( अमिताभ पाण्डेय ) " कैसे रोकोगे मुझे याद में बस जाने से , मैं तो आवाज हूं कानों में उतर जाऊंगा " रेडियो की तारीफ में किसी कवि , शायर ने ये बात बहुत खूब कही है। सच में रेडियो की आवाज़ हमारे दिल में उतर जाती है। रेडियो से निकली सुरीली धुन लोगों को दीवाना बना देती है । रेडियो पर बजने वाले गीत सब गाते - गुनगुनाते हैं। रेडियो से प्रसारित संगीत , महत्वपूर्ण सूचनाएं , शिक्षा - स्वास्थ्य - पर्यावरण संबंधी जानकारी महिलाओं - बच्चों - - युवाओं - बुजुर्गों सबके लिए सदैव उपयोगी होती है। अपने कार्यक्रम से समाज के हर वर्ग को सही सूचना , उपयोगी शिक्षा और मनोरंजन उपलब्ध करवाना रेडियो का उद्देश्य है। उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2024 के लिए विश्व रेडियो दिवस की थीम " रेडियो : सूचना देने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने वाली एक सदी " है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दी गई यह थीम रेडियो के उल्लेखनीय अतीत प्रासंगिक वर्तमान और गतिशील भविष्य के वादे पर व्यापक प्रकाश डालती है । रेडियो का अविष्कार इटली के वैज्ञानिक मारकोनी ने किया। उन्होंने वर्ष 1894 में पहला पूर्ण टेलीग्राफी सिस्टम बनाया जिसको रेडियो का नाम दिया गया। उन दिनों इसका उपयोग सेना और नौसेना में किया गया। रेडियो की स्थापना के प्रयास वर्ष 1921 से प्रारंभ हुए। इसी साल अगस्त के महीने में कुछ लोगों ने मुंबई , कोलकाता, मद्रास और लाहौर में रेडियो का प्रसारण प्रारंभ किया । यह प्रयास ज्यादा सफल नहीं हो सके । इसके बाद वर्ष 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब ने रेडियो का प्रसारण शुरू किया । यह 1927 में बंद हो गया। इसी साल मुंबई और कोलकाता से निजी कंपनियों के द्वारा प्रसारण शुरू किया गया । भारत में रेडियो के इतिहास में 1 जनवरी 1936 का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इसी तारीख को इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के दिल्ली केंद्र से प्रसारण प्रारंभ हुआ। इस वर्ष जनवरी माह की 19 तारीख को रेडियो पर पहला समाचार बुलेटिन प्रसारित हुआ। इसके बाद 8 जून 1936 को इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया। रेडियो ने भारत के आजादी आंदोलन को करीब से देखा ही नहीं बल्कि इसमें अपना योगदान भी दिया है । लॉर्ड माउंटबेटन, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना ने रेडियो के द्वारा देश की जनता को संबोधित किया । वह 14 - 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि थी , जब संसद के केंद्रीय कक्ष से भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने संबंधी समारोह का रेडियो से सीधा प्रसारण किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी नई दिल्ली के प्रसारण भवन से 12 नवंबर 1947 को देश की जनता को संबोधित किया। वे रेडियो को आम आदमी तक अपनी बात पहुंचाने का प्रभावी माध्यम मानते थे । वर्ष 1957 में 3 अक्टूबर को ऑल इंडिया रेडियो का नाम बदलकर आकाशवाणी कर दिया गया। महात्मा गांधी के विचारों के अनुरूप आकाशवाणी आम आदमी तक जनहित से जुड़ी उपयोगी जानकारियां पहुंचाने का काम सफलतापूर्वक कर रही है। रेडियो ने आजादी के आंदोलन से लेकर आज तक सामाजिक बदलाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश - प्रदेश- विदेश की सभ्यता , संस्कृति, समसामयिक घटनाक्रम के साथ ही जन उपयोगी सूचनाओं को भी आम जनता तक पहुंचाने का काम रेडियो ने गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ पूरा किया है। जन कल्याणकारी योजनाओं को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का काम रेडियो लगातार सफलता पूर्वक कर रहा है । आकाशवाणी ने अपना ध्येय वाक्य बहुजन हिताय बहुजन सुखाय को बनाया है। इसका अर्थ यह है कि जो सबका हित करें , जो सबको सुख दे। सचमुच रेडियो सबके लिए हितकारी है । सबके लिए उपयोगी सूचनाएं प्रदान करने का काम बिना रुके , बिना थके लगातार कर रहा है। रेडियो से प्रसारित होने वाले विभिन्न ज्ञानवर्धक सांस्कृतिक कार्यक्रम सब को सुख देने का काम लगातार किए जा रहे हैं । यह भी सच है कि आजादी के आंदोलन के बाद से लगभग 6 दशक तक रेडियो को आकाशवाणी का ही पर्याय माना जाता था। इसके बाद सन् 1970 में भारत में टेलीविजन आया तो जनता के दिलों पर छाया रेडियो का साम्राज्य थोड़ा हिला , डगमगाया। इसके बाद भी रेडियो के प्रति लोगों का प्रेम कम नहीं हुआ। आज भी रेडियो को सुनने वाले गली- मोहल्लों में घर - दुकानों से लेकर गांव - शहर के चौक - चौराहे तक हर जगह मौजूद हैं। दूर - दुर्गम इलाकों ,घने जंगलों में , समंदर से आसमान तक जहां टेलीविजन का नेटवर्क काम ना करें , वहां भी हवा के साथ मिलकर रेडियो की तरंगे अपने श्रोताओं को देश-दुनिया से जोड़े रखती हैं । रेडियो का प्रसारण जल -- जंगल - जमीन - आसमान हर जगह , हर कहीं आसानी से सुना जा सकता है । यह सही है कि बीसवीं सदी के प्रारंभ में आई संचार क्रांति ने भारत के जनसंचार माध्यमों में काफी बदलाव किया है। टेलीविजन , मोबाइल , इंटरनेट के माध्यम से लोगों की सूचनाओं तक पहुंच अब अधिक आसान हो गई है । विचारों के आदान-प्रदान , चर्चा और चिंतन के लिए व्हाट्सएप, फेसबुक , टि्वटर, लिंक्डइन , इंस्टाग्राम सहित नई तकनीक के अनेक आविष्कार इन दिनों बहुत लोकप्रिय हैं। इसके बाद भी रेडियो का जादू बरकरार है। लोग रेडियो के दीवाने हैं । यह रेडियो के प्रति लोगों के प्रेम का ही परिणाम है कि दुनिया भर में टेलीविजन या सूचनाओं के आदान-प्रदान के अन्य साधन होने के बाद भी रेडियो को जानने वाले मानने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है बढ़ती जा रही है । रेडियो स्टेशन की संख्या में दुनिया भर में भारी बढ़ोतरी हुई है । भारत में वर्ष 1947 में आकाशवाणी के केवल 6 रेडियो स्टेशन थे जिनकी संख्या आज बढ़कर 470 से अधिक हो गई है। आकाशवाणी के यह केंद्र 23 भाषाओं और बोलियों में लोक रुचि के कार्यक्रमों का प्रसारण कर रहे हैं। इन कार्यक्रमों को देश विदेश में लोग खूब पसंद करते हैं । आज आकाशवाणी से प्रतिदिन 607 से अधिक समाचार बुलेटिन विभिन्न भाषाओं में प्रसारित किए जा रहे हैं । यहां यह बताना भी जरूरी होगा कि भारत में 99% से अधिक जनसंख्या को रेडियो कवर करता है । आकाशवाणी के श्रोता देश - प्रदेश की सरहदों के पार विदेश में भी इसे खूब रुचि के साथ सुनते हैं। रेडियो प्रोग्राम को पसंद करते हैं। आकाशवाणी से प्रसारित हुए कार्यक्रमों पर अपनी प्रतिक्रिया से भी अवगत कराते हैं। आकाशवाणी समय-समय पर श्रोताओं की पसंद का ध्यान रखते हुए अपने कार्यक्रमों में बदलाव करती है और उनको नए रूप में प्रस्तुत करती है । यह सभी कार्यक्रम श्रोताओं के लिए उपयोगी साबित होते हैं। इसके माध्यम से श्रोता अपने ज्ञान को अधिक बेहतर बना रहे हैं। रेडियो अब केवल शासकीय नियंत्रण वाली संस्थाओं का प्रतिनिधि नहीं है । देश विदेश में अनेक निजी कंपनियां सफलतापूर्वक एफएम स्टेशन संचालित कर रही है । भारत के विभिन्न शहरों में 500 से अधिक निजी एफएम रेडियो स्टेशन सफलतापूर्वक संचालित किए जा रहे हैं । रेडियो का एक रुप सामुदायिक रेडियो भी है जिसके माध्यम से विभिन्न सामाजिक संगठन जन उपयोगी सूचनाओं का प्रसारण समाज के विभिन्न वर्गों के लिए कर रहे हैं । रेडियो पर बच्चे - युवा- पुरुष- महिलाओं - बुजुर्गों सबके लिए उपयोगी जानकारी , मनोरंजन और शिक्षाप्रद कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है। भारत के सम्मान को दुनियाभर में बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात के माध्यम से रेडियो की प्रसिद्धि को और अधिक बढ़ा दिया है। उन्होंने रेडियो से आम जनता के जुड़ाव की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए 3 अक्टूबर 2014 से मन की बात कार्यक्रम प्रारंभ किया । देश की जनता के साथ संवाद करने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मन की बात के माध्यम से रेडियो पर जो अद्भुत पहल की , उसने देश विदेश में लोकप्रियता के नए कीर्तिमान बनाए हैं। मन की बात ने रेडियो के जरिए लोगों के मन में गहराई तक अपनी पैठ बना ली है । मन की बात का मंच समाज में बेहतर बदलाव के लिए उपयोगी साबित हुआ है । अब तक मन की बात के 100 से अधिक एपिसोड का प्रसारण हो चुका है। प्यारे देशवासियों के साथ ही विदेश में रहने वाले भारतीय लोगों को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात का बेसब्री से इंतजार रहता है। रेडियो पर होने वाली श्री मोदी के मन की बात में ऐसे अनुकरणीय उदाहरण, ऐसे आदर्श व्यक्तित्व की चर्चा की जाती है जिससे देश और समाज के लिए बेहतर काम करने की प्रेरणा मिलती है। यहां यह बताना जरूरी होगा कि अब रेडियो यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर जैसे तमाम सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर भी मौजूद है। इसे रेडियो प्लस के नाम से जाना जाता है । यह कहीं भी, कभी भी रेडियो सुनने की आजादी देता है और वह भी बिना रेडियो सेट के। आप आपने मोबाइल फोन पर आसानी से रेडियो सुन सकते हैं। रेडियो ने सामाजिक बदलाव के साथ ही समय के अनुसार खुद को भी बदला है। श्रोताओं की पसंद , उनकी जरूरत के अनुसार रेडियो पर नए नए प्रोग्राम बनाए , प्रसारित किए जा रहे हैं। रेडियो हमारे समाज के हर वर्ग की बेहतरी के लिए , उन्नति के लिए अपना योगदान दे रहा है। ऐसा विश्वास किया जाना चाहिए कि रेडियो से जनता का रिश्ता सदैव बना रहेगा। किसी शायर ने क्या खूब कहा है, गौर फरमाएं: " अंदाजे बयां मेरा बहुत खूब नहीं है, शायद कि तेरे दिल में उतर जाए मेरी बात " ( लेखक आकाशवाणी भोपाल में आकस्मिक समाचार संपादक हैं ।