आदरणीय पाठक बंधु सादर अभिवादन स्वीकार हो। हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे। मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें। आपका सचीन्द्र मिश्र सीधी ................................................... 📱 चेहरे चर्चित चार📱 नेता अफसर - विधिक पत्रकार जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार । ........................ . .. ........... ........ 👉 अभ्युदय सिंह " राज " ✍️ अध्यक्ष जिला पंचायत सीधी .................................................. वर्ष 2015 का त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, जिसमे प्रदेश में सबसे कम उम्र का एक युवा सबसे ज्यादा वोट से जिलापंचायत सदस्य बनता है और फिर जिलापंचायत अध्यक्ष बन कर एक इतिहास रच देता है! वो युवा है मड़वास राजघराने में जन्मे अभ्युदय सिंह " राज " जिनका जन्म 3 फरवरी 1992 में हुआ, जिनकी शिक्षादीक्षा संस्कारधानी जबलपुर में हुई है ।इनके पिता स्व कृष्णदेव सिंह पूर्व राजा साहेब मड़वास भी राजनीति में सक्रिय थे उनकी अपनी एक बड़ी राजनीति चैन थी, जो क्षेत्र में आम जन से लेकर उस समय के बड़े कद्दावर नेताओ तक सीधी जुड़ी थी, इसलिए अभ्युदय सिंह का भी राजनीतिक झुकाव छात्र जीवन से ही था, इसलिए जिलापंचायत सीट सामान्य होते ही राज ने अपनी तैयारी की लेकिन उसी समय राजा साहब के.डी सिंह से इनका साथ भगवान ने छुड़ा दिया, लेकिन क्षेत्र की जनता से राजा साहब मड़वास के लगाव के कारण जनता ने भी अभ्युदय को हांथो हाथ लिया । अभ्युदय ने उस चुनाव में क्या क्षेत्रवाद, क्या जातिवाद, सारे समीकरण जो ध्वस्त कर दिया, उस समय मड़वास राजघराना का झुकाव और लगाव कांग्रेस से था, इसलिए अभ्युदय ने जिलापंचायत अध्यक्षी के लिए पार्टी की ओर विश्वास से हाथ उठाया लेकिन यहां राजनीतिक समीकरण अभ्युदय के एकदम विपरीत थे, लेकिन भाग्य तो अभ्युदय को अपनी गोद मे उठा कर चल रही थी, उस समय अभ्युदय ने अकेले ऐसे चक्रव्यूह रच दिया जिसमें बड़े बड़े दिग्गजों के ब्रम्हास्त्र नेस्तनाबूत हो गए, और यहीं मौका था जब भाजपा ने इनकी दुखती रग पर हाथ रखा और कोइ समर्थित प्रत्यासी नही खड़ा किया, और अभ्युदय ने अध्यक्षी पद पर विजय पाकर इतिहास रच दिया। उस समय अभ्युदय की उम्र कम थी ही अनुभव भी एकदम अंकुरित हो रहा था, और जुनून और उल्लास का माहौल था, और एक हप्ते के अंदर ही श्रेय लेने वालों का तांता सा लग गया तरह तरह के वयानबाजी का दौर शुरू हो गया और राजनीति के गलियारे में " राज " एक चर्चा का विषय वन गये , खैर उस बयान के क्या मायने थे, यह शायद कोई अदृश्य बात हो। अध्यक्ष बनने के बाद अभ्युदय सिंह मड़वास रेल लाइन से गुजरने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव के लिए बड़े आंदोलन किये, जिसमे हजारों लोग आंदोलन में शामिल हुए, और ट्रेन का ठहराव होने लगा, तात्कालिक प्रदेश के लोकनिर्माण विभाग के मंत्री से रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग जो अत्यंत खराब थे, उनको पक्का कराया। मड़वास में जिलापंचायत के बजट से स्टेडियम निर्माण , ये कार्य मे उपलब्धियां रही हैं पिछले विधानसभा चुनाव में अभ्युदय सिंह ने मुख्यंमत्री शिवराज सिंह से भाजपा की सदस्यता ले ली, उसके बाद हुए विधानसभा में भाजपा के विधायक को संघर्ष की स्थिति में जिताने में सफल रहे। जिला पंचायत अध्यक्ष के हैसियत से जिले की सभी पंचायतों के विकाश हेतु हमेशा सक्रिय रहते है। अब इस युवा का आगे का राजनीतिक ग्राफ क्या होगा ये तो आने वाला भविष्य ही बताएगा। खुद अभ्युदय के मन मे क्या है वो भी भविष्य को ही बताएंगे। ..….......................................... 👉 एस. एन .द्विवेदी ✍️ C.EO ................................................ मन में जब जज्बा हो जुनून हो तो सफलता अवश्य कदम चूमती है , वन में बसने वाली आदिवासी जनजाति के उत्थान के लिये दिनरात वरावर कृत संकल्पित जनपद पंचायत कुशमी के सीईओ एस.एन.द्विवेदी का जन्म 5.5.1964 को उचेहरा सतना में हुआ है , अमरपाटन से एमकाम की शिक्षा अर्जित करने के उपरांत 29 जनवरी 1990 को श्री द्विवेदी ने संस्कारधानी जबलपुर से सरकारी सेवा का श्री गणेश किया है । आदिवासी विकास विभाग के मण्डल संयोजक पद पर पहली ज्वानिंग जबलपुर से हुई , जो 2001 के दशक में वह सीधी आ गये और एक दशक तक सीधी मे सेवायें देने के उपरांत वह अल्प समय के लिये शहडोल चले गये, एक वार फिर नौकरी की दूसरी पारी सीधी जिले के कुशमी से प्रारम्भ कि जंहा वह वतौर सीईओ 2014 से 2018 तक रहे हैं । सूबे की सरकार बदली और फरवरी 2019 मे उनका तबादला नरसिंहपुर के लिये कर दिया गया , ठीक ग्यारह माह बाद उन्हे सीधी जिले में तीसरी पारी वतौर संहायक परियोजना अधिकारी आदिवासी विकास परियोजना कुशमी में पदस्थ कर दिया गया । जनपद पंचायत कुशमी में व्यावस्था के तौर पर 29 जून 2020 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी का दायित्व कलेक्टर ने सौंपा है , इतना ही नही 29जुलाई 2020 से मझौली के भी वह अतिरिक्त प्रभार पर हैं । आदिवासी वाहुल्य वनांचल क्षेत्र कुशमी के विकास में CEOश्री द्विवेदी द्वारा किये गये कार्यों को कभी भी भुलाया नही जा सकता , अनुसूचित जनजाति के निर्धन कृषकों, जिनके पास जमीन का छोटा सा टुकड़ा भी हो, को सिंचाई सुनिश्चित सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सामूहिक सिंचाई योजनाओं का व्यापक स्तर पर निर्माण कराये गये हैं ताकि नदी-नालों के जल स्तर से कृषि को बढाबा मिल सके । कुशमी क्षेत्र के करीब 1100 किसानों को कूप निर्माण के लाभ से लाभान्वित कराया गया है , इस बंजर क्षेत्र में जंहा केवल और केवल कोदौ कुटकी तक फंसल सीमित थी वंहा आज धान , गेंहूं , सब्जी का उत्पादन उल्लेखनीय है । सीधी जिले के कुशमी में मनरेगा लेबर बजट मानव दिवस के आधार पर लक्ष्यपूर्ति से अत्यधिक 125 प्रतिशत तक ग्राफ पंहुचाने में CEO श्री द्विवेदी ने प्रसंसनीय कार्य किया है । इतना ही नही वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में भी कुशमी के वनवासियों के लिये उमदा कार्य किये गयो हैं , कलेक्टर रवीन्द्र चौधरी के निर्देश पर गांव गांव घर घर जनजागरूकता अभियान चलाकर पाजिविटी दर पर कमियां आई हैं । CEOश्री द्विवेदी ने कुशमी जैस क्षेत्र के लिये वाकई कुछ किया है हम कह सकते हैं कि सफलता के कई पिता होते हैं जबकि असफलता अनाथ होती है । सफल व्यक्ति से सभी चिपकना चाहते हैं जबकि असफल व्यक्ति से लोग किसी संक्रामक रोग की भांति दूर भागते हैं ।व्यक्ति द्वाराअर्जित सफलता का स्तर ही उसके गुणों के आकलन की कसौटी है, उसकी काबिलियत का पैमाना है । मनुष्य के गुण उसे सफलता की ओर चाहे ले जाएं, चाहे न ले जाएं; सफलता प्राप्त कर लेने के उपरांत संसार उसे गुणी अवश्य मानने लगता है । अंत में उनके लिये यह समर्पित हैं यह पंक्तियां ..... चमक रहा हूं सूरज की तरह तो सब हैरान हैं क्यौं ,मेरी सफलता से सब परेशान हैं क्यौं ,हर रात टकराया हूं इक नई मुसीबत से नई शुबह के लिये। ................................................... 👉 श्रीनिवासधर द्विवेदी ✍️ वरिष्ठ अधिवक्ता .................................................. सीधी जिले के सीनियर अधिवक्ताओं में एक ऐसा नाम जो चार चर्चित चेहरों में अमुख है ,वकालत में ख्याति प्राप्त वरिष्ठ अभिभाषक श्रीनिवास धर द्विवेदी जी का जन्म 01/01/1945 को वर्दी स्टेट में हुआ था, आपकी प्रारंभिक शिक्षा वर्दी में ही हुई तत्पश्चात वी ए , एल एल वी की पढ़ाई सीधी महाविद्यालय से किया ,छात्र जीवन में आर्थिक विसंगतियों के कारण पढाई के दौर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है जिसके कारण प्रतिभा असली मुकाम हांसिल नही कर सकी। लेकिन कुछ करने की ललक मन मे ठाना और वकालत की पढ़ाई करने का लक्ष्य लेकर एल एल वी में प्रवेश लिया , सीधी के वहुचर्चित तत्कालीन कलेक्टर एन. बी .लोहानी ने उस समय कालेज में व्याप्त अव्यवस्था को सुधारने के एक दिन करीब 3 घंटे तक कालेज में बैठे रहे और उसी समय श्री द्विवेदी जी की प्रतिभा को देखकर बहुत प्रभावित हुए तथा इनकी आर्थिक स्थिति के कारण शिक्षा मे व्यवधान न आये इसी कारण कलेक्ट्रेट में टाइपराइटर के पद पर रख दिया उससे मिलने वाले पैसो से इन्होंने एल एल वी की पढ़ाई पूरी की वर्ष 1968 से 1971 तक टाइपराइटर रहते हुए ला की डिग्री हासिल किया, वर्ष 1972 में वरिष्ठ अधिवक्ता स्वर्गीय चित्रभानु सिंह जी के जूनियर शिप मे वकालत शुरू किया और वह दो वार अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं । द्विवेदी जी के जीवन में एक ऐसी घटना घटित हुई जो उन्हें जीवन भर कचोटती रहेगी वह यह कि आपने वर्ष 1985 मे जिला जज के पद पर सलेक्शन के बावजूद पर्सनालिटी बाधा बनकर सामने खड़ी हो गई , शारीरिक अपंगता उन्हें न्यायाधीश नहीं बनने दिया फिर भी आपने हार नही मानी वकालत में ऐसी ऊंचाई प्राप्त करने में सफल रहे हैं जो कम लोगो को प्राप्त होती है सीधी जिले में आप दीवानी मुकदमे में महारत हासिल किया है पक्षकारों को उनके प्रकरण को देखकर ही लडने की गुंजाइश बता दिया करते हैं वेवजह मुकदमेबाजी मे कम पडते है यह उनका अपना स्वभाव है! कुल मिलाकर यदि यह कहा जाये कि श्री द्विवेदी के संघर्ष यात्रा अर्श से फर्श तक की कहानी बहुत कुछ कहती है आपकी पर्सनालिटी कद कांठी भले छोटी है किन्तु विद्वता व्यक्तित्व मे पर्सनालिटी बहुत बड़ी व बेजोड़ है और इसे कुदरत का करिश्मा ही कहाँ जा सकता है, अनुभव बोलता है एडवोकेट श्री द्विवेदी जी की साफ सुथरी छवि विधि के क्षेत्र में लोगों को एक दिन अवश्य प्रेरणादायी होगी। ................................................ 👉अभिलाष तिवारी✍️ पत्रकार ................................................. सेना में सेवा करने का जुनून पाले एक कलमकार की कहानी वाकई पीड़ादाई है , प्रतिभा भले अपनी मंजिल तक नही पंहुच पाई किंतु वह आज एक अच्छे कलमकार हैं । जी हां हम बात रहे हैं आंचलिक पत्रकार आभिलाष तिवारी की जिन्होंने जन्म से लेकर अव तक अनंत समस्याओं की जंजीरों से जकड़े हुये हैं किंतु स्वाभिमान और पत्रकारिता के ऊसूल से समझौता करना उनकी फितरत में नही है । शहडोल जिले के पपौंध दुअरा में 1978 को जन्मे अभिलाष ने बचपन मे ही पिता को खोया है जब वह 6 वर्ष के थे तभी उनके पिता रेल्वे कर्मी का निधन हो गया । पिता के निधन के वाद पारिवारिक बोझ से बोझिल मां ने इन्हे किसी तरह हायरसेकंड्री कराया , और बचपन से ही सेना में सेवा करने का जुनून पाले अभिलाष की अभिलाषा नही पूरी हुई । पत्रकारिता के क्षेत्र में निपुण अभिलाष के मनमस्तिष्क में शुरू से ही लिखने का जुनून रहा है , इन्होने वर्ष 2005 से दैनिक जागरण समाचार पत्र मे पत्रकारिता का श्री गणेश किया है , वाद में वह विंध्य भारत में भी 2007 से 2013 तक कार्य किया है , वर्ष 2013 मे समाचार पत्र पत्रिका का उदयमान होने पर अभिलाष मझौली पथरौला का प्रतिनिधित्व करने लगे , वर्तमान का दौर शोषल मीडिया का है जिससे वह अछूते नही है आनलाइन मीडिया ईन्यूज एमपी में भी अपनी धारदार कलम से आंचलिक समस्याओं को फोकस करते रहते हैं । आंचलिक पत्रकारिता के क्षेत्र में अभिलाष तिवारी का अपना एक अलग नाम है , समाज में सोहरत है मझौली और कुशमी अंचल में एक अलग छाप है पहचान है । आये दिन आदिवासियों की आवाज बुलंद करने वाले अभिलाष की प्रतिभा मझौली मड़वास की जंजीरों में जकड़ी हुई है । जरूरत है इस प्रतिभा को निखारने की .. जरूरत है समाज को समझने की ... जरूरत है शासन प्रशासन को दिशा और दशा तंय करने की ....