीपीएफ, और पेंशन क्या होगी राम जाने, मैं ये नही कह रहा हू, की भ्रष्टाचारी के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिए, मैं ये भी नही कह रहा हूं की नेताओ के कार्यक्रम नही होने चाहिए, मैं ये भी नही कह रहा हू की किसी रिश्वत लेने वाले से हमे सहानुभूति होनी चाहिए,, पर मैं ये कहता हूं की एक सुव्यवथित और पारदर्शी व्यवस्था में एक लोकसेवक की न्यूनतम सैलरी निर्धारित होनी चाहिए जो उसके और उसके परिवार की सोशल सिक्योरिटी निर्धारित कर सके, और एक ऐसी पेंशन योजना होनी चाहिए जिससे उसे बुढ़ापे में किसी के सामने हाथ नही फैलाना पड़े,, अभी कुछ दिन पहले ही राजस्थान सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल की है, 60 के बाद वाली चिंता खत्म कर दी, तो अचानक से दूसरे राज्यों में भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग तेज हो गई है, कर्मचारियों को उनसे कोई गिला भी नही है, जिन्होंने पेंशन बंद कर दी थी,, लेकिन ये भी एक तथ्य है जिन अटल जी ने इस पेंशन व्यवस्था को बंद कर दिया था, उनके बुढ़ापे का सहारा भी यही पेंशन ही थी,, राजस्थान सरकार को बहुत बहुत साधुवाद, और राजस्थान के कर्मियो को बहुत बहुत बधाई के साथ ही मध्य प्रदेश सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा कि पुरानी पेंशन बहाल होनी चाहिए, बहाल होनी चाहिए, बहाल होनी चाहिए ।