इंदौर(ईन्यूज एमपी) मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले का रहने वाला आठ वर्षीय मासूम की इलाज के दौरान कोरोना से मौत हो गई। 16 मार्च को उसे बुखार आया। उसे डॉक्टरों को दिखाया गया था। बच्चे की हालत गंभीर होने पर परिजन इंदौर लेकर आए। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यहां पर कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पाॅजिटिव आई पर डॉक्टरों को इतना समय नहीं मिल पाया कि उसे बचा सकें। झाबुआ ही नहीं इंदौर जिले में भी पहली बार इतनी कम उम्र के किसी मरीज की कोरोना से मौत हुई है। इसके पहले 14 से 15 साल के बच्चों की कोरोना से मौत हो चुकी है।झाबुआ के गोपाल कॉलोनी निवासी पिता ने बताया कि 16 तारीख को बेटे की तबीयत खराब हुई थी। उसे झाबुआ में ही बच्चों के डॉक्टर को दिखाया। 18 तारीख तक बच्चे का इलाज चला, लेकिन सुधार नहीं हुआ। उसे उल्टी-दस्त भी होने लगे। डॉक्टर से कहा तो उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह ठीक हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 19 तारीख को रात तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो 20 को झाबुआ में ही निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जांच में ब्लड में संक्रमण काफी ज्यादा मिला। प्लेटलेट्स लगातार कम हो रहे थे। लीवर में सूजन थी और फेफड़ों में पानी भर रहा था। डॉक्टरों ने डेंगू के लक्षण बताए। उनसे कहा कि कोरोना सैंपल ले लीजिए तो तैयार हो गए। लेकिन तबीयत लगातार बिगड़ने से हम बेटे को इंदौर लेकर आए। पिता ने बताया कि इंदौर में एक निजी अस्पताल में बेटे को भर्ती किया। तब तक संक्रमण और बढ़ गया था। ब्लड प्रेशर गिर रहा था। हार्ट ठीक से पम्प नहीं कर पा रहा था। उसके कोरोना सैंपल लिए गए। यहां पर भर्ती होने के समय से ही ऑक्सीजन पर था। 23 तारीख की रात तबीयत ज्यादा खराब हुई तो डॉक्टरों ने लैब में फोन कर कोरोना की रिपोर्ट पूछी। रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। इसके बाद हमें सलाह दी गई कि दूसरे अस्पताल ले जाओ। दो अस्पताल वालों ने बेड नहीं होने का कहकर लेने से इनकार कर दिया। टी चोइथराम में मुश्किल से एडमिट कराया। यहां भर्ती करने के बाद से स्टेबल था। अचानक गुरुवार दोपहर में डाॅक्टरों ने बताया कि वेंटिलेटर पर डालना पड़ेगा। शाम तक बेटे के शरीर में जान नहीं बची। सब कुछ खत्म हो गया। शुक्रवार सुबह परिजन शव लेकर झाबुआ के लिए रवाना हो गए। कोरोना से जंग हारने वाले बालक के पिता ने कहा- बच्चों या बड़ों को बुखार आए या किसी तरह का लक्षण दिखे तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं। कोरोना टेस्ट के लिए जरूर कहें। डॉक्टर भी सबसे पहले कोरोना टेस्ट कराएं। अगर मेरे बेटे के मामले में ऐसा हुआ होता तो संभवत: संक्रमण का पता पहले चल जाता और उसकी जान बच जाती। और किसी को अपना बेटा या बेटी नहीं खोना पड़ जाए, इसलिए टेस्ट जरूर कराएं। डायरेक्टर डॉ. अमित भट्ट से बात की तो उन्होंने बताया कि बुधवार को बच्चे को निजी अस्पताल से हमारे यहां रैफर किया गया था। बच्चा जब तक हमारे यहां पर आया उसकी हालत काफी गंभीर हो चुकी थी। उसे बचाने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन गुरुवार शाम को उसका निधन हो गया।