प्रेस की स्वतंत्रता , लोकतंत्र का आधार .. ------------------------------------- ( अमिताभ पाण्डेय ) हमारा देश भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक गणराज्य देशों में से एक है। भारत में लोकतंत्र के माध्यम से शासन प्रशासन की व्यवस्थाओं का संचालन किया जाता है । लोकतंत्र जिन चार प्रमुख स्तंभों पर टिका है उनमें न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका के साथ ही प्रेस भी है । प्रेस अथवा मीडिया लोकतंत्र का अति महत्वपूर्ण हिस्सा है । बेहतर लोकतंत्र के लिए प्रेस की स्वतंत्रता को भारतीय संविधान में बहुत महत्व दिया गया है । इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 एक ए में प्रत्येक नागरिक को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 एक एक के अनुसार प्रेस को अनेक महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं। इनमें तथ्य पूर्ण समाचारों का प्रकाशन , सूचनाओं को प्राप्त करने और प्रसारित करने का अधिकार, विज्ञापन लेने का अधिकार ,शासन की नीतियों, नियमों और उनके क्रियान्वयन को लेकर जनता के विचारों को जानने प्रकट करने , प्रचारित करने का अधिकार शामिल हैं। इसके साथ ही सहमति और असहमति के प्रकटीकरण का अधिकार भी भारतीय संविधान ने प्रेस मीडिया को दिया है। प्रेस वह संस्था है जो जनरुचि की सूचनाओं को एकत्र करती है । उसका विश्लेषण करती है ।उनका जनहित में प्रसार करती है । शासन की योजनाओं पर आम जनता के बीच चर्चा और चिंतन को प्रोत्साहित करती है। मजबूत लोकतंत्र के लिए प्रेस की स्वतंत्रता ऐसा अधिकार है जिसकी सरकार और समाज को हमेशा परवाह करना चाहिए। इसके लिए शासन स्तर से समय समय पर जो प्रयास किए जाते हैं वे सराहनीय है। प्रेस की स्वतंत्रता के लिए सरकार और समाज दोनों का वचनबद्ध होना जरूरी है। यह हर्ष का विषय है कि इसके लिए नागरिक संगठनों, सामाजिक संस्थाओं द्वारा भी अनेक गतिविधियां लगातार संचालित की जाती है। प्रेस की स्वतंत्रता का हमारे देश के विकास भी महत्वपूर्ण योगदान है । भारतीय लोकतंत्र की व्यवस्था में स्वतंत्र प्रेस के बिना लोकतंत्र को पूर्ण नहीं माना जा सकता। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, निष्पक्ष चुनाव की स्वतंत्रता, व्यक्तिगत अधिकारों की स्वतंत्रता जरूरी है। यह सब हमारे लोकतंत्र को मजबूत बनाते हैं । लोकतंत्र में स्वतंत्र प्रेस सरकार को जिम्मेदार और जवाब देह बनाती है । उल्लेखनीय है कि भारत में प्रेस का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है। ब्रिटिश शासन काल के दौरान प्रेस ने अंग्रेजी दासता के विरुद्ध अपने विचारों को प्रखरता के साथ अभिव्यक्त किया । आजादी की लड़ाई में प्रेस का योगदान भी सब जानते हैं। अमृत बाजार पत्रिका , बंगाल गजट , हिंदुस्तान टाइम्स ,प्रताप पयामे आजादी, जैसे समाचार पत्रों ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध अपनी आवाज जोरदार तरीके से उठाई । ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड लिटन ने 1878 में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट के माध्यम से भारतीय प्रेस पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की जिसका बहुत विरोध हुआ। आजादी की लड़ाई में प्रेस ने भारतीय नागरिकों को एकजुट करने का बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया । इस एकजुटता ने देश को आजाद कराने में अपना योगदान दिया। प्रेस की स्वतंत्रता लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाती है। पत्रकार सरकारी कार्यों , योजनाओं की समीक्षा, जांच , रिपोर्टिंग , विश्लेषण करते हैं। शासन की योजनाओं की सफलता, विफलता को उजागर करते हैं। प्रेस मीडिया नागरिकों को वर्तमान घटनाक्रमों , सम सामयिक गतिविधियों, जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार , सामाजिक मुद्दों के बारे में सूचित करने का कार्य प्रमुखता से करता है। इस बारे में भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य रहे वरिष्ठ पत्रकार अशोक नवरत्न कहते हैं , "स्वतंत्र प्रेस सरकार और अन्य शक्तिशाली संस्थाओं के द्वारा सत्ता के संचालन की निगरानी करती है और इसके सदुपयोग, दुरुपयोग के बारे में समाचारों का प्रकाशन , प्रसारण करती है । इसके कारण नियम कानून के विरोध में होने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगता है। " श्री नवरत्न मानते हैं कि प्रेस के माध्यम से भ्रष्टाचार , मानव अधिकारों के हनन और अन्य जन विरोधी कार्यो को रोकने में मदद मिलती है । प्रेस की स्वतंत्रता सरकारी निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देती है । यदि शासन स्तर पर नियमों का उल्लंघन हो तो इस तरह की कमियों को भी उजागर करने में अपनी भूमिका निभाती है । आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज़ पेपर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव अशोक नवरत्न ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता के लिए भारत सरकार को प्रथम व द्वितीय प्रेस आयोग की संस्तुतियां लागू करनी चाहिए । यह संस्तुतियां विगत कई वर्षों से क्रियान्वयन का इंतजार कर रही हैं । वर्तमान में समाचार पत्रों एवं पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण के लिए तृतीय प्रेस आयोग का गठन होना बहुत ही आवश्यक प्रतीत होता है । उल्लेखनीय है कि भारत अनेक भाषाओं विविध संस्कृतियों का देश है । यहां पर सबको अपने विचारों को ,अपनी बात को रखने का अवसर मिले यह प्रेस द्वारा ही सुनिश्चित होता है । एक स्वतंत्र प्रेस भारतीय नागरिक के स्वतंत्रता के अधिकार और जानने के अधिकार सहित मूल अधिकारों का संरक्षण करती है। यह व्यक्तियों और समूह के अधिकारों का पक्ष समर्थन कर लोकतांत्रिक व्यवस्था को बेहतर बनाती है। वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को प्रेस ने हमेशा बढ़ाने का कार्य किया है । श्री नवरत्न के अनुसार भारत में प्रेस की स्वतंत्रता मजबूत हो इसके लिए हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसी अनेक शासकीय निकाय बनाए गए हैं जो की प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं । इनमें भारतीय प्रेस परिषद का उल्लेख करना जरूरी होगा जिसकी स्थापना वर्ष 1978 में की गई। यह एक स्वतंत्र शासकीय निकाय है जो की प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारिता के नैतिक मापदडों की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है । सूचना और प्रसारण मंत्रालय भी भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और पारदर्शिता को बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रहा है । इसके साथ ही न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल संगठन, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया जैसी संस्थाएं भी प्रेस और पत्रकारों के अधिकारों और उनकी जिम्मेदारियां से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में अपनी भूमिकाएं निभा रही है । भारत की न्यायपालिका भी प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इसके लिए न्यायालय की ओर से समय-समय पर अनेक ऐसे निर्णय दिए गए हैं जिनके माध्यम से प्रेस की स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया गया है इस संबंध में सकाल पेपर्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया वर्ष 1962 के मामले का उल्लेख करना जरूरी होगा जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि राज्य ऐसे कानून नहीं बना सकते जो सीधे तौर पर संविधान के तहत गारंटी कृत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं । यही कारण है कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रेस पर आम जनता का भरोसा सदैव बढ़ता रहा है और प्रेस ने आम जनता के विचारों की अभिव्यक्ति अपने समाचारों में की है। स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र के सशक्तिकरण में अपनी भूमिका को सदैव निभाती रही है भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रेस की भूमिका सरकार के कार्यों की निगरानी और उनको लेकर जनता के बीच होने वाली प्रतिक्रियाओं को सार्वजनिक करने का काम करती है। आम जनता को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करने का काम प्रेस करती है। हमारे देश में पत्रकार लोकतंत्र को मजबूत करने में सक्रिय और निष्पक्ष भूमिका निभा रहे हैं। प्रेस ने उपयुक्त सूचनाओं और आवश्यक शिक्षा को सदैव आम जनता तक पहुंचाने का काम किया है । यह लोकतंत्र की रक्षा के साथ ही पारदर्शी प्रशासन , जवाबदेह सरकार के लिए अपनी भूमिका को निभा रहा है। प्रेस स्वतंत्रता के मूल सिद्धांत को आमजन के बीच प्रचारित प्रसारित करती है । आगामी 3 मई में को दुनिया के अन्य देशों के साथ ही भारत में भी विश्व प्रेस दिवस मनाया जाएगा । यह दिन प्रेस की आजादी को सम्मान देने और उसके महत्व को रेखांकित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन के माध्यम से हम प्रेस की स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने का जश्न मनाते हैं । लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रेस का महत्व सबने समझा और माना है। हमारी सरकारें प्रेस के संरक्षण के लिए सदैव प्रतिबद्ध , वचनबद्ध रही हैं । आने वाले समय में भी प्रेस , मीडिया अपनी निष्पक्ष और पारदर्शी भूमिका के माध्यम से लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने में अपना योगदान देता रहेगा ऐसा विश्वास है। ( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं )