आदरणीय पाठक बंधु सादर अभिवादन स्वीकार हो। हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे। मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें। आपका सचीन्द्र मिश्र सीधी ................................................... 📱 चेहरे चर्चित चार📱 नेता अफसर - विधिक पत्रकार जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार । ....................... .. ....................... 👉 लालचन्द्र गुप्ता ✍️ उपाध्यक्ष ................................................... चर्चित चार चेहरों में अमुख एक ऐसा नाम जो कभी सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल के साथ लक्ष्मण की भूमिका में रहा है वह हैं प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष लालचन्द्र गुप्ता , जिनका जन्म 13 जून 1961 है और शिक्षा-दीक्षा सीधी में हुई है , लालचन्द्र केवल दसवीं पास है लेकिन उनके गुणा-गणित व कार्यक्षमता के आगे अच्छे-अच्छे पढ़ाकू व पीएचडी वाले भी गच्चा खा जाते हैं। लालचन्द्र की राजनीतिक शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से सन 1980 में हुई। बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करते ही वे पार्टी का झंडा बुलंद करने के लिए आगे बढ़ चुके थे। 1983- 84 में भाजपा ने उन्हें भाजपा व्यापारी संघ का जिला अध्यक्ष बना दिया और 1986 में वह बीजेपी कार्य समिति के सदस्य बन जाते हैं। इसके बाद 1992 में भाजपा ने उन्हें बड़ा दायित्व सौंपा और उन्हें बीजेपी युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष बना दिया। 1992 से 1996 तक युवा मोर्चा का दायित्व संभालने के बाद पार्टी ने उन्हें 1998 में जिला महामंत्री बना दिया। इसके बाद लालचन्द्र गुप्ता का कद पार्टी में लगातार बढ़ता गया और सन 2000 आते-आते पार्टी ने उन्हें भाजपा जिला अध्यक्ष बना दिया। 4 सालों तक संगठन में कार्य करने के बाद प्रदेश भाजपा में कुछ तकरार के चलते बीजेपी को उन्होंने बाय बाय कर दिया और 2005 में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के नेतृत्व वाली जनशक्ति पार्टी के साथ हाथ मिला लिया। जनशक्ति पार्टी ज्वाइन करते ही पार्टी ने उन्हें प्रदेश मंत्री बना दिया। इसके कुछ समय बाद ही उन्होंने जनशक्ति पार्टी को छोड़कर वर्तमान के केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के संरक्षण में जेडीयू पार्टी ज्वाइन कर ली और जेडीयू के बैनर से 2008 विधानसभा का टिकट भी इन्होंने ले लिया और सीधी के चुनावी मैदान में दस्तक दे दी। इस चुनाव में उन्हें पराजय झेलनी पड़ी। लेकिन एक बार फिर 2014 में भाजपा से इनकी नजदीकियां बढ़ने लगी और वह बीजेपी में शामिल हो गए। और पार्टी ने उन्हें अपने प्रदेश कार्यसमिति में शामिल कर लिया। 2015-16 के दौरान एक बार फिर से उन्हें बीजेपी जिला अध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन यहां उनका ठहराव कुछ ही समय तक रहा क्योंकि पार्टी ने 2017 में लालचन्द्र को अध्यक्ष पद से हटाकर डॉ राजेश मिश्रा को अध्यक्ष बना दिया। इन्हीं तमाम कारणों के चलते 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त में इन्होंने भाजपा को अलविदा कह दिया और कांग्रेस का हाथ थाम लिया। कांग्रेस में भी उनकी वजनदारी कम नहीं रही। और 2019 से लेकर अब तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद पर आसीन है। लालचन्द्र गुप्ता ने अपना राजनीतिक गुरु किसी को नहीं बनाया लेकिन 1987 से पिछले एक दशक तक बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला से उनके पारिवारिक संबंध रहे हैं। उन्होंने केदारनाथ शुक्ला के साथ जमकर राजनीतिक पारी खेली है। 1987 से 1996 तक लालचन्द्र विधायक केदारनाथ शुक्ला के संपर्क में रहे हैं। केदारनाथ शुक्ला जब 1998 में विधायक निर्वाचित हुए तब इन दोनों नेताओं के बीच वैचारिक मतभेद होने के चलते लालचन्द्र गुप्ता ने किनारा काट लिया, लेकिन उसके पहले जब तक इन दोनों नेताओं में घनिष्ठता रही तब 1990 के चुनाव में भी लालचन्द्र ने केदारनाथ शुक्ला का साथ नही छोड़ा बीजेपी में रहते हुए भी अंदर ही अंदरखाने उनकी मदद करते रहे। 22 जनवरी 1996 में सीधी के वहुचर्चित गोमती कांड की घटना को याद करते हुए लालचंद बताते हैं कि प्राचार्य गुरु सिंह के सिर पर चोट लगने से मामला गंभीर हो गया और स्थिति बिगड़ने पर तत्कालीन कलेक्टर प्रवीण गर्ग व एसपी अरविंद कुमार सहित पुलिस ने क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया। जिले में व्यापारियों के साथ हुई बर्बरता को लेकर लोगों और व्यापारियों में जहां आक्रोश था वही केदारनाथ शुक्ला और लालचंद गुप्ता ने प्रशासन के कान खड़े कर दिए। इन दोनों नेताओं ने व्यापारियों के संरक्षण को लेकर मुहिम छेड़ दी और आंदोलन को बड़ा रूप दे दिया। आंदोलन को देखते ही पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और आंदोलन में लालचन्द्र जख्मी हो गए और उनकी आंखों में दर्दनाक चोट लगी। तब आननफानन में केदारनाथ शुक्ला तुरंत लालचंद के पास पहुंचे और उनकी स्थिति को देखते ही अस्पताल लेकर पहुंच गए। बाद में कलेक्टर बंगले में समझौते के उपरांत इन्हीं दोनों नेताओं के चलते व्यापारियों के कलेजे को ठंडक मिली। लालचन्द्र गुप्ता व विधायक केदारनाथ शुक्ला के बीच आज भले ही मतभेद हो लेकिन गोपद बनास विधानसभा क्षेत्र से जब केदारनाथ चुनाव लड़ा करते थे तब खामघाटी से लेकर मझौली वाले बेल्ट के प्रभारी लालचन्द्र गुप्ता ही हुआ करते थे। वर्ष 1998 के पहले के दिनों को लालचन्द्र गुप्ता याद करते हैं और बताते हैं कि एक दशक तक हम दोनों एक ही थैली के चट्टे बट्टे थे। इतना ही नहीं सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ल के पिता और माता ( बाबू -दिदी ) का मेरे प्रति अच्छा स्नेह था परिवारिक संबंध मधुर होने के नाते मै और ( केदार भैया ) एक ही तख्ते में रोटी और भर्ता चखते थे , या यूं कहूं कि एक ही थाली में खाना खाते थे और तब विधायक श्री शुक्ल की धर्मपत्नी (भाभी जी )के हाथों की बनाई हुई गरम गरम रोटी का आनंद ही कुछ और था , केदारनाथ शुक्ल के माद से निकले स्वच्छ राजनीति के परिचायक लालचन्द्र ने दो दशक बीत जाने के बाबजूद भी पोई हुई पनिहई रोटी और बैगन भर्ता की यादों को तरोताजा कर दिया हैं । ................................................... 👉 शंभु प्रसाद त्रिपाठी ✍️ रिटायर्ड डीईओ ................................................... एक ऐसे रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी जिसने अपने अथक संघर्षों से शिक्षा पूरी कर जिला शिक्षा अधिकारी बनने तक का सफर तंय किया। जी हां आज हम बात कर रहे हैं सीधी जिले के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी शंभू प्रसाद त्रिपाठी की। त्रिपाठी जी का जन्म 3 मई 1942 को सीधी जिले के कुआं में हुआ। घरेलू स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह कुआं से निकलकर शहडोल से हायर शिक्षा हांसिल करके वह उच्च शिक्षा संस्कृत विश्वविद्यालय बनारस से व्याकरण विषय में आचार्य की पढाई अर्जित कर 1970 में एक संस्कृत विद्यालय की स्थापना करते हैं और प्राचार्य बन जाते है। 1985 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कुंवर अर्जुन सिंह जी ने उनके संस्कृत विद्यालय को शासनाधीन कर दिया। 1997 में उनकी पदोन्नति हुई और वे जिला शिक्षा अधिकारी बन जाते हैं। उनके बतौर जिला शिक्षा अधिकारी पहली पदस्थापना तबके मध्यप्रदेश में शामिल और आज के छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में हुई लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। कुछ समय बाद बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के निर्देश पर उनका तबादला सीधी जिले में कर दिया गया। और वे 1998 से 31 मई 2004 तक सीधी में जिला शिक्षा अधिकारी रहते हुए रिटायर्ड हो गए। करीब 7 वर्षों तक सीधी में अपनी सेवा के दौरान उन्होंने सीधी के शैक्षणिक ढांचे को एक नया आयाम दिया और शिक्षा के क्षेत्र में सीधी को प्रदेश भर में अग्रणी बनाया। शंभू त्रिपाठी जी एक धार्मिक व्यक्तित्व के धनी है , और वे संस्कृत के अच्छे ज्ञाता भी माने जाते हैं। जिस कारण उन्हें धार्मिक अनुष्ठान,भागवत कथाकार सहित रामलीला के पात्र आदि जैसे कार्यों में उन्हें निपुणता हासिल है। श्री त्रिपाठी एक संघर्षशील व्यक्ति है , शासकीय सेवाकाल में उनके द्वारा शिक्षा और धर्मिक क्षेत्रों किये गये कार्य आज भी अनुकरणीय है , संस्कृत के विद्यार्थी होने के नाते इन्होंने अपनी धरोहर को अमिट रखा लोग पद पर पंहुचने के उपरांत अपनी संस्कृत को अक्सर भूल जाते हैं लेकिन वह डीईओ पद से विरत होकर पान प्रेमी श्री त्रिपाठी अपने संस्कार और शिष्टाचार को आज भी कायम रखे है । ................................................... 👉 सुखेन्द्र द्विवेदी ✍️ वरिष्ठ अधिवक्ता ................................................. वकालत पेशा से जुड़े एक ऐसे चेहरे से आप को रूबरू करा रहा रहे हैं जो बहुत कम समय में बहुत कुछ हासिल करने मे कामयाब रहे हैं ऐसे वरिष्ठ अधिवक्ता सुखेन्द्र प्रसाद द्विवेदी निवासी करौदिया सीधी का जन्म 01-05 -1963 में ग्राम फुलवारी बहरी मे हुआ था, इनके पिता जी शिक्षक थे जिनकी समाज मे सोहरत व प्रतिष्ठा थी, इसीलिए इनकी प्रारम्भिक शिक्षा दिक्षा पिता जी के संरक्षण में हायर सेकण्डी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पतुलखी मे हुई उस समय हायर सेकण्डी पतुलखी के तत्कालीन प्राचार्य द्वारा श्री द्विवेदी के कार्यशैली से प्रभावित होकर इन्हें RSS से जुडने की प्रेरणा दी उन्ही के सलाह पर ये प्रथम व द्वितीय वर्ष प्रशिक्षण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का किया था , संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से BA. LLB कर इन्होंने वर्ष 1988 मे जिला न्यायालय सीधी में वकालत की शुरुआत किया जो अनवरत आज भी जारी है, वकालत के साथ साथ समाजसेवा से भी आप जुड़े रहे हैं कालेज के दिनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रहे तथा वकालत पेशा के दौरान भारतीय जनता पार्टी मे युवा मोर्चा के अध्यक्ष वाद में वर्ष 1990 मे भाजपा मंडल बहरी के मंडल अध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन आपके द्वारा किया गया, उस दौरान बहरी क्षेत्र में ये खूब चर्चित रहे हैं! वर्ष 2004 मे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में सीधी नगर पालिका के वार्ड 11 से पार्षद का चुनाव लड़ने के बाद भाजपा की सक्रिय राजनीति से अलग हो गये । किंतु सीधी जिले की राजनीतिक समीकरण में वह आज भी सीधी विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ल को अपना आदर्श मानते हैं । श्री द्विवेदी जिला न्यायालय में अपर लोक अभियोजक के पद पर नियुक्त होकर आज दिनांक तक इसी दायित्व का जिम्मेदारी से निर्वहन कर रहे है, इस अवधि में कई संगीन अपराधो की पैरवी कर अपराधियो को सजा दिलवाने में कामयाब रहे हैं , कुल मिलाकर सुखेन्द्र द्विवेदी खानपान के प्रेमी, सहज सरल, दिल खुश मिज़ाज वाले सदाबहार हैं! ................................................... 👉 जगन्नाथ द्विवेदी ✍️ वरिष्ठ पत्रकार ................................................... सीधी जिले की पत्रकारिता जगत में अपनी एक अलग अलख जगाने वाले पत्रकार जगन्नाथ द्विवेदी का जन्म 4 अप्रैल 1978 को बहरी के भनमारी गांव में हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा सीधी जिले में ही हुई। उन्होंने बीएससी, एलएलबी सीधी के संजय गांधी कॉलेज से पूर्ण की और पत्रकारिता में अपना कदम रख दिया। जगन्नाथ द्विवेदी ने 2001 में पत्रकारिता में कदम रखा और दैनिक भास्कर में सहायक जिला प्रतिनिधि बने। इसके बाद 2002 में नवभारत में सहायक ब्यूरो और 2004-05 में बतौर सहायक ब्यूरो दैनिक जागरण में कार्य किया। इसके उपरांत कुछ अर्से बाद 2008 में वे विंध्य भारत समाचार पत्र में ब्यूरो प्रमुख के रूप में कार्य प्रारंभ किया और आज तक निरंतर विंध्य भारत के साथ कार्य कर रहे हैं। जगन्नाथ बताते हैं कि उनका उद्देश्य एलएलबी करके वकालत करना था लेकिन पत्रकारिता में रूचि होने के कारण व पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रख दिए। पहले लोगों में पत्रकारिता को लेकर एक अलग छवि थी लेकिन एक दशक से पत्रकारों की संख्या में इजाफा होने से कुछ ऐसे भी साथी आ गए हैं जो काम तो कर रहे हैं लेकिन विमुख होकर या हटके। इतना जरूर है कि पत्रकारिता को जब से अखबार मालिकों द्वारा व्यावसायिक ढांचे में तब्दील कर दिया गया तब से कुछ चाह कर भी लिखने के लिए सोचना पड़ता है। फिर भी इस चर्चित चेहरे ने किसी को वक्शा नही , अपने आप में मूड़ वना तो समझो कि हम किसी से कम नही ...? जगन्नाथ की पत्रकारिता के पीछे किस्सों के ढेर हैं , अगर किस्से नही तो फिर जगन्नाथ का मतलब क्या.. अंत में यही कहेंगें कि उनकी लेखनी में दम तो है ..😄