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सीधी: चेहरे चर्चित चार नेता अफसर - विधिक पत्रकार

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।


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👉 श्रीमती रंजना मिश्रा✍️
कांग्रेस नेत्री

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आज जिक्र काँग्रेस पार्टी में उभरती हुई युवा महिला नेतृत्व रंजना मिश्र का पूरा गृहस्त जीवन से ताल्लुक रखने वाली मध्यम वर्गीय परिवार में पली बढ़ी रंजना आज सीधी की राजनीति में उभरता हुआ नाम है, जो एक महिला होने के नाते बड़ा साहस और गौरवपूर्ण है। रंजना का जन्म 7 दिसंबर 1981 में हुआ, पिता तारा प्रसाद तिवारी जो निवासी लउवा मायापुर के है, लेकिन तहसीलदार पद पर छत्तीसगढ़ रायपुर मे सेवारत रहते हुये आवाद हो गये हैं , रंजना की शिक्षा सीधी से हुई, रंजना ने बीए, एम ए, और एलएलबी की डिग्री सीधी संजय गांधी महाविद्यालय से प्राप्त की है।
और सीधी जिला न्यायालय में बाकायदा वकालत भी करती है।


अध्ययन काल मे ही चुरहट क्षेत्र के ममदर गाँव के एक प्रतिष्ठित परिवार में विवाह हो गया। इनके ससुर स्व रामसुजान मिश्रा ब्लॉक शिक्षाधिकारी थे, अब रंजना के परिवार में आधी संख्या के लोग शिक्षा विभाग में ही कार्यरत है, उनके पति विनय मिश्रा भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ हैं।
वकालत करने के दौरान ही रंजना का राजनीतिक सफर शुरू हुआ, 2012 के अधिवक्ता संघ के चुनाव में रंजना उपाध्यक्ष निर्वाचित हुईं। उधर पारिवारिक राजनतिक संपर्क पहले से काँग्रेस में ही था इस नाते रंजना भी महिला कांग्रेस में जुड़ गई और 2012 में ही महिला कांग्रेस में जिला महामंत्री बन गईं । वर्ष 2014 में रामपुर नैकिन के वार्ड क्रमांक 11 से जनपद सदस्य निर्वाचित हो गईं, यहां से रंजना की राजनीति ने थोड़ा उड़ान भरी, लेकिन असली राजनीतिक उछाल तो रंजना को काँग्रेस पार्टी ने युवा कांग्रेस का लोकसभा अध्यक्ष बना कर दिया, और रातों रात रंजना सीधी की राजनीति में एक ऐसे श्रेणी के नेताओ में शामिल हो गई जिनकी चर्चा सीधी सिंगरौली तक होती है, लोग जिन्हें पार्टी के नेताओ के रूप में जानते है।

हालांकि रंजना के लोकसभा अध्यक्ष बनने की कहानी बड़ी रोचक रही है,
युवा काँग्रेस में तब चुनाव से लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित होते थे, और उस निर्वाचन प्रक्रिया में रंजना दूर दूर तक कही हिस्सेदार भी नहीं थीं, निर्वाचित तो भाष्कर मिश्रा हुए थे, परंतु उनकी स्वयं की कुछ गलतियां, और कुछ राजनीतिक नाटकीय स्थिति के भाष्कर शिकार हो गए और दिल्ली से उनके पद को शून्य कर दिया गया, तब विकल्प में कुछ अन्य पदों पर निर्वाचित कुछ और तेजतर्रार चेहरे थे, पर रंजना उस समय निर्वाचित जनपद सदस्य थीं, इस नाते उनकी भी दावेदारी पार्टी के गाइडलाइंस के दायरे में प्रबल थी, और रंजना का नाम राहुल भइया ने आगे बढ़ाया, अब ऐसे में स्वाभाविक रूप से तय परिणाम में रंजना युवा कांग्रेस की लोक सभा अध्यक्ष तो नियुक्त हो गई, लेकिन युवा कांग्रेस में अन्य लोकसभा कमेटी के पदाधिकारी भी उतने सहज नही थे, इस लिए रंजना के सामने कठिन चुनौती भरा ये पद था। लेकिन रंजना के ऊपर बड़े नेता का सपोर्ट होने के कारण अन्य कार्यकर्ता भी गाहेबगाहे उनके कार्यक्रमो को सफल बनाने में लगते ही थे, 2018 में पार्टी ने लोकसभा पद समाप्त कर दिया तब रंजना सीधी युवा विंग की अध्यक्ष हो गई, जो 2020 तक रहीं। लेकिन अध्यक्षी ने तो रंजना को पहचान दी लेकिन रंजना अध्यक्षी के सांथ वो न्याय नहीं कर पाई जो उम्मीद थी, बांकी कार्यकर्त्ताओ का सूखा झेल रही पार्टी को रंजना भी नई फसल नहीं दे सकी जिसके लिए युवा कांग्रेस जानी जाती है।

पार्टी संगठन और वकालत के अलावा रंजना सामाजिक सम्मेलन वाले कार्यक्रमो में सक्रिय रहती है, रंजना सामाजिक संगठन अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज की म प्र की संयोजक है। अंत मे मैं इतना जरूर कंहूंगा कि कुछ भी हो लेकिन गैर राजनीतिक घर से ताल्लुक रखने वाली रंजना ने सीधी के बी श्रेणी के नेताओ में अपना दाखिला करा ही लिया है, अब आगे की कहानी हमेशा किस्मत ही लिखती है, जिस बात का भान रंजना को निश्चय ही होगा।


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👉 नीलकंठ मरकाम✍️
क्षेत्र संयोजक

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आज हम चर्चा करेगे एक आदिवासी परिवार के कल्चर पर जिन्होंने कोदौ कुटकी से प्रारम्भिक जीवन यापन से उभर कर आज सीधी जिले में लम्बे समय से अपनी सेवा दे रहे सरल सहज व्यक्तित्व के धनी आदिवासी अधिकारी नील कंठ मरकाम जी के जीवन के उतर चढ़ावों के बारे में,जो बेहद ही सदा जीवन जीने के आदी है इनका जन्म रीवा जिले के हनुमाना तहसील अंतर्गत पिपराही में 01 जुलाई 1969 को हुआ पारिवार में इनके अतिरिक्त 06 बहने थी इनके पिता जी नौकरी में होने के कारण घर से बाहर रहते थे जिस वजह से शुरुआत में घर की पूरी जिम्मेदारी इन्ही पर थी , घर में जमीन होने के कारण ये खेती किसानी का कार्य भी करता थे ।

इनकी शुरूआती पढाई गांव के ही शासकीय विद्यालय में संपन्न हुई, लेकिन प्राथमिक शिक्षा पास करने के बाद गांव से 06 किलोमीटर दूर पैदल पिपराही शा. मा. शाला. मे अध्ययन हेतु जाते थे लेकिन समस्या का अभी समाधान नही हुआ बल्कि कक्षा 8 वी प्रथम श्रेणी में पास करने के बाद अब शिक्षा और अधिक कठिन हो गयी , घर से 35 किलोमीटर दूर मंऊगज जहां कंधे पर एक तरफ राशन व एक तरफ लकड़ी का गठ्ठा लेकर पैदल पढाई करने जाना पड़ता था । वहाँ एक कमरे में हफ्ते भर रहने के बाद पुनः राशन व लकड़ी लेने पैदल ही घर जाते थे । मरकाम जी की माने तो उनका परिवार न तो बहुत अधिक संपन्न था और न ही गरीब लेकिन स्थितियां ऐसी रही की मेहनत ज्यादा थी, घर से दूरी अधिक होने के कारण यदि कभी राशन कम पड़ जाये तो एक बार सुबह खाना बनाकर दोनों टाईम थोड़ा- थोड़ा खाकर गुजर पसर करते थू । खाने में उस समय के अनुसार मोटा अनाज (सांवां , मिझरी , कुटकी , और कोदो) का चावल , जौ ,चना ,मटरा की रोटी ही खाने में नसीव होती थी । और तो और एक वर्ष ऐसा रहा कि चावल हुआ ही नही जिसके कारण चार माह मोटे अनाज की रोटी ही खाकर समय व्यतीत करना पड़ ।| मरकाम जी अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताते है की एक पट्टा पायजामा व टेरी काट सर्ट मे पूरे साल की पढ़ाई की जाती थी, हप्ते में एक बार लकड़ी की राख से कपड़े की धुलाई करते थे साबुन उस समय था नही तो काली मिट्टी शरीर मे लगा कर नहाने का कार्य करते थे ।

नीलकंठ सिंह मरकाम के पिता शंकर सिंह मरकाम सहायक शिक्षक थे जो सेवानिवृत्त हो चुके है , श्री मरकाम आदिवासी विकास विभाग में 25/04/1994 मे मंडल सरोज के नौकरी की शुरुआत की व 2005 मे विकास खण्ड कोतमा जिला अनूपपुर व 2007 से 2014 तक सहायक परियोजना प्रशासक देवसर जिला सिरौली व 2014 से 2017 तक विभिन्न जनपदों सीधी. सिहावल कुसमी व पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर में सेवा दे चुके है वर्तमान मे आदिवासी विकास विभाग में क्षेत्र संयोग के पद पर कार्यरत है श्री मरकाम का कार्यकाल जनपदों में स्वक्षता अभियान शौचालय निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका में रहे हैं , व आदिवासी विकास विभाग में वन भूमि के हक प्रमाण में विशेष योगदान रहा है वे आदिवासी गोड जनजाति से सम्बन्धित है उनकी शिक्षा ग्रमीण विद्यालय से प्रारंभ हुई है व एम. ए. समाज से प्रथम श्रेणी में उतीर्ण किये है श्री मरकाम आज भी अपने कार्य को विशेष प्रथमिकता के साथ ईमानदारी पूर्वक करने का प्रयास करते हैं । और सीधी जैसी जगह में वह अपने आपको सीधा साधा स्थापित किये हुये हैं , यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर ...अपने ही कल्चर में सादगी जीवन जीना इनकी फितरत में है ।


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👉 सुजाता मिश्रा ✍️
वरिष्ठ अधिवक्ता

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वकालत के क्षेत्र का चयन कर जब कोई महिला जज्बा जुनून के साथ न्यायालय परिषद में प्रवेश करती है व इस पेशा मे बड़ी तन्मयता के साथ जुड़ती है तब निश्चित रूप से उसका नाम चर्चित रहेगा ही और वह नाम है सीनियर एडवोकेट श्रीमती सुजाता मिश्रा जी का जो छात्र जीवन से ही प्रतिभाशाली रही है, संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से एमए और एल एलवी की पढ़ाई के दौरान इनकी रुचि खेलकूद एवं सास्कृतिक कार्यक्रमों मे अग्रणी भूमिका में रहा करती थी , वर्ष 1990 मे वकालत की डिग्री हांसिल करके दिनांक 08/02/1991 मे वकालत का श्री गणेश जिला न्यायालय सीधी से आरम्भ किया जो निरंतर आज भी लगन के साथ करती आ रही है, इस क्षेत्र में श्री मती मिश्रा को स्थापित होने में बहुत संघर्ष नही करना पड़ा उनका मानना है कि जीवन के हर क्षेत्र में समस्याओं का सामना तो करना ही पड़ता है लेकिन जो डंटकर लगन परिश्रम से सामना करता है वह शीघ्र सफल होता है और इसी ध्येय पथ पर चलते हुए श्री मती सुजाता मिश्रा ने क्रिमिनल एवं सिविल दोनों तरह के मामलों की पैरवी के लिए जानी जाती हैं । ये कई बीमा कंपनियों की लीगल एडवाइजर की जिम्मेदारी का निर्वहन करती चली आ रही है,महज दो वर्ष की वकालत मे ही जिला अधिवक्ता संघ सीधी की उपाध्यक्ष निर्वाचित होकर अपने दायित्व का निर्वहन किया था! वकालत के साथ सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता के लिए वर्ष 1991 मे विश्व हिंदू परिषद संगठन से जुडकर दुर्गा वाहिनी की जिला संयोजिका के पद पर रहकर कार्य किया उसके पश्चात दुर्गा वाहिनी की प्रांतीय संयोजिका की जिम्मेदारी सौपी गयी लेकिन वकालत क्षेत्र में ज्यादा व्यस्तता के कारण इन्हें उस दायित्व से मुक्त होना पड़ा, वर्तमान में श्री मती मिश्रा एडवोकेट योग से निरोग के क्षेत्र में महिला पतंजलि योग समिति सीधी की जिला प्रभारी के दायित्व के साथ योग के लिए समर्पित रहती है तथा योग के लिए लोगों को प्रेरित करती रहतीं है! श्री मती सुजाता जी भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा को पसंद करती है तथा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की कार्यशैली की प्रशंसक हैं, कुल मिलाकर महिला समाज से वकालत के क्षेत्र में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराने में अधिवक्ता श्रीमती सुजाता मिश्रा कामयाब रही हैं ।


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👉 हरीश मिश्र ✍️
पत्रकार
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तीन छड़ी पान, होंठों पे मुस्कान और सर पे टोपी के साथ सभी से बड़े आत्मीयता के साथ मुखातिब होता चेहरा बस यही है हरीश मिश्रा की पहचान ...जी हां वैसे तो पत्रकार अक्सर अपने अनोखे तौर तरीको के लिए जाने जाते है लेकिन इन महाशय की पान भरी मुस्कान में अलग ही शानहै । जिले में अलग अलग बैनरों के तले अपनी पत्रकारिता का जादू दिखाने वाले हर दिल अजीज हरीश मिश्रा मूलतः ग्राम पोस्ट कपुरी चुरहट के रहने वाले है, जबकी वर्तमान में ये डैनिहा सीधी में निवासरत है ।

इन्होने टीआरएस रीवा से स्नातक एवं माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से पीजीडीसीए की उपाधि प्राप्ति की बात करे इनके कार्य अनुभव की तो इन्होने बतौर सिटी रिपोर्टर 2002 से 2005 तक दैनिक कीर्ति क्रांति में, 2006 से अप्रैल 2008 तक दैनिक सत्य गंगा सिंगरौली, मई 2008 से जुलाई 2009 तक दैनिक जागरण सिंगरौली बिशेष रिपोर्टर,अगस्त 2009 से 2010 दिसम्बर तक दैनिक सत्य गंगा सीधी में कार्यरत रहे | इसके अतिरिक्त जनवरी 2011 से सिटी रिपोर्टर स्टार समाचार सीधी व 2013 से जुलाई 2014 तक दैनिक जागरण सीधी में बिसेष संवाददाता के रूप में अपनी सेवाए दी,जुलाई 2014 से 2017 तक दैनिक भास्कर सीधी में मार्केटिंग हेड,अगस्त 2020 से ब्यूरो चीफ मध्यप्रदेश जन संदेश में अभी कार्यरत हैं। साथ ही इन्हे मार्च 2021 में मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ सीधी का जिलाध्यक्ष भी बनाया गया है ।

एक पत्रकार के रूप में इन्होने कभी भी खबरों से समझौता नही किया,जिसके कारण इन्हे कई बार कई तरह की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा| इनके द्वारा अपनी काबिलियत के मार्फत कई विभागों के भ्रस्टाचारियों को भी बेनकाब करने का काम किया गया है । कम समय में किंतु जिले के कुछ नामी गिरामी चर्चित चेहरों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाबी हांसिल करने वाले हरीश पत्रकार कम शोषल ज्यादा हैं ।

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