आदरणीय पाठक बंधु सादर अभिवादन स्वीकार हो। हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे। मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें। आपका सचीन्द्र मिश्र सीधी ................................................... 📱 चेहरे चर्चित चार📱 नेता अफसर - विधिक पत्रकार जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार । ................................................... 👉 राजेंद्र सिंह भदौरिया✍️ वरिष्ठ कांग्रेस नेता ............................................... आज बात उस नेता की, जो एक जमाने मे काँग्रेस में कुछ न होते हुए सबकुछ था, जिले में पैदा हुए राष्ट्रीय नेता स्व अर्जुन सिंह जी के जो लगभग हर बड़े पदों का वह जिले में प्रतिनिधि था, चाहे वह मुख्यमंत्री पद का दौर हो या केंद्रीय मंत्री से राज्यसभा तक, या फिर जिले में किसी भी बड़े निर्णयों के आदेश तक, सबको उस व्यक्ति की ही प्रतीक्षा होती थी, वो नाम है जिला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र सिंह भदौरिया। जिनका जन्म 1951 पवित्र धार्मिक नगरी काशी में हुआ था। इनके पिता जी शिक्षक और अच्छे साहित्यकार रहे है। भदौरिया छात्र जीवन से ही राजनीतिक स्वभाव के थे, और छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहते थे, उन दिनों आज के सीधी के वर्तमान विधायक केदारनाथ शुक्ला के पैनल से चुनाव लड़े थे। फिर 1974 में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह जी हाथों काँग्रेस की सदस्यता ले ली, तबसे उन्ही के निर्देशन पर काँग्रेस पार्टी में काम करना शुरू किया, चूंकि अर्जुन सिंह जी के चुनाव क्षेत्र से होने के कारण भदौरिया जी की चुनावी रणनीति हमेशा काफी चाकचौबंद होती थी, जिससे समय के हिसाब से भदौरिया अर्जुन सिंह जी के सबसे खास टोली में जगह बना लिए। वर्ष1975 में कृषि उपजमंडी के डारेक्टर हो गए। 1978 में जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री बन गए, उन दिनों पूर्व सांसद मोतीलाल सिंह पार्टी के जिलाध्यक्ष थे, उसके बाद रामसेवक पाठक, मोहम्मद स्माइल, चिंतामणि तिवारी सहित चार अध्यक्षो के कार्यकाल में वर्ष 2004 तक निरंतर महामंत्री पद पर रहे। उसके बाद जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद पर अब तक लगातार कार्य कर रहे हैं। इस दौरान भदौरिया को सरकारी पद से भी पार्टी ने नवाजा जिसमे भदौरिया तीन बार जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष जैसे बड़े पद पर भी रहे। उस समय कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष रहते हुए, सहकारिता के क्षेत्र में 1993 में अपेक्स बैंक का डारेक्टर होने के नाते जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड अमेरिका सहित अन्य देशों की यात्रा की। अर्जुन सिंह जी के नजदीकी रहते हुए भदौरिया का कद इस तरह बढ़ गया सीधी सिंगरौली में भदौरिया जिस आदमी के पीठ पर हाथ रख देते थे वह किसी अच्छे राजनीतिक पद का उम्मीदवार ही चुन लिया जाता था या तो एक तरह से कहिये की भदौरिया ही चयनकर्ता होते थे। भदौरिया पार्टी में कुसल संगठक माने जाते है लेकिन उनके समर्थकों का मानना है उनको कई बार बहुत कुछ मिलते मिलते नहीं मिला। जब कि उनके समकालीन और कुछ अन्य नेताओं का मानना है बास्तविक रूप से जो भदौरिया को मिला वो किसी को मिला ही नही। खैर अभी उस टीम के नेताओ का सक्रिय राजनीति में अंतिम दौर होगा जहां अभी भी राजनीति में कुछ पाने की इच्छा होगी, लेकिन ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि काँग्रेस अब युवाओं को एक नई टीम खड़ा करेगी या अभी पुराने रणबाकुरों पर ही दांव लगाएगी। ................................................... 👉 एस.पी.शुक्ल✍️ रिटायर्ड इंजीनियर .................................................. मेरा भारत देश कृषि प्रधान देश है, मेरे भारत की संस्कृति अनोखी है, मेरे भारत का कानून, मेरे भारत देश ने विज्ञान और पौधों के क्षेत्र में बहुत तरक्की की है, मेरा भारत महान देश डिजिटल युक्त देश है, मेरा भारत यहां की नदियों और राज्यों के लिए महान है। यहां की बहुत खास बातें मेरे देश को महान बनाती है। यही सब तमाम भारत की विशेषताओं ने सीधी जिले की एक सख्सियत को विदेश नही जाने दिया वह एक वडा़ चर्चित चेहरा है रिटायर्ड इंजीनियर " सत्यप्रकाश शुक्ल " जिनका जन्म चुरहट विधानसभा क्षेत्र चुरहट के तिवरिगमा (बूसी ) में 1.10.1951 को एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ है जिनकी शिक्षादीक्षा रीवा में हुई है।इंजीनियरिंग की पढाई करने के उपरांत श्री शुक्ल ने नौकरी का श्री गणेण प्राइवेट सेक्टर की एक नामी गिरामी कम्पनी से किया था किंतु विदेश सेवा के लिये किया गया तवादला उन्हें रास नही आया चूंकि अपनी जन्मभूमि भारत वह छोड़ना नही चाहते थे । वहरहाल इस चर्चित चेहरे ने आरईएस विभाग में वतौर इंजीनियर नौकरी करके सिहोर , सतना , उमरिया , सीधी , रीवा सहित अन्य स्थानों में सेवायें दी है , लेकिन सेवाआयु पूर्ण होने के पहले ही वह VRS ले लिये । सत्यप्रकाश शुक्ल एक वहुचर्चित परिवार के सदस्य हैं इनके चाचा स्वर्गीय मुनि प्रसाद शुक्ल पूर्व मंत्री रहे हैं जबकि पिता श्री जयराम प्रसाद शुक्ल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं । राजनीतिक घराने में पलेबढे एसपी शुक्ल को सियासत विरासत में मिली है किन्तु वह राजनीति से विरत हैं । राजनेताओं के गोद में खेलने वाले एसपी शुक्ल शोषल और धार्मिक हैं , सरल सहज स्वाभाव के धनी एसपी शुक्ल के सैकड़ों लोग आज भी दीक्षित हैं उनके प्रति लोगों में सम्मान और निष्ठा का भाव है । एसपी शुक्ल के बाबा स्वर्गीय महादेव शुक्ल बड़े साहित्यिक और धार्मिक बिचारधारा के ब्यक्ति थे , पिछले तीन पुष्ति से हनुमान जी की पूजा अर्चना का क्रम आज भी जारी है , हनुमान जी के उपासक श्री शुक्ल भी पूर्वजों के पदचिन्हों पर आज आवाद हैं । ........... ....................................... 👉 स्नेहलता तिवारी ✍️ वरिष्ठ अधिवक्ता ................................................... वो महिला जिसने समाज का नाम रोशन किया हो किंतु इसके लिए उन्हें कईं समस्याएं भी देखनी पड़ी , पर्दा प्रथा से लेकर तमाम पारिवारिक समस्याओं सहित सब कुछ सहन करना पड़ा। खुद का तो नाम रोशन किया ही साथ ही बाकी महिलाओं के नाजीर वनी वरिष्ठ अधिवक्ता स्नेहलता का जन्म 15 . 5. 1963 को हनुमानगढ़ में हुआ ।जब एक गृहणी घर गृहस्थी की जिम्मेदारी के निर्वहन के साथ साथ वकालत की पढ़ाई का अवसर निकाल कर डिग्री हासिल कर वकील बन जाय तथा समाज मे अपना मुकाम हासिल करने के लिए संघर्ष करते हुए अपने आप को स्थापित करने में सफल हो तब उसकी चर्चा स्वाभाविक है ऐसी एक सीनियर एडवोकेट श्रीमती स्नेहलता तिवारी है जिनका हायर एजुकेशन हनुमानगढ़ से करने के बाद BA और LLB संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से किया । वकालत की डिग्री प्राप्त कर दिनांक 19-4-1993 को इस पेशा का श्री गणेश एडवोकेट स्वर्गीय भोलादास गुप्ता जी के जूनियर बन कर की, तब से निरंतर विधि क्षेत्र में सक्रिय हैं वर्ष 2001 मे शपथ आयुक्त बनकर एवं वर्ष 2006 से 2016 तक लगातार उपभोक्ता फोरम की सदस्य रह कर काम किया वर्तमान में अपर लोक अभियोजक की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही है! मैडम तिवारी वकालत के साथ राजनीति के क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर समाज सेवा की ओर भी अपनी भागीदारी कर रही है उन्होंने भाजपा महिला मोर्चा की जिला महामंत्री, जिला उपाध्याय, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य महिला मोर्चा के दायित्वों मे रहकर महिला समाज को आगे आने के लिए कार्य किया आप जिला अधिवक्ता संघ सीधी की उपाध्यक्ष भी रह चुकी है । परन्तु वकालत नितांत चुनौतीपूर्ण पेशा है , इस पेशे में लाइम लाइट के साथ चुनौतियां भी बहुत हैं। आपका भविष्य स्वर्णिम है , श्रीमती तिवारी वकालत में सहजता सरलता एवं संसकारित नारी के रूप में जानी जाती है । ................................................... 👉 आदित्य सिंह ✍️ वरिष्ठ पत्रकार ..................................... ............. पत्रकारिता जगत में एक संस्थान के लिए कई दशकों तक कार्य करना एक पत्रकार के लिए निश्चित ही एक बड़ी उपलब्धि है। और यही उपलब्धि एक पत्रकार के अनुभव को बयां करता है। जी हां आज हम बात कर रहे हैं जिले के एक ऐसे साथी पत्रकार आदित्य सिंह की। जिनका जन्म 10 जुलाई 1977 को शहडोल जिले के अमलाई में हुआ था। आदित्य के पिताजी अमिलाई में ही ओरिएंट पेपर मिल में कर्मचारी थे। आदित्य की शिक्षा दीक्षा अमिलाई और सीधी में हुई। और शिक्षा ग्रहण करने के बाद इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत 1997 में अमिलाई पेपर मिल से ही किया। इसके बाद आदित्य वर्ष 1999 में सीधी आ गए और यहां आकर नवभारत ज्वाइन कर लिया। आदित्य पत्रकारिता कर रहे थे और साथ में एलएलबी की पढ़ाई भी सीधी से पूर्ण कर ली। नवभारत जैसे बैनर से 1999 में उन्होंने हाथ मिलाया और आज से 22 साल हो चुके नवभारत में काम करते लेकिन उन्होंने कभी नव भारत का साथ नहीं छोड़ा। इस बीच पत्रकारिता के कई आयाम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेब मीडिया आए लेकिन आदित्य का मोह आज भी नवभारत से लगा हुआ है। आदित्य नवभारत में आज तक निरंतर बने हुए हैं और दो दशक से निरंतर एक ही बैनर में कार्यरत रहना अपने आप में महत्वपूर्ण हैं। आदित्य ने पत्रकारिता के अलावा सड़क बनाओ सीधी बचाओ, तोरण द्वार से तोरण द्वार तक जनभागीदारी अभियान चलाकर प्रशंसनीय कार्य किया जो आज बनकर रोड तैयार है। उन्होंने क्लीन सिटी ग्रीन सिटी स्वच्छता जागरूकता अभियान भी चलाया था। सीधी जिले में बस स्टैंड को लेकर मारामारी थी, पुराना डिपो बस स्टैंड तो था लेकिन खंडहर में तब्दील था। नए बस स्टैंड के जीर्णोद्धार के लिए आदित्य ने एक संकल्प भी रखा था कि जब तक नए बस स्टैंड का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो जाता तब तक वह अपने सर पर बाल नहीं रखेंगे, इस दौरान उन्होंने राजनैतिक गलियारों और आम जनमानस में खूब सुर्खियां बटोरी थी। आदित्य ने न्यू बस स्टैंड निर्माण के लिए निरंतर सर पर बाल नहीं रखने का संकल्प लिया था जो 3 वर्षों तक यह क्रम जारी रहा और उसी फल स्वरुप निर्माण कार्य प्रारंभ होने के पश्चात आदित्य के सर पर तब से बाल दिखने लगे हैं। लेकिन लोगों के मनमस्तिष्क मे हमेशा यह बात भरी रहती है कि पत्रकार को पक्षकार नही वनना चाहिये जो कुछ करे वह कलम के दमपे करे ... जी हां अगर यही कार्य कोई नेता करता तो वाहवाही होती किंतु आदित्य पत्रकार हैं इसलिये अक्सर दो मुंही बाते होती हैं । वहरहाल आदित्य जैसे पत्रकार के जज्बे और संघर्ष को मेरा सलाम ...