नई दिल्ली(ईन्यूज एमपी)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात राष्ट्र को संबोधित किया। उनका भाषण वक्त के तकाजे के मुताबिक, संयमित और एक खास मकसद से था। यह उस आम आदमी के लिए था, जो कोरोना महामारी के कारण बेहाल है, उसको समझते हुए प्रधानमंत्री ने महामारी को एक तूफान की संज्ञा दी।मोदी के भाषण में चार बातें खास थीं। आइए, इन्हें सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं। कई दिनों से विपक्ष के नेता भी पूछ रहे थे कि महामारी में जब मौत के डर और निराशा ने लोगों के मन को जकड़ लिया है। आम आदमी दवाइयों के लिए जूझ रहा है। फिर भी प्रधानमंत्री कुछ बोल क्यों नहीं रहे हैं? प्रधानमंत्री ने एक सीधा मैसेज देने की कोशिश की। और वो ये कि “मैं हूं न। मेरी सरकार मेडिकल संसाधन जुटाने में लगी है। आप बस कुछ धैर्य रखें।” प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में रामनवमी और रमजान को भी याद किया। 2020 के भाषणों से ये भाषण काफी अलग रहा। इसमें कोई नया प्रोग्राम नहीं दिया गया, कोई नई घोषणा भी नहीं की गई। प्रधानमंत्री ने काफी कुछ राज्यों पर छोड़ दिया। इससे समझा जा सकता है कि हालात कितने गंभीर हैं। दूसरी प्रधानमंत्री ने मध्यम, छोटे दुकानदारों और कारोबारियों की अपार तकलीफों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्रियों को एक संदेश दे दिया कि “लॉकडाउन आखिरी उपाय है। उसे सख्ती से न लगाएं।” खासतौर पर यह संदेश उद्धव ठाकरे की महाविकास अघाड़ी वाली महाराष्ट्र सरकार को है। केंद्र सरकार का रुख इस बार बहुत स्पष्ट लग रहा है कि टोटल लॉकडाउन आर्थिक गतिविधियों को बंद कर देगा और अर्थतंत्र को बहुत तगड़ी मार पड़ेगी। इसी कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट के लॉकडाउन के जजमेंट को मंगलवार को ही बड़ी तैयारी के साथ सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था, और उन्हें स्टे लाने में सफलता भी मिली। ऐसा दिख रहा है कि केंद्र सरकार अर्थतंत्र की चिंता में राज्य सरकारों को लॉकडाउन न करने की सलाह दे रही है। तीसरी प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण मुफ्त में ही किया जाएगा, जैसा अभी हो रहा है। हालांकि, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि 18 से 45 वर्ष की आयु वाले नागरिकों को भी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त टीकाकरण सेवा केंद्र सरकार द्वारा मिलेगी या नहीं। चौथी ऑक्सीजन, दवाइयां और हॉस्पिटल में बेड की सुविधा। इस सभी को प्राप्त करने में जो कठिनाइयां हैं, उसको नजर में रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कैसे उनकी सरकार इन सभी मुसीबतों को दूर करने के लिए काम कर रही है। हालांकि भाषण द्वारा लोगों का जोश बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ने काफी प्रयत्न किया, लेकिन जमीनी हकीकत इतनी पीड़ादायक है कि प्रधानमंत्री काफी संयमित लगे। 2020 के भाषणों की तरह कोई नई घोषणा नहीं थी, कोई नया प्रोग्राम नहीं था आम आदमी का हौसला बढ़ाने के लिए। वर्तमान समय का बोझ प्रधानमंत्री के चेहरे पर झलक रहा था।